गरिमा
बचपन में सीखा था,
दोस्ती क्या है,
तब लगा,
दोस्ती तो दोस्तों के साथ खेलने और घूमने का नाम है,
बड़े होते-होते यह महसूस हुआ,
दोस्ती,
जीवन में खुशी,
हर्ष और उमंग की पहचान है,
पर अब,
जब दोस्त सारे हैं जुदा-जुदा,
तो सबको यह महसूस हुआ,
कि दोस्ती हमारे ही दिलों की दबी हुई एक आवाज़ है,
इस आवाज़ को जब ध्यान से सुना,
तो मन में एक सवाल उठा,
कि क्या यह हमें मिलाने की,
हमारे ही दिल की एक अनकही चाल है?