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साफ-सुथरी छवि ने दिलाई हर्षवर्धन को जीत

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नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन की साफ-सुथरी छवि का असर था कि अंदरूनी कलह पर विराम लगाते हुए भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरने में कामयाब रही और 15 साल के बाद अपनी ठोस चुनौती पेश कर पाई।

कम उम्र से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हर्षवर्धन ने दिल्ली के चुनाव में बिलकुल सटीक ढंग से पार्टी का नेतृत्व किया। हर्षवर्धन के करीबी भी उनके सरल व्यवहार और मिलनसार व्यक्तित्व से खासे प्रभावित रहते हैं। यही वजह है कि उन्हें समाज के अलग अलग तबकों का समर्थन मिलता है।

ईएनटी सर्जन के रूप में प्रैक्टिस करने वाले हर्षवर्धन 1993 से चुनावी राजनीति में आए और इसके बाद से लगातार कृष्णानगर सीट से जीतते आए हैं। अपने समर्थकों में ‘डॉक्टर साहब’ के नाम से मशहूर हर्षवर्धन को दिल्ली में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने के लिए याद किया जाता है। वे दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व में बनी पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।

उनके संघ से अच्छे रिश्ते हैं। दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी को खासा फायदा हुआ। दिल्ली में मंत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ने के बाद हर्षवर्धन ने पार्टी संगठन में पूरी क्षमता के साथ अपने दायित्वों को निभाया। साल 2003 के आखिर में उन्हें दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी को फिर से संगठित करने का श्रेय उनको दिया जाता है।

संगठन में उनके काम का नतीजा था कि अप्रैल, 2007 में हुए दिल्ली नगर निगम निगम चुनाव में भाजपा की शानदार जीत हुई। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने एक बार हर्षवर्धन के बारे में कहा था, वे अपने चिकित्सा ज्ञान का इस्तेमाल करने तथा आम आदमी की सेवा करने का अनुभव लेने के लिए राजनीति में आए।

दिल्ली में 13 दिसंबर, 1954 को पैदा हुए हर्षवर्धन ने एंगलो-संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की। स्वास्थ्य मंत्री के तौर उनके काम को मान्यता देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें मई, 1998 में ‘डायरेक्टर जनरल्स कमेंडेसन मेडल’ से नवाजा। (भाषा)

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