दुनियाभर में Lockdown में आंशिक ढील, अमेरिका में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ी

Webdunia
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020 (01:43 IST)
कोपनहेगन। डेनमार्क में जहां टैटू पार्लर और स्कूल खुलने लगे हैं, वहीं जर्मनी में किताबों की दुकानें और ऑस्ट्रेलिया में समुद्र के तटीय हिस्से जनता के लिए एक बार फिर खोल दिए गए हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप से मामूली राहत मिलने के बीच दुनियाभर के कुछ देशों ने सोमवार से लॉकडाउन के प्रतिबंधों में आंशिक ढील देनी शुरू कर दी है। हालांकि, अमेरिका ने अधिक सतर्कता से कदम उठाए लेकिन लॉकडाउन को लेकर वहां राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है।
 
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि देश के कुछ हिस्से एक बार फिर सामान्य रूप से कार्य करने को तैयार हैं। पिछले कुछ दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राज्यों की ओर से घरों में ही रहने के आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का खुलकर उत्साहवर्धन किया। रिपब्लिकन शासित अधिकतर राज्यों समेत अन्य कुछ राज्यों ने भी प्रतिबंधों में आंशिक ढील देने संबंधी कदम उठाए।
 
लेकिन अन्य गर्वनरों ने चेताया कि जांच में तेजी लाने के लिए संघीय सरकार की मदद के बिना वह आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह आर्थिक गतिविधियों को दोबारा तेजी से शुरू करते हैं तो एक बार फिर संक्रमण का हमला झेलना पड़ सकता है। कुछ राज्यों के नेताओं का कहना है कि टेस्ट किट की कमी जैसे, संघीय सरकार के अपर्याप्त कदम बीमारी से निपटने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
 
देश की जांच प्रणाली में कोई खामी ना होने की बात पर जोर देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार शाम कहा कि वह कोरोना वायरस की जांच में इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों का निर्माण बढ़ाने के लिए रक्षा निर्माण कानून का इस्तेमाल करेंगे। ट्रम्प ने राज्य के गवर्नरों द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ अपने समर्थकों के प्रदर्शनों का भी बचाव किया।
उन्होंने कहा, ‘ये लोग हमारे देश से प्यार करते हैं। वे वापस काम पर लौटना चाहते हैं।’ समाज के हर तबके को प्रभावित करने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ देश की सरकारें छूट दे रही हैं जबकि अधिकतर देश धीरे-धीरे कदम उठा रहे हैं।
 
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कोई भी कदम धीरे-धीरे ही उठाया जाना चाहिए क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही एक बड़ी चूक साबित हो सकती है। विश्वभर में कोरोना वायरस से अभी तक लगभग 1,65,000 लोगों की जान जा चुकी है जबकि करीब 24 लाख लोग इसकी चपेट में हैं।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसस ने जी-20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ हुई ऑनलाइन बैठक में कहा, 'लॉकडाउन में ढील देना किसी भी देश में इस महामारी का अंत नहीं है। यह केवल अगले चरण की शुरुआत है।' उन्होंने सरकारों को सामान्य जीवन की ओर तेजी से जाने को लेकर आगाह करते हुए कहा, ' यह महत्वपूर्ण है कि ये उपाय एक चरणबद्ध प्रक्रिया हैं।'
 
ऑस्ट्रेलिया में टेलीविजन कार्यक्रमों की शूटिंग फिर से शुरू किए जाने की योजना बनाई जा रही है। सिडनी में रेंडविक सिटी काउंसिल ने समुद्र तटों को दोबारा खोल दिया है लेकिन साफ किया गया कि यहां धूप सेंकने की अनुमति नहीं होगी, केवल तैरने, दौड़ लगाने और टहलने जैसे व्यायाम की छूट रहेगी।
 
डेनमार्क में भी नाई की दुकानों, दंत चिकित्सकों और टैटू पार्लर जैसे कामों को दोबारा काम शुरू करने की इजाजत दी गई है। पार्लर में कुर्सियों को लगातार संक्रमण मुक्त करने के साथ ही ग्राहकों को सैनेटाइजर का इस्तेमाल करवाते हुए देखा गया। वहीं, भारत ने विश्व के सबसे बड़े लॉकडाउन में ढील देते हुए विनिर्माण और खेती संबंधी कुछ गतिविधियों में छूट दी है, लेकिन इस दौरान कर्मचारियों को सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी और स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा।
 
इस बीच, ईरान ने फंसी हुई अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के तहत शहर के कुछ राजमार्गों और बड़े खरीदारी केंद्रों को सोमवार से खोल दिया। इटली में उत्तरी क्षेत्र और दक्षिणी क्षेत्र के बीच प्रतिबंधों में ढील देने को लेकर तनाव देखने को मिल रहा है। उत्तरी क्षेत्र कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित होने के बावजूद उद्योगों को दोबारा शुरू करने का दबाव डाल रहा है जबकि दक्षिणी क्षेत्र को डर है कि अगर लॉकडाउन में ढील दी गई तो संक्रमण का प्रसार बढ़ सकता है।
 
इससे इतर फ्रांस में लॉकडाउन सख्ती से लागू है लेकिन सोमवार से लोगों को नर्सिंग होम में भर्ती अपने रिश्तेदारों से मिलने जाने की छूट प्रदान की गई है। चीन जहां से यह वैश्विक महामारी शुरू हुई थी, उसने यात्रा और अन्य प्रतिबंध हटा दिए हैं। उधर, लॉकडाउन ने आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन को बाधित कर दिया है और दुनिया ऐसी स्थिति में आ गई है, जो 1930 की महामंदी के बाद कभी नहीं आई।
 
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल विश्व अर्थव्यवस्था के तीन प्रतिशत संकुचित होने की आशंका जताई है। करोड़ों लोगों की नौकरी गई है और लाखों लोगों को डर है कि अगला नंबर उन्हीं का है। (भाषा)

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