INDvsAUS भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम मानी जाने वाली रोहित एंड कंपनी रविवार को यहां नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में 12 साल के लंबे अंतराल के बाद विश्व कप ट्राफी उठाने के इरादे से उतरेगी।
भारतीय टीम कुल चार बार एकदिवसीय विश्वकप फाइनल में पहुंच चुका है। इससे पहले भारतीय टीम साल 1983, 2003, 2011 में फाइनल में पहुंची थी। इनमें से 2 फाइनल में भारत को जीत मिली थी और 1 में हार मिली थी। भारत की वनडे विश्वकप फाइनल में एकमात्र हार जिस टीम से मिली थी वह ऑस्ट्रेलिया ही है जो इस बार खिताबी भिड़ंत के लिए भारत से भिड़ेगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारतीयों के सामने पांच बार की विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया होगी, रोहित के जांबाज इसी टूर्नामेंट में कंगारूओं को धूल चटा चुके हैं मगर क्रिकेट के सबसे बड़े मंच में भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम को एक नये दिन में एक बार फिर उठ कर खड़े होने की काबिलियत रखने वाले कंगारूओं के साथ तय रणनीति के साथ मैदान पर उतरना होगा। इसके साथ ही करोड़ों भारतीयों की भावनाओं के दवाब से निपटने के लिये रोहित सेना को मनोवैज्ञानिक रूप से अधिक मजबूत बनना होगा।
दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम में एक लाख 30 हजार दर्शक मैच की एक एक गेंद पर भारतीय टीम की हौसलाफजाई करेंगे वहीं देश दुनिया में करोड़ों प्रशंसक भारत की जीत की दुआयें कर रहे होंगे। 2011 के बाद भारत के पास बेशकीमती विश्वकप की ट्राफी उठाने का भरपूर मौका होगा। भारत ने पहली बार विश्व कप में दुनिया की सभी टीमों कों बड़े अंतर से हराया है। टीम का हर सदस्य पूरे फार्म में है। क्रिकेट के दिग्गज भी मानते हैं कि उन्होने अपने जीवनकाल में इससे बेहतरीन भारतीय टीम नहीं देखी है।
आज से 40 साल पहले कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने लार्डस के एतिहासिक मैदान पर वेस्टइंडीज को हरा कर पहली बार विश्व कप ट्राफी उठायी थी। वह क्षण देश के करोड़ों भारतीयों के लिये अप्रत्याशित था,किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारत विश्व कप जीत सकता है। यह सपने के सच होने जैसा था। 2011 में कैप्टन कूल यानी महेन्द्र सिंह धोनी के मतवालों ने विश्व कप पर एक बार फिर अपना नाम लिख दिया जिसके बाद दुनिया में भारतीय क्रिकेट का वर्चस्व बढ़ता चला गया।
मौजूदा विश्व कप से पहले क्रिकेट के दीवाने देश में प्रशंसकों को विश्वास था कि भारत अंतिम चार तक जरूर पहुंचेगा मगर जिस शान के साथ भारत ने फाइनल में प्रवेश किया,उसकी उम्मीद भारतीयों ने नहीं की थी। अब विश्वकप के अंतिम पड़ाव को पार करने के लिये भारतीय टीम को आस्ट्रेलिया के साथ करोड़ों भारतीयों की भावनाओं के ज्वार से भी निपटना होगा।
क्रिकेट पंडितों के अनुसार भारतीय टीम के मौजूदा एकादश में किसी बदलाव की गुंजाइश नहीं दिखती है। अतिरिक्त प्रयास की बजाय भारतीयों को अपना स्वाभाविक खेल दिखाना होगा। कप्तान रोहित शर्मा हर बार की तरह एक बार फिर अपनी टीम को तेज शुरुआत देने की कोशिश करते दिखेंगे वहीं शुभमन गिल और विराट कोहली की भूमिका क्रीज पर समय बिताने के साथ स्कोरबोर्ड को तेजी से चलाने की होगी। मध्यक्रम में केएल राहुल,अजय जडेजा और सूर्यकुमार यादव कंगारु गेंदबाजों की धार को बेअसर करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ेंगे।
मोहम्मद सिराज,जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की खतरनाक तिकड़ी का लक्ष्य आस्ट्रेलिया के शुरुआती कुछ विकेटों को पावर प्ले के दौरान झटकने का होगा और अगर वे ऐसा करने में सफल रहते हैं तो भारत की राहें और आसान हो जायेंगी वहीं बीच के ओवरों में अजय जडेजा और कुलदीप यादव कंगारूओं की परीक्षा लेंगे।
भारतीयों को भलीभांति पता है कि आस्ट्रेलिया विश्व की एकमात्र टीम है जो दवाब में और निखर कर सामने आती है। मौजूदा टूर्नामेंट इसका गवाह है जब शुरुआती दो मैच हारने के बाद ऑस्ट्रेलिया का नया रूप सामने आया है। अफगानिस्तान के खिलाफ एकतरफा लड़ाई को सिर्फ दो ही खिलाड़ियों ने पलट दिया था। ग्लेन मैक्सवेल की तरह डेविड वार्नर,मार्कस स्टोइनिस के पास भी अपने बूते पासा पलटने की काबिलियत है वहीं एडम जंपा,मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड मजबूत दिखने वाली भारतीय बल्लेबाजी की परीक्षा लेंगे।
भारतीय टीम: रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, लोकेश राहुल, सूर्यकुमार यादव, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, रविचंद्रन अश्विन, शार्दुल ठाकुर, इशान किशन और प्रसिद्ध कृष्णा।
ऑस्ट्रेलिया: पैट कमिंस, डेविड वार्नर, ट्रेविस हेड, मिशेल मार्श, स्टीव स्मिथ, मार्नस लाबुशेन, ग्लेन मैक्सवेल, मार्कस स्टोइनिस, मिशेल स्टार्क, एडम जंपा, जोश हेजलवुड, कैमरन ग्रीन, जोश इंग्लिस, एलेक्स कैरी और सीन एबट।