मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए जरूरी है कि वह आंदोलन कर रहे किसानों की भावनाओं को समझे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसलिए इसके गंभीर नतीजे होंगे।
पवार ने कहा कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कोष जुटाने के जनसंपर्क अभियान में राज्यों के राज्यपालों का हिस्सा लेना अजीब होगा। पवार ने कहा कि वह औरंगाबाद या उस्मानाबाद जैसे शहरों के नाम बदलने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते और राज्य में महाविकास आघाड़ी के घटक शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच इस पर कोई गतिरोध नहीं होगा। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले कई हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं।
पवार ने कहा कि किसान इस ठंड में प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी पांच किलोमीटर मार्ग पर डटे हुए हैं। वे अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं। किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए किसानों की भावनाओं को समझना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
राम मंदिर निर्माण के लिए कोष जुटाने को लेकर बड़े स्तर पर चलाए जाने वाले जनसंपर्क कार्यक्रम के बारे में एक सवाल पर पवार ने कहा कि चंदा मांगना किसी भी संगठन का अधिकार है।
पवार ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि लेकिन मैंने सुना है ...पता नहीं इसमें कितना सच है राज्यों के राज्यपाल भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। अगर ये खबरें सही हैं तो यह अजीब है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यपाल एक महत्वपूर्ण पद होता है, यह राज्य और उसके सभी लोगों के लिए होता है।
औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों के नाम बदलने के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि वह इसे गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने कहा कि हमारे (गठबंधन के) बीच कोई असहमति नहीं है। आप इसे औरंगाबाद, धाराशिव या कोई दूसरा नाम कह सकते हैं। मैं इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता। इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा।