ब्लॉग-चर्चा आज उड़न-तश्तरी पर सवार है। उड़न तश्तरी उड़ती हुई हिंदी ब्लॉगों की दुनिया की सैर कर रही है। ब्लॉग माध्यम ने ऐसे बहुतेरे लोगों को लेखन के मैदान में उतारा, लिखना जिनका पेशा नहीं था और अगर हिंदी ब्लॉग न होते तो वे एक चिट्ठी से ज्यादा कुछ शायद ही कभी लिखते।
लेकिन ब्लॉग ने इसे संभव बनाया। इतना ही नहीं, अपने देश, अपनी जमीन और अपनी भाषा से बहुत दूर रहकर भी उससे जुड़े रहने का एक एहसास भी ब्लॉग ने दिया है। विदेशों में बसे ऐसे कई लोग हैं, जो हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से अपनी जबान और वह जबान बोलने वाले लोगों से जुड़े हुए हैं।
ओटैरियो, कनाडा में बसे समीर लाल की उड़न तश्तरी हिंदी का एक ऐसा ही ब्लॉग है, जो अँग्रेजी धरती पर अपनी जड़ों, अपनी मिट्टी की खुशबू में रचा-बसा है। समीर लाल उन कई ब्लॉगरों में से हैं, जिनके लिखने का कारण बना ब्लॉग। इस माध्यम ने लेखकीय कौशल और विशेषाधिकार के दंभ को भी कुछ तोड़ा है। लिखना और अच्छा लिखना, कुछ खास लोगों का विशेषाधिकार नहीं रह गया है।
उड़न तश्तरी की शुरुआत आज से दो साल पहले हुई और दो सालों में यह हिंदी के सबसे जाने-माने ब्लॉगों में से एक बन गया है। इसका अंदाजा उनके ब्लॉग पर आने वाली टिप्पणियों से भी लगाया जा सकता है, जो बहुत बार 60-70 के भी ऊपर होती हैं। हिंदी में इतनी ज्यादा टिप्पणियाँ कुछ गिने-चुने ब्लॉगों के ही खाते में दर्ज हैं। समीर लाल जी को सर्वश्रेष्ठ इंडिक ब्लॉगर और सर्वश्रेष्ठ उदीयमान चिट्ठाकार के खिताबों से भी नवाजा जा चुका है।
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कथा, संस्मरण, व्यंग्य, कविता, विचार सभी का आनंद उनके ब्लॉग में लिया जा सकता है। यहाँ पंजाबी में सीताजी के नाम राम की चिट्ठी भी है और डेढ़ घंटे में मय टिप्पणी पचास ब्लॉग निपटाने की कला भी। और भी बहुत कुछ है, जिसका समीर जी का अपना अनोखा, निराला अंदाज है।
डेढ़ घंटे में पचास पोस्ट निपटाने के गुर उनसे सीखिए - आज की स्थितियों में मान लीजिए, दिन की 50 पोस्ट आ रही हैं। मुझे इन 50 पोस्टों को पढ़ने और टिप्पणी करने में मात्र 1 से 1.30 घंटे का समय देना होता है बस !! क्या आप विश्वास करेंगे ? मेरा नियम होता है कि पहले मैं छोटी-छोटी पोस्ट, कविता आदि निपटाऊँ। फिर समाचार, फोटो आदि और फिर बड़े गद्य। उन बड़े गद्यों में अधिकतर स्कैन मोड़ में। कुछ जो पसंद आए, उन्हें अपना समय है, के अंदाज में.
ऐसा ही एक निराला खत है, राम का सीता के नाम, जो वो पंजाबी में लिख रहे हैं।
प्यारी सित्ता,
मैं इत्थे राजी खुशी से हाँ एंड होप के तु वी ठिक ठाक होवेंगी।
लक्ष्मण तेन्नु भोत याद करदा सी।
मैं इस बंदर दे हात्थ तन्नु चिट्ठी भेज रेहा हाँ।
तु बिल्कुल टेन्शन न लेई। मैं भोत जल्दी तेनु रावण कोलो छुड़ा लावाँगा।
उनके लेखन का अपना एक खास अंदाज है। हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में वेबदुनिया ने समीर जी से लंबी बातचीत की। ब्लॉगिंग की वर्तमान स्थितियों और उसके भविष्य के बारे में।