Nirjala Ekadashi 2023 : निर्जला एकादशी कब आ रही है? भीमसेनी ग्यारस पर जानिए 10 काम की बातें, 5 नियम

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Nirjala Ekadashi 2023 : जल को लेकर हमारे त्योहार और पर्वों में खास संदेश छुपा होता है। गर्मियों में आने वाले हर पर्व में नदी,  नदी में स्नान, जलदान, जल की पूजा कलश की पूजा और जल का महत्व समझने का संदेश मिलता है।निर्जला एकादशी ऐसा ही एक शुभ त्योहार है। एकादशी माह में दो बार आती है लेकिन कुछ एकादशी बहुत खास होती है और निर्जला एकादशी उन्हीं में से एक है जो जल की बचत और जल के महत्व को समझने का प्रतीक पर्व है।  
 
निर्जला एकादशी व्रत वर्ष 2023 में 31 मई,  दिन बुधवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 30 मई, मंगलवार को रात्रि में 01.07 बजे से शुरू होकर 31 मई, दिन बुधवार को दोपहर 01.45 पर समाप्त होगी। 
10 काम की बातें 
1. दान : अन्न-जलदान, गौ दान, वस्त्रदान, जूता और छाता दान। यह नहीं कर सकते हैं तो कम से कम इस दिन जल कलश में जल भरकर उसे सफेद वस्त्र से ढककर चीनी और दक्षिणा के साथ किसी ब्राह्मण को दान जरूर करें जिससे साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी को जल एवं गौ दान करना सौभाग्य की बात मानते थे। इसके अलावा लोग ग्रीष्म ऋतु में पैदा होने वाले फल, सब्जियां, पानी की सुराही, हाथ का पंखा आदि का दान करते हैं। 
 
2. निर्जला व्रत : निर्जला एकादशी पर नाम के अनुरूप बिना जल के व्रत करें। पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है। इस एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 
3. विष्णु आराधना : निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की लक्ष्मी माता सहित आराधना की जाती है। इस दिन पीताम्बरधारी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और साथ ही यथाशक्ति श्री विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करते रहना चाहिए। 
 
4. जलदान : जो लोग गौ दान नहीं कर पाते हैं वे इस समय जलपान जरूर कराते हैं। ज्येष्ठ माह वैसे भी तपता है तो भी जगह प्याऊ लगान और लोगों को पानी पिलाना पुण्य का कार्य है। इस दिन जल में वास करने वाले भगवान श्रीमन्नारायण विष्णु की पूजा के उपरांत दान-पुण्य के कार्य कर समाज सेवा की जाती है। ऐसा करने से पितृदोष दूर होने के साथ ही चंद्रदोष भी दूर होता है।
 
5. देवी-देवता को करें प्रसन्न : इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। एकादशी तिथि के देवता हैं विश्वदेवगण हैं। उनकी पूजा भी करना चाहिए। इस दिन जल देवता वरुणदेव की पूजा का भी महत्व रहता है। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी करना चाहिए। विष्णु, कृष्ण, वरुण, विश्वदेवगण और माता लक्ष्मी।
 
6. दान करें पानी से भरा घड़ा : इस दिन बिना जल पिए ज़रूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए-
 
देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥
 
अर्थात संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषिकेश इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति प्रदान करें।
 
7. पीपल में जल अर्पित करें : यदि आप उपरोक्त उपाय नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
 
8. ब्राह्मण भोजन : द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देकर तत्पश्चात अन्न व जल ग्रहण करें।
 
9. निर्जला एकादशी की कथा  : भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन निर्जला एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।
 
10. पौधारोपण : इस दिन पौधा रोपण करने का भी महत्व है। कहीं पर भी पीपल, बरगद, नीम, कैथ आदि का पौधा लगाएं।
इन कार्यों को करने से बचें : 
1. आहार : इस दिन चावल नहीं खाते हैं। इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए। नमक खाने से एकादशी और बृहस्पति का फल नष्ट हो जाता है। इसीलिए इस दिन सात्विक फलाहार ही खाना चाहिए। इस दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोभी और सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन से ही अपने भोजन पर ध्‍यान दें। ना तो तामसिक, मांसाहारी भोजन का सेवन करें। मदिरा सहित सभी प्रकार के नशे से भी दूर रहें। एकादशी के दिन पान नहीं खाना चाहिए क्योंकि पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।
 
2. स्त्री संग प्रसंग नहीं  : इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए। मनसा, वाचा और कर्मणा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन व्रत करते समय किसी के प्रति मन में बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। हर तरह के वाद-विवाद से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। 
 
3. तुलसी से रहें दूर : एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही उसे छूना चाहिए। क्योंकि तुलसी माता इस दिन उपवास में रहती है। 
 
4. शयन : व्रत से एक रात पहले सोएं ना। पूरी रात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अराधना करें। इस दिन पलंग पर नहीं सोना चाहिए। भूमि पर ही आराम करना चाहिए।
 
5. अन्य नियम : इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। इस दिन लकड़ी का दातुन न करें। नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर कुल्ला कर लें और अंगुली से गला साफ कर लें।
निर्जला एकादशी कब है 2023? निर्जला एकादशी साल में कितनी बार आती है? जानिए महत्व और प्रामाणिक कथा

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