इंदौर। कोरोना महामारी (Corona Virus) के कहर और शहर में Lockdown के चलते इंदौर के एक जैन परिवार में बेटी का विवाह बेहद सादगी के साथ संपन्न हुआ। परिवार के सदस्यों ने ही अपनी बेटी के विवाह की रस्में घर की चारदीवारी में पूर्ण कर बेटी को विदा किया।
दरअसल, इंदौर के एक जैन परिवार ने एक माह पूर्व अपनी बेटी के लग्नविधान को पक्का कर लिया था। उस समय ऐसा माहौल भी नहीं था। लेकिन, आपातकालीन परिस्थिति के इस नाजुक क्षण में सभी आयोजन निरस्त कर केवल परिवार के चुनिंदा सदस्यों के बीच अनूठे अंदाज में परिणय की रस्में अपने ही घर में पूर्ण कीं।
इस अवसर पर परिवार के सदस्यों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के 57 सूत्र के 17वें क्रम परिणय सूत्र के आधार पर अपनी बेटी के कन्यादान की रस्म पूर्ण की। इस परिणय में केवल वर-वधू के माता-पिता और वधू के भाई की उपस्थिति के साथ विधिकारक ने परिणय दीक्षा की रस्म पूरी करवाई।
उल्लेखनीय है कि इंदौर का मारू परिवार समाज में अपनी विशिष्टता और धर्म साधना के लिए ख्यात है। इस परिवार के सबसे छोटे बेटे अक्षय जैन ने आचार्य नवरत्नसागर जी महाराज से 17 वर्ष पूर्व अपने बच्चों के परिणय जैन विधान से करने और दिन के लग्न करने का नियम संकल्प लिया था, जिन्होंने धर्म मान्यतानुसार के साथ परिणय परिकल्पना को पूर्ण किया, जबकि इस अनूठे परिणय के साक्षी बनने के लिए करीब 40 ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शामिल होने की स्वीकृति भेजी थी।
अक्षय जैन ने अपनी बेटी किंजल का विवाह मुम्बई में सेंट्रल गवर्नमेंट में कार्यरत एप्पील ओरा से किया है।
इस विवाह में भगवान आदिनाथ की चौमुखी प्रतिमा की वेदी पर विराजित होकर भगवान पार्श्वनाथ दादा, पद्मावती देवी और आधिष्ठायक देव श्री नाकोड़ा भैरव की स्थापना की गई थी, जिसमें संस्कार वचनों के साथ जिन शासन आगम की मान्यतानुसार श्रावक- श्राविका धर्म पथ पर चलकर जीवन को उत्कृष्टता के साथ निर्व्हन करने की वचनबद्धता के फेरे हुए। इसे परिणय दीक्षा का नाम दिया था
वर-वधू के परिवारजन परिणय की इस मंगलबेला पर मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहे। इस अनूठे परिणय पर वरमाला में फूल के बजाय मोतियों की माला का इस्तेमाल किया गया। जैन विधिकार रत्नेश मेहता ने यह परिणय जैन शास्त्रों के मंत्रोच्चारित संगीत भक्ति भावना के साथ सम्पन्न करवाया।