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दीपावली पर दीये जलाने की परंपरा कैसे शुरू हुई, जानिए पौराणिक बातें...

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* दीपावली पर क्यों की जाती है दीयों की रोशनी, पढ़ें विशेष बातें....  
 
यूं तो दीपावली के कई मायने हैं। दीपों के इस त्योहार के दिन रोशनी का विशेष महत्व होता है। भारत के हर धार्मिक त्योहार की तरह इस त्योहार के पीछे भी कई पौराणिक कथाएं है। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी पर्व किसी खास जाति या धर्म तक तो सीमित रह ही नहीं सकता। 
 
आज दीपावली भारत में रहने वाले हर इंसान के लिए एक अहम त्योहार है। प्रकाश और उल्लास का पर्व दीपावली पूरे भारत के अलग-अलग समुदायों में भिन्न-भिन्न कारणों से मनाया जाता है। दीपावली मनाते तो सभी हैं लेकिन सभी में दीपक जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियां प्रचलित हैं। आइए जानें... 
 
*  राम भक्तों के अनुसार दीपावली वाले दिन अयोध्या के राजा श्रीराम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध कर के अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी यह पर्व मनाया जाने लगा।
 
* जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही हुआ था।
 
* कृष्ण भक्तों की मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और लोगों ने प्रसन्नतापूर्वक घी के दीये जलाएं।
 
* सिखों के लिए भी दीपावली महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था और दिवाली ही के दिन सिखों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।
 
* नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरंभ होता है।
 
* बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी। 
 

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