Covid 19 के मामूली संक्रमण के बाद लंबे समय तक बनी रहती है रोग प्रतिरोधी क्षमता : अध्ययन

Webdunia
मंगलवार, 25 मई 2021 (19:32 IST)
नई दिल्ली। कोविड-19 के मामूली संक्रमण से निपटने के कुछ महीने बाद भी लोगों में प्रतिरक्षी कोशिकाएं होती हैं, जो कोरोनावायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करती हैं। यह जानकारी एक अध्ययन में दी गई है। अमेरिका के सेंट लूइस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की कोशिकाएं जीवन भर रह सकती हैं जिससे हर समय रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रह सकती है।

ALSO READ: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर पर AIIMS निदेशक रणदीप गुलेरिया का बड़ा बयान
 
'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के मामूली संक्रमण से लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और इसमें बार-बार बीमार होने की आशंका कम हो जाती है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के वरिष्ठ लेखक अली एल्लेबेडी ने कहा कि पिछली गर्मियों में इस तरह की खबरें आईं कि संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधी क्षमता तेजी से कम होती है जिससे कोविड-19 हो जाता है और मुख्य धारा के मीडिया ने कहा कि इस कारण शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता लंबे समय तक नहीं टिक पाती है।

ALSO READ: मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए Unlock में भी सार्वजनिक और बड़े आयोजनों को नहीं मिलेगी मंजूरी
 
एल्लेबेडी ने कहा कि लेकिन यह आंकड़ों को गलत तरीके से पेश करना है। संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक स्तर का नीचे आना सामान्य बात है, लेकिन वह बिलकुल ही खत्म नहीं हो जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले लक्षण के 11 महीने बाद लोगों में फिर से रोग प्रतिरोधी कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं। उन्होंने बताया कि येकोशिकाएं लोगों के शेष जीवन तक जीवित रहेंगी और रोग प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करेंगी, जो कि यह लंबे समय तक प्रतिरक्षण क्षमता का दमदार सबूत है।
 
शोधकर्ताओं के अनुसार संक्रमण के दौरान एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाली प्रतिरोधी कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं और रक्त में आ जाती हैं जिससे एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि संक्रमण दूर होने पर ऐसी ज्यादातर कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं और रक्त में एंटीबॉडी का स्तर कम हो जाता है।

 
शोधकर्ताओं ने बताया कि एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाली कुछ कोशिकाएं लंबे समय तक रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं कहलाती है। ये कोशिकाएं अस्थि मज्जा यानी बोन मैरो में पहुंच कर वहां रहने लगती हैं और कम संख्या में ही सही, एंटीबॉडी उत्पन्न कर रक्त प्रवाह में पहुंचाती हैं। ये एंटीबॉडी वायरस के संक्रमण से बचाव करती हैं। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

1000km दूर बैठा दुश्मन पलक झपकते तबाह, चीन-पाकिस्तान भी कांपेंगे, लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

उद्धव ठाकरे की 2 दिन में 2 बार चेकिंग से गर्माई महाराष्ट्र की सियासत, EC ने कहा- शाह और नड्डा की भी हुई जांच

महाराष्ट्र में विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा अघाड़ी का मतलब भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी

Ayushman Card : 70 साल के व्यक्ति का फ्री इलाज, क्या घर बैठे बनवा सकते हैं आयुष्मान कार्ड, कैसे चेक करें पात्रता

बोले राहुल गांधी, भाजपा ने जितना पैसा अरबपति मित्रों को दिया उससे ज्यादा हम गरीब और किसानों को देंगे

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: झारखंड में दिखा मतदान का उत्साह, राज्यपाल संतोष गंगवार ने डाला वोट

Weather Update: पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी भागों में बढ़ी ठंड, दिल्ली एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड का एहसास

ट्रंप ने मस्क को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, विवेक रामास्वामी को भी मिला अहम पद

Jharkhand Election: झारखंड में सत्ता का कौन बड़ा दावेदार, किसकी बन सकती है सरकार

Manipur: जिरिबाम में मेइती समुदाय के 2 पुरुषों के शव बरामद, 3 महिलाएं और 3 बच्चे लापता

अगला लेख
More