बच्चों का कोरोना टीकाकरण 3 कारणों से है अनिवार्य, जानिए क्‍या हैं यह...

Webdunia
शुक्रवार, 14 मई 2021 (23:43 IST)
ओंटारियो/ऑक्सफोर्ड। हेल्थ कनाडा ने 5 मई को 12 से 15 साल के बच्चों के लिए कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 के एक वैक्सीन का इस्तेमाल करने को मंजूरी प्रदान कर दी। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने भी जल्द ही इसे अपनाया और अन्य देशों के भी ऐसा करने की संभावना है। कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए इसी तरह की मंजूरी पर विचार जारी है।

यह बहुत ही स्वागत योग्य समाचार है। जब तक ज्यादातार किशोरों और बच्चों का टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक आबादी के स्तर पर कोविड-19 से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त करना संभव नहीं होगा। हालांकि टीकाकरण से हिचक और बच्चों के लिए कोविड-19 के जोखिमों के बारे में गलत विश्वास जैसे कारक इसे चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बना सकते हैं।टीकाकरण को अनिवार्य बनाना लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।

दार्शनिक अनुसंधानकर्ता के रूप में हम बच्चों के अनिवार्य कोविड-19 टीकाकरण के पक्ष में अपने अनुसंधान के आधार पर तीन नीतिपरक दलील देते हैं। हम दावे के साथ कहते हैं कि बच्चों का टीकाकरण न कराने वाले लोगों पर दंड (जैसे कि जुर्माना या सामाजिक परिवेश एवं गतिविधियों से बेदखली) लगाना सरकारों के लिए नीतिपरक रूप से सही होगा।

बच्चों को नुकसान का जोखिम : यदि माता-पिता या अभिभावकों के लिए बच्चों को अपनी देखरेख में नुकसान या मृत्यु के ठोस जोखिम के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई आसान या किफायती तरीका है तो वे ऐसा कर सकते हैं। कोविड-19 से कुछ हद तक बच्चों के लिए अंगों के क्षतिग्रस्त होने, दीर्घकालिक कोविड या मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न होने का काफी जोखिम है। हमारे पास इस बारे में सीमित जानकारी है कि जोखिम समूह कितना बड़ा है और इसमें कौन शामिल हैं और इस बारे में भी कि किस हद तक इन स्थितियों का उपचार हो सकता है।

यदि कोविड-19 टीका बच्चों के अन्य मानक टीकों की तरह ही सुरक्षित और प्रभावी है (या समान रूप से सुरक्षित है, यह प्रतीत होता है, अधिकतर कोविड-19 टीके वयस्कों के लिए हैं) तो यह माता-पिता और अभिभावकों को अपने बच्चों को संक्रमण, जो उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है या जिससे मृत्यु तक हो सकती है, से बचाने के लिए एक आसान और किफायती तरीका होगा।

सरकार का दायित्व है कि वह ऐसे माता-पिता या अभिभावकों से बच्चों का संरक्षण करे जो अपने बच्चों को नुकसान या मृत्यु के ऐसे जोखिम में डाल सकते हैं जिससे आसानी से बचा जा सकता है। इसलिए राज्य का दायित्व है कि वह सैद्धांतिक और निर्णायक प्रतिकारी कारणों की अनुपस्थिति में इसे अनिवार्य करे कि माता-पिता अपने बच्चों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण कराएं।

हम यह स्वीकार करते हैं कि बड़े नुकसान और मृत्यु से बचाने के लिए राज्य वयस्कों पर आसान, किफायती तरीके अपनाने की जवाबदेही तय कर बच्चों की अन्य परिप्रेक्ष्य में रक्षा करते हैं, उदाहरण के लिए ड्राइविंग के समय उनके बच्चों के लिए कार सीट और सीट बेल्ट का इस्तेमाल कर।

