जब भज्जी के लिए जिद पर अड़ गए थे सौरव गांगुली, चयनकर्ताओं को दे डाली थी ये धमकी

अखिल गुप्ता
गुरुवार, 8 जुलाई 2021 (12:41 IST)
साल 2001 विजय रथ पर सवार ऑस्ट्रेलियाई टीम इतिहास रचने के लिए भारत दौरे पर आई थी। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला मुकाबला मुंबई में खेला गया था और कंगारू टीम ने भारत को 10 विकेट से हराकर लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने का नायब रिकॉर्ड बनाया था। अब ऑस्ट्रेलिया की नजरें लगातार 17वां मुकाबला जीतने की थी और मैच खेला जाना था कोलकाता के ईडन गार्डन्स पर।

मुंबई टेस्ट में मिली हार से पहले भारतीय चयनकर्ता हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन कप्तान सौरव गांगुली चाहते थे कि भज्जी टेस्ट सीरीज खेले। बस फिर क्या था हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने के लिए गांगुली चयनकर्ताओं से अड़ गए। सौरव के बारे-बारे कह जाने के बाद भी चयनकर्ता हरभजन का चयन नहीं करना चाहते थे।

ऐसे में सौरव गांगुली ने चयनकर्ताओं को धमकी दे डाली कि ‘जब तक भज्जी टीम में नहीं आएंगा तब तक मैं कमरे से बाहर नहीं जाऊंगा।‘

बस फिर क्या था चयनकर्ताओं की एक न चली और दादा अपनी जिद मनवाने में सफल रहे। मुंबई टेस्ट में भले ही भारत 10 विकेट से हार गया हो लेकिन उस मैच में हरभजन के खाते में चार विकेट आए। हालांकि, पिक्चर अभी बाकी थी। सीरीज का दूसरा मुकाबला कोलकाता में खेला गया और उसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया...

ईडन गार्डन्स टेस्ट की पहली पारी में हरभजन के खाते में सात विकेट आई और सबसे खास बात तो यह रही कि वह भारत के लिए लाल गेंद के साथ हैट्रिक लेने वाले पहले खिलाड़ी भी बन गए। भज्जी ने पहली पारी में पोंटिंग, गिलक्रिस्ट और वॉर्न को आउट कर हैट्रिक ली। हरभजन यही नहीं रुके और दूसरी पारी में भी उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए कुल छह विकेट झटके। मैच में कुल 13 विकेट झटके और  मैन ऑफ द मैच भी बने।

यह वही ऐतिहासिक टेस्ट मैच था, जब भारत ने फॉलो ऑन खेलते हुए न सिर्फ कंगारू टीम के लगातार 16 जीत के रिकॉर्ड को तोड़ा था बल्कि 171 रनों से मैच जीतकर एक यादगार जीत भी दर्ज की थी।

इस श्रृंखला का अंतिम मुकाबला चेन्नई में खेला गया था, जब भी भज्जी की हरभजन ने अपनी कमाल की गेंदबाजी से सभी को खासा प्रभावित किया था। चेन्नई टेस्ट की पहली पारी में उनके खाते में सात और दूसरी पारी में कुल आठ विकेट आए थे और टीम इंडिया मैच दो विकेट से जीतने में सफल रही थी।

पूरी सीरीज में भज्जी ने तीन मैचों में सिर्फ 17.03 की बेहतरीन औसत के साथ 32 विकेट चटकाए थे और देश को हरभजन सिंह के रूप में एक स्टार ऑफ स्पिनर मिल गया था। जिसका पूरा श्रेय सौरव गांगुली को ही जाता है।

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