हिंसा का शिकार हुए बच्चों का अंतरराष्ट्रीय दिवस : International Day of Innocent Children Victims of Aggression

Webdunia
4 जून इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन (International Day of Innocent Children Victims of Aggression) यानी दुनिया भर में हिंसा का शिकार हुए बच्चों का अंतराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। फिर चाहे यह अग्रेशन यानी आक्रामक व्यवहार उन्हें समाज में मिलता हो, घर में मिलता हो या विद्यालय में मिलता हो। लेकिन बच्चे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। इस दिन के बाद हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को जागरूकता के तौर पर विश्व में मनाया जाता है, लेकिन 4 जून का यह अहम दिन कही न कही 5 जून पर्यावरण दिवस की आड़ में छिप जाता है क्योंकि लोग इस दिन के बारे में नहीं जानते हैं।  आइए जानते हैं इस दिन की महत्ता -

19 अगस्त 1982 को यूएन जनरल असेंबली ने इसकी दिवस की घोषणा की। इस दिवस को मनाया जाए। इस दिन की आवाज हर नागरिक तक पहुंचाई जाए। आज सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हर साल बच्चे एग्रेशन का शिकार होते हैं। इस अकुशल व्यवहार का बच्चों पर इतना गहरा असर पड़ता है कि वह कभी पूरी तरह से विकसित ही नहीं हो पाते हैं।

बच्चों पर इन 3 तरह से पड़ता है प्रभाव

1.फिजिकल अब्यूज - बात- बात पर बच्चों को डांट देना, मार देना, चिल्ला देना, उन्हें कभी भी मोटिवेट नहीं करना। कभी बहुत अधिक गुस्सा आता है तो बच्चों को मार भी देते हैं।

2.मेंटल अब्यूज - मानसिक तौर पर बच्चों को प्रताड़ित करना। कई बार बच्चे स्कूल में अच्छा परफाॅर्म नहीं करते हैं तब उन्हें बात- बात पर डांट लगाई जाती है, पेरेंट्स से शिकायत करने की बात कही जाती है। समाज में अलग - थलग रखा जाता है।

3.इमोशनल अब्यूज - बच्चों को इमोशनल ब्लैकमेल कर उनके साथ गंदा काम करना। परिवार में अच्छे - बुरे का भेदभाव करना, घर में ही भाई - बहन में भेदभाव करना। कुछ बच्चे हिम्मत से आगे बढ़ जाते हैं, कुछ एकदम चुप हो जाते हैं तो कोई गलत रास्ता भी चुन लेते हैं। इस तरह से बच्चों को अब्यूज कर प्रताड़ित किया जाता है। रिपोटर्स के मुताबिक 5 -14 साल तक के बच्चे इसका सबसे अधिक शिकार होते हैं।

45 हजार बच्चों पर किया सर्वे

- ह्यूमन राइट्स वाॅच द्वारा एक सर्वे किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक हर दूसरा बच्चा चाइल्ड अब्यूज का शिकार होता है।

- रिपोर्ट के मुताबिक हर चौथा परिवार अपने बच्चों के साथ हुई इस हरकत को छुपाने की कोशिश करता है।

जानिए कैसे हुई इस दिन की शुरुआत?

19 अगस्त 1982 को यूएन की एक आपातकालीन महासभा हुई। जिसमें फलस्तीन के हालात पर चिंता व्यक्त की गई। फलस्तीनी और लेबनानी मासूम बच्चों पर इजरायली सेना द्वारा क्रूरता बरती गई। जिस पर तुरंत एक्शन लेते हुए कार्रवाई की गई थी और इस दिन को ध्यान में रखते हुए हर साल 4 जून को दुनियाभर के मासूम बच्चों के लिए तय किया गया। ताकि बच्चों को उनके अधिकार और सुरक्षा को लेकर जागरूक कर सकें।

बच्चों में अग्रेशन के लक्षण

- दिनभर सुस्त और अकेले रहना
- किसी काम में रूचि नहीं होना
- दिनभर गुस्सा रहना और भूख नहीं लगना
- हर बात की जिद करना
- कहीं भी मन नहीं लगना

बच्चों को ऐसे बचाया जा सकता है

अग्रेशन के शिकार हो रहे बच्चे को सबसे पहले जमीनी स्तर से शुरुआत कर सकते हैं। पेरेंट्स अपने स्तर पर बच्चे को समझने की कोशिश करें।

- बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखें
- कम्युनिकेशन गैप नहीं होने दें
- आक्रामकता वाली चीजें नहीं दिखाएं, कार्टून भी नहीं दिखाएं
- बच्चे किन लोगों से बात करते हैं, दोस्त कैसे हैं
- शिक्षक बच्चों में भेदभाव नहीं करें।

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