कोरोना की दूसरी लहर के लिए मद्रास HC की EC को लताड़, आयोग ने दिया यह जवाब...

Webdunia
सोमवार, 26 अप्रैल 2021 (23:30 IST)
नई दिल्ली। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए अकेले जिम्मेदार ठहराए जाने के मद्देनजर सूत्रों ने सोमवार को कहा कि आयोग ने पहले बिहार में और फिर 4 राज्यों एवं 1 केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव के दौरान कोविड-19 से बचाव सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाए।

सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की जिम्मेदारी है, लेकिन आयोग ने संक्रमण से लोगों को बचाने के मकसद से पश्चिम बंगाल में प्रचार मुहिम पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों को लागू किया।

एक अधिकारी ने कहा कि नवंबर 2020 में सफलतापूर्वक बिहार विधानसभा चुनाव कराने के लिए आयोग की क्षमता की व्यापक प्रशंसा हुई थी। इस चुनाव में 7 करोड़ 30 मतदाताओं ने 1,06,000 मतदान केंद्रों पर मतदान किया था। उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की गई।

उन्होंने कहा, उस समय महामारी अपने न्यूनतम स्तर पर थी। देश में फरवरी में प्रतिदिन करीब 11000 नए मामले सामने आ रहे थे और जनवरी-फरवरी में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में उपचाराधीन मामलों में गिरावट आ रही थी। टीकाकरण चालू हो गया था और आर्थिक सुधार के संकेत मिलने लगे थे।

सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 संबंधी हालात में सुधार, समग्र पुनरुद्धार के संकेत और दूसरी लहर की आशंका की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होने के बावजूद आयोग ने सावधानी से कदम उठाने का फैसला किया, सभी एहतियातन कदम उठाए और उन सभी राज्यों में कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का पालन किया गया, जहां चुनाव होने थे।
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उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में कोविड-19 के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी से पहले छह अप्रैल को चुनाव समाप्त हो गए थे। सूत्रों ने कहा कि वैश्विक महामारी अप्रत्याशित रूप से फैली और इसी तरह आयोग ने भी अप्रत्याशित कदम उठाए।
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उल्लेखनीय है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए 'अकेले' जिम्मेदार करार दिया और कहा कि वह 'सबसे गैर जिम्मेदार संस्था' है। अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है।

इसने कहा कि निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को रैलियां और सभाएं करने की अनुमति देकर महामारी को फैलने का मौका दिया।(भाषा)

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