फतेहपुर। कोरोना काल में फतेहपुर का एक प्राइमरी स्कूल कोविड-19 संक्रमण से बचाव के प्रति जागरूकता फैलाने का केंद्र बन गया है।
फतेहपुर जिले में यमुना कटरी के किनारे स्थित अर्जुनपुर गढ़ा का प्राइमरी स्कूल इन दिनों 'वॉर रूम' में तब्दील हो गया है। महामारी की वजह से स्कूल में छात्र नहीं आ रहे हैं लेकिन शिक्षकों को बुलाया जा रहा है। ज्यादा काम नहीं होने की वजह से बचे समय को कोविड-19 के प्रति जागरूकता संबंधी रणनीतियां बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रधानाचार्य देवब्रत त्रिपाठी बताते हैं कि आज जब सारी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है, ऐसे में हम सिर्फ जागरूकता से ही इसे मात दे सकते हैं। हमारे विद्यालय का पूरा स्टाफ इसी उद्देश्य को पूरा करने में लगा हुआ है।
उन्होंने बताया कि उनके स्कूल में कुल छह शिक्षक हैं। सभी ने अपने अपने गांव और पास पड़ोस के इलाकों में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी बांट रखी है। इसकी योजना स्कूल में ही बनती है। इसके लिए सभी शिक्षक मिल बैठकर योजना बनाते हैं। सभी शिक्षक और कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों को मास्क पहनने, बार-बार साबुन से हाथ धोने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
फतेहपुर का अर्जुनपुर गढ़ा प्राथमिक विद्यालय यमुना की कटरी में बसा ऐसा स्कूल है, जो अपनी स्वच्छता, रख-रखाव और नवाचार के लिए पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
त्रिपाठी ने बताया कि अत्यंत पिछड़ा इलाका होने कारण क्षेत्र के लोग प्रारम्भ में कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे थे। मगर इसकी भयावहता के मद्देनजर विद्यालय के अध्यापकों ने लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया। आज जब कोई भी विद्यालय परिसर में आता है तो बगैर मास्क के नहीं आता है।
गढ़ा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि धर्मराज यादव ने कहा कि अर्जुनपुर स्कूल अपने ब्लॉक में सबसे अच्छा स्कूल है। खासकर कोरोना काल में यहां पर जनजागरूकता का अभियान अच्छी तरह से चला। साथ ही प्रवासियों के लिए व्यापाक इंतजाम किए गए। उन्होंने कहा कि यहां के अध्यापक बहुत मन लगाकर हर काम को अंजाम देते हैं।
वहीं, अर्जुनपुर गांव के रहने वाले रामजी बताते हैं कि कोरोना संकट में इस प्राथमिक विद्यालय ने बढ़-चढ़कर सेवा कार्य किया।
विकास की दौड़ में बहुत पिछड़े बुंदेलखण्ड से सटे फतेहपुर के गांव अर्जुनपुर गढ़ा में स्थित यह प्राथमिक पाठशाला अपनी कई और विशेषताओं के लिए भी चर्चित है।
यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बच्चों को दोपहर का भोजन कराने के लिए एक विशाल डाइनिंग हॉल भी बनवाया गया है, जिसमें करीब 200 बच्चे साथ बैठकर खाना खा सकते हैं। विद्यालय का विशाल बगीचा, स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने वाला माहौल और ऐसी कई चीजें हैं जो प्रदेश के अन्य स्कूलों के लिए अनुकरणीय बन चुका है। (भाषा)