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भाई दूज को यम द्वितीया क्यों कहते हैं, पढ़ें भाई दूज की कहानी और शुभ मुहूर्त

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भाई दूज की तिथि : शनिवार,6 नवम्बर 2021 
 
भाई दूज तिलक का शुभ समय : 1 बजकर 10 मिनट 12 सेकंड से प्रारंभ होकर 03 बजकर 21 मिनट से 29 सेकंड तक रहेगा।
 
भाई दूज के शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:04 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर  01:32 से 02:17 तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 02:26 से 03:51 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:03 से 05:27 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:14 से 06:32 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:08 तक।
भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। 

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। जिससे उस दिन नारकीय जीवों को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए। पाप मुक्त होकर वे सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए। उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसी वजह से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।  
 
जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे उत्तम भोजन के साथ धन की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक की यातनाएं नहीं भोगता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।  
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भाई दूज की कहानी
यह कथा सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज तथा यमुना से संबंधित है। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें। परंतु यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे। कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो जाती हैं। प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर भोजन करवाती हैं। बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने वर मांगने को कहा, तब बहन यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमलोक चले गए। तब से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है। 
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