कोरोना को लेकर दोहरी मानसिकता से बचें लोग,बीमारी जितनी गंभीर,बचाव उतना ही आसान:मनोचिकित्सक

कोरोना होना होगा तो हो ही जाएगा कि मानसिकता लोगों को बना रही लापरवाह, मनोचिकित्सक

विकास सिंह
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021 (14:30 IST)
देश एक बार फिर कोरोना महामारी की चपेट में है। हर नए दिन के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए राज्य सरकार एक बार फिर लॉकडाउन की ओर बढ़ने लगी है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के लिए लोगों का मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करना सबसे प्रमुख कारण माना जा रहा है। ऐसे में जब महामारी अपने रौद्र रुप में तब भी लोग यह कहते-सुनते हुए नजर आ रहे है कि अगर कोरोना होना होगा तो हो ही जाएगा।

कोरोना की गंभीरता को जानते हुए भी बड़ी संख्या में लोग लापरवाही क्यों कर रहे है इसको समझने के लिए ‘वेबदुनिया’ ने जाने माने मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी से खास बातचीत की। बातचीत में की शुरुआत करते हुए डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि  देखिए जब भी कोई महामारी आती है तो एक पैनिक मोड और एंजायटी क्रिएट होती है क्योंकि हमें उस बीमारी खास कुछ पता नहीं होता। ऐसे में कुछ लोग एंजायटी कम करने के लिए अपने स्तर पर जानकारी एकत्र करना शुरु करते है और कुछ ऐसे लोग भी होते है जो एंजायटी से बचने के लिए बीमारी को अनदेखा कर लापवाही करते है।

वर्तमान में यहीं दोहरी मानसिकता बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण प्रतीत हो रही है। जहां एक ओर ये महामारी बहुत खतरनाक है तो दूसरी ओर इससे बचने के लिए बहुत ही सिंपल मेजर (मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग) अपने दैनिक जीवन शैली में शामिल करना। इसलिए लोगों के मन में यह सवाल होता है कि इतनी बड़ी महामारी से इतने सरल साधन से कैसे बचा जा सकता है या इतने सरल साधन से महामारी पर कैसे काबू में पाया जा सकता है। उनके मन में दोहरी मानसिकता पैदा होने लगती है कि अगर बीमारी बड़ी है तो मेजर्स भी बड़े होने चाहिए।  

मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कोरोना के केस बढ़ने का सीधा असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पिछले 15 दिनों में अचानक से ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई हई है जो कोरोना होने की आंशका और लॉकडाउन लगने को लेकर चिंतित नजर आ रहे है।

कोरोना और लॉकडाउन की खबरों से लोग अनिंद्रा के शिकार भी हो रहे है,मरीजों में एक अलग तरह की एजांइटी देखी जा रही है। वह कहते हैं कि कोरोना और लॉकडाउन के डर से अस्पताल आने वाले मरीज 6 से 8 महीने तक की दवा लिखने का दबाव बना रहे है। वहीं कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में पोस्ट कोविड एंजाइटी देखी जा रही है जिसमें उनको डर सता रहा है कि कहीं वह फिर कोरोना की चपेट में नहीं आ जाए।

कोरोना के डर से कैसे बचें- डॉक्टर सत्यकांत लोगों को सलाह देते है कि वर्तमान माहौल में सबसे जरुरी है कि लोग कोरोना से जुड़ी नकारात्मक खबरों से ज्यादा दूरी बना सकते हो वह बनाए। जिससे की वह किसी भी प्रकार की एंजाइटी के चपेट में आने से बच सकेंगे। इसके साथ कोरोना को लेकर वैज्ञानिक जानकारी ही लें। इसके साथ सरकार की ओर से जारी स्वास्थ्य बुलिटेन में दिए गए आंकड़ों को ही सहीं मानें।

डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि कोरोना वायरस पर रोक लगाने के लिए हमको अपने परिवार से इसकी शुरुआत करनी होगी। घर के मुखिया को यह बताना होगा कि हमें वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना ही है।
 

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