सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में रह रहे लोगों की कोविड जांच व टीकाकरण कराए केंद्र

Webdunia
बुधवार, 7 जुलाई 2021 (00:30 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में रह रहे लोगों की कोविड-19 संबंधी जांच की जाए और उनका जल्द से जल्द पूर्ण टीकाकरण हो। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की एक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों से लोगों को भिक्षुक गृह भेजे जाने के मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया और तुरंत इसे रोकने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यह नुकसानदेह है और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है।

ALSO READ: JEE Mains परीक्षा 20 जुलाई से, Corona के चलते सेंटर बढ़ाए
 
पीठ ने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल माधवी दीवान ने केंद्र की ओर से पक्ष रखते हुए अदालत को आश्वासन दिया है कि इस मामले को (टीकाकरण के) सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ लिया जाएगा। पीठ ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग इस मामले को तत्काल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ उठाएगा ताकि उचित निर्देश दिए जा सकें और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में रहने वाले लोगों के टीकाकरण के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिहाज से योजना तैयार की जा सके।

ALSO READ: सिर्फ 299 रुपए में Corona के लिए RT-PCR टेस्ट
 
पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल की इस दलील से सहमत है कि मानसिक समस्याओं से ग्रस्त लोगों की जांच और टीकाकरण के विषय को प्राथमिकता के साथ लिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 12 जुलाई को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की बैठक में शामिल होने और पूर्ण सहयोग करने का निर्देश भी दिया।
 
पीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ऐसे केंद्रों में जो लोग ठीक हो गए हैं, लेकिन अब भी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में हैं या जिन्हें अब भी उपचार की आवश्यकता है, उन लोगों के बारे में प्रस्तुत आंकड़ों में विसंगतियों को दूर करने को भी कहा। पीठ ने कहा कि वह अब से इस मामले पर नजर रखेगी और तीन सप्ताह बाद मामले पर सुनवाई करेगा, क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है।

ALSO READ: CoronaVirus India Update : भारत में मिले 34,703 नए मामले, 111 दिनों में सबसे कम
 
बंसल की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि करीब 10 हजार लोग, जो ठीक हो चुके हैं, उन्हें सामाजिक कलंक माने जाने के कारण अब भी देश के विभिन्न मानसिक अस्पतालों एवं संस्थानों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दीवान ने कहा कि महामारी के कारण कोई प्रगति नहीं हो सकी और 5 जुलाई को सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर 12 जुलाई की बैठक की जानकारी दी गई है।
 
पीठ ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। कई लोग जो सही हो जाते हैं, शायद उनके परिवार उन्हें स्वीकार नहीं करते। संबंधित अधिकारियों को बताएं कि वे गंभीरता लाएं और अदालत के आदेश का अनुपालन करें। दीवान ने कहा कि वह स्थिति की गंभीरता को समझती हैं क्योंकि महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य ने एक नया आयाम ले लिया है।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

tirupati laddu पर छिड़ी सियासी जंग, पशु चर्बी के दावे पर तेदेपा-वाईएसआरसीपी आमने-सामने

Kolkata Doctor Case : जूनियर डॉक्‍टरों ने खत्‍म की हड़ताल, 41 दिन बाद लौटेंगे काम पर

कटरा चुनावी रैली में कांग्रेस-नेकां पर गरजे PM मोदी, बोले- खून बहाने के पाकिस्तानी एजेंडे को लागू करना चाहता है यह गठबंधन

Mangaluru : 2 सिर और 4 आंख वाला दुर्लभ बछड़ा पैदा हुआ, देखने के लिए उमड़ा हुजूम

वन नेशन वन इलेक्शन में दक्षिण भारत पर भारी पड़ेगा उत्तर भारत?

सभी देखें

नवीनतम

ओडिशा की घटना पर प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ें, महिला आयोग संज्ञान ले : सुप्रिया श्रीनेत

गृहमंत्री अमित शाह ने बताई नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन

Bengal Flood : ममता बनर्जी ने बाढ़ को बताया साजिश, PM मोदी को लिखा पत्र, दी यह चेतावनी

Tirupati Laddu Controversy : जेपी नड्डा ने CM चंद्रबाबू से मांगी रिपोर्ट, बोले- जांच के बाद होगी उचित कार्रवाई

इस बार कश्मीर के चुनाव मैदान में हैं 25 पूर्व आतंकी, अलगाववादी और जमायते इस्लामी के सदस्य

अगला लेख
More