उन्होंने कहा-अरे तेरे कि, यह कौन सा भैंसिया रंग दय दीना हमका। सभी ने सुना और इस नए काले रंग का नाम भैंसिया रंग पड़ गया और तबसे आज तक काले रंग को हम सभी भैंसिया रंग कहते आ रहे हैं।
उस दिन पूरे लोग कक्काजी को पहचान नहीं सके। कक्काजी भी आइना देखकर खुद को नहीं पहचान पाए। होली के बाद पूरे पांच दिनों तक उनका रंग नहीं उतरा। आखिर उतरता कैसे, भैंसिया रंग इतनी जल्दी उतरता है क्या! आज तक भैंस का रंग नहीं उतरा जो! उस दिन लोग कक्काजी को देखकर हंसते और कक्काजी खुद को देख-देखकर।
- विनोद पांडे, रायपुर