फिर शुक्रवार आ गया और साथ ही हमारी ब्लॉग-चर्चा का दिन भी। हिन्दी में ब्लॉग्स की बढ़ती आबादी को देखकर ऐसा महसूस होने लगा है कि किस ब्लॉग की चर्चा की जाए और किसे छोड़ा जाए, क्योंकि हर ब्लॉग की कुछ-न-कुछ विशेषता जरूर रहती है।
पिछले हफ्ते यूनुस खान के ब्लॉग ‘रेडियोवाणी’ को चर्चा में शामिल किया गया था और संगीत के तार झंकृत हुए थे। इस बार रवि रतलामी के ब्लॉग के जरिए तकनीक को समझने का प्रयास किया जाएगा।
WD
WD
आइए जानें कुछ बातें रवि रतलामी के बारे में : रवि रतलामी मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के हैं। इन्होंने बीस सालों तक इलेक्ट्रिकल इक्यूपमेंट मैन्टेनेंस इंजीनियर के पद पर कार्य किया और उस विभाग से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर स्वतंत्र रूप से तकनीकी लेखन कर रहे हैं। मूल रूप से तकनीक से जुड़े होने के बावजूद इन्होंने ‘रचनाकार’ जैसे साहित्यिक ब्लॉग की शुरुआत की।
रवि रतलामी का ब्लॉग : इन्होंने जून 2004 में ‘रवि रतलामी का हिन्दी ब्लॉग’ बनाया। अपने ब्लॉग के शुरुआती दौर में इन्होंने आम घटनाओं को अपने ब्लॉग में शामिल किया। चूँकि ये तकनीकी क्षेत्र से सालों-साल जुड़े रहे, इसलिए उस मोह को त्याग नहीं सके और इनके ब्लॉग पर भी उसका असर मौजूद है।
आम घटनाओं के साथ-साथ तकनीक से जुड़ी जानकारियाँ इनके ब्लॉग का हिस्सा बनती गईं। 2006 में ‘रवि रतलामी का हिन्दी ब्लॉग’ को माइक्रोसॉफ्ट भाषा इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग से भी नवाजा था। इस ब्लॉग की विषय-सूची ‘तकनीकी’ के कुछ आलेखों पर नजर डालें तो ब्लॉग की विषय-वस्तु और भी स्पष्ट हो जाएगी-
* उबुन्तु लिनक्स में हिन्दी सक्षम कैसे करें * हैवलेट्ट पैकर्ड की तकनीकी अश्रेष्ठता -2 * निवियो- ऑलवेज टर्न्ड ऑन * विंडोज विस्ता हिन्दी पर पहली नजर * अमरीका ऑनलाइन आदि
इनके ब्लॉग की एक खासियत यह है कि यह न केवल हिन्दी में बल्कि अँगरेजी, गुजराती, बंगाली, तेलुगु, तमिल, पंजाबी, मलयालम, उडि़या, कन्नड़ भाषाओं में भी मौजूद है। इस ब्लॉग के अतिरिक्त ‘रचनाकार’ और ‘देसीटून्ज’ में भी रवि रतलामी का कौशल दिखता रहता है।
‘रचनाकार’ जहाँ पूरी तरह से गंभीर साहित्यिक ब्लॉग है, वहीं ‘देसीटून्ज’ में व्यंग्यात्मक शैली के कार्टून्स और केरीकेचर्स से आप प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएँगे।
नम हुईं आँखे ं नम हुईं आँखें सपने भी नम हुए होंगे । वक्ते रुक्सन यूँ भी तो सहम गए होंगे॥ कोई हो जिन्दगी कभी रियायत नहीं करती । उठते कदम बस इसलिए थम गए होंगे ॥ लौट आना पड़ा रुसवा होकर बेवजह । दोस्त के घर की तरफ बस कुछ कदम गए होंगे॥ अच्छी नहीं है बेरुखी नम उम्मीदों के ख़िलाफ़। इस बेरुखी में ख्वाब कितने जल गए होंगे॥
- ओम मेहर ा
‘रचनाकार’ ब्लॉग पर प्रकाशित हुई यह कविता गहरी संवेदनाओं से बुनी गई है, जिससे प्रतीत होता है कि रवि ने केवल तकनीक ही नहीं हर विधा को छूने का प्रयास किया है।
‘रवि रतलामी का हिन्दी ब्लॉग’ में तकनीक से जुड़ी जानकारियों के अलावा आम घटनाएँ, साहित्य और कला की हलचलें भी मौजूद हैं।