वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) वर्ष 2023 में दिन रविवार, 16 अप्रैल को मनाई जा रही है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख कृष्ण पक्ष में आने वाली यह एकादशी बहुत अधिक महत्व की मानी गई है। इस एकादशी के संबंध में यह मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का फल 10000 (दस हजार) वर्ष तक तप करने के बराबर प्राप्त होता है।
माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय एक मन स्वर्ण दान करने से जो फल प्राप्त होता है, वही फल वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मिलता है। वरुथिनी एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य इस लोक में सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि हाथी का दान घोड़े के दान से श्रेष्ठ है। हाथी के दान से भूमि दान, भूमि के दान से तिलों का दान, तिलों के दान से स्वर्ण का दान तथा स्वर्ण के दान से अन्न का दान श्रेष्ठ है। अन्न दान के बराबर कोई दान नहीं है। अन्न दान से देवता, पितर और मनुष्य तीनों तृप्त हो जाते हैं। पौराणिक शास्त्रों में इसको कन्या दान के बराबर माना है। वरुथिनी एकादशी के व्रत से अन्न दान तथा कन्या दान दोनों के बराबर फल मिलता है।
जो मनुष्य लोभ के वश होकर कन्या का धन लेते हैं वे प्रलय काल तक नरक में वास करते हैं या उनको अगले जन्म में बिलाव का जन्म लेना पड़ता है। जो मनुष्य प्रेम एवं धन सहित कन्या का दान करते हैं, उनके पुण्य को चित्रगुप्त भी लिखने में असमर्थ हैं, उनको कन्या दान का फल मिलता है। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग मिला था।
इस एकादशी व्रत को जो मनुष्य विधिवत करते हैं उनको स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इसका फल गंगा स्नान के फल से भी अधिक है। इस व्रत के महात्म्य को पढ़ने से एक हजार गोदान का फल मिलता है। अत: मनुष्यों को जीवन में धर्म-कर्म को स्थान देते हुए जीवनयापन करना चाहिए तथा पाप कर्मों से दूर रहना चाहिए।
यह एकादशी सौभाग्य देने वाली तथा सब पापों को नष्ट करके अंत में मोक्ष देने वाली मानी गई है। मान्यतानुसार यदि कोई अभागन स्त्री यह एकादशी व्रत करती हैं, तो उसको सौभाग्य मिलता है। इस व्रत से मनुष्य अनंत सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त करता है।
एकादशी व्रत के फायदे-
1. एकादशी के दिन पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं तथा पापों को नाश करके सुख-संपन्नता और ऐश्वर्य का वरदान देते हैं।
2. यह एकादशी व्रत करने से मनुष्य को गंगा स्नान के फल से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
3. पूरे मनोभाव से इस एकादशी का व्रत करने से व्रतधारी को कन्या दान के फल के बराबर प्राप्त होता है।
4. एकादशी व्रत से भगवान श्री विष्णु खुश होते है और सुख-समृद्धि, शांति तथा स्वर्गलोक की प्राप्ति का फल देते है।