अन्य को नुकसान का जोखिम : यदि अपने बच्चों का टीकाकरण कराकर माता-पिता या अभिभावक आसान, किफायती तरीके से दूसरों के लिए नुकसान और मौत का जोखिम कम कर सकते हैं तो उन्हें अपने बच्चों का टीकाकरण कराना चाहिए। कोविड-19 से हम सबको काफी अधिक खतरा है। टीकाकरण नहीं कराने वाले बच्चे बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं।

बच्चे समाज में प्राय: बड़े समूहों में (उदाहरण के लिए कक्षाओं में) शामिल होकर वायरस के प्रसार का बड़ा वाहक बन सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों को लंबे समय तक टीका न लगवाने की वजह से कोविड-19 वायरस को नए और अधिक खतरनाक स्वरूप विकसित करने और हम सबके लिए खतरा पैदा करने के मौके मिल जाते हैं।

सुरक्षित, प्रभावी कोविड-19 टीकाकरण माता-पिता और अभिभावकों को दूसरे लोगों को कोविड-19 से संबद्ध नुकसान या मृत्यु के बड़े जोखिम से बचने का एक आसान और किफायती तरीका उपलब्ध कराएगा। राज्य को आबादी को ऐसे नुकसान और मौत के जोखिम से बचाने के लिए उपाय अपनाने की आवश्यकता है जिससे आसानी और किफायती तरीके से बचा जा सकता है।

इसलिए राज्य का फिर से दायित्व (सैद्धांतिक और निर्णायक प्रतिकारी कारणों की अनुपस्थिति में) बनता है कि वह माता-पिता के लिए अनिवार्य करे कि वे अपने बच्चों का टीकाकरण कराएं। हम यह स्वीकार करते हैं कि बड़े नुकसान और मृत्यु से बचाने के लिए राज्य वयस्कों पर आसान, किफायती तरीके अपनाने की जवाबदेही तय कर बच्चों की अन्य परिप्रेक्ष्य में रक्षा करते हैं, उदाहरणार्थ ड्राइविंग के लिए गति सीमा निर्धारित कर, शराब के सेवन की सीमा निर्धारित कर और दृष्टि संबंधी जरूरतें निर्धारित कर।

हम पहले से ही यह भी स्वीकार करते हैं कि राज्य कई परिप्रेक्ष्य में माता-पिता के लिए जवाबदेही तय करता है कि वे ऐसे उपाय अपनाएं जिससे कि उनके बच्चे दूसरों के लिए खतरा पैदा न करें। कई उदारवादी लोकतंत्रों में बच्चों का टीकाकरण पहले से ही अनिवार्य है और अधिकतर उदारवादी लोकतंत्र यह अनिवार्य करते हैं कि बच्चे नागरिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल जाएं और वे इन्हीं कारणों से बच्चों को हथियार ले जाने से भी रोकते हैं।

बच्चों की कुशलक्षेम : महामारी को खत्म करने और टीकाकरण को अनिवार्य बनाने के लिए हमारे पास एक बहुत ही ठोस कारण बच्चों की कुशलक्षेम का है। हमें बच्चों को लॉकडाउन के मानसिक एवं शारीरिक प्रभावों या अपर्याप्त प्रतिबंधों के प्रभावों से या संक्रमण के प्रसार की वजह से स्कूलों के बंद होने के प्रभावों से बचाना ही होगा।

प्रतिबंधों और संक्रमण के प्रसार के प्रभावों का परिणाम इस रूप में सामने आता है कि कल्याण और कुशलक्षेम के अवसर घटते चले जाते हैं। अकेले शिक्षा पर पड़ रहे प्रभाव ही काफी चिंताजनक हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम बच्चों को हंसते-खेलते और फलते-फूलते देखना चाहते हैं। बच्चों के लिए टीकाकरण को अनिवार्य बनाने की तीसरी दलील बच्चों की कुशलक्षेम की विशिष्ट विशेषताओं पर है। वयस्कों की तुलना में बच्चों की कुशलक्षेम के विभिन्न तत्व हो सकते हैं। उदाहरण के लिए वयस्क प्रामाणिक प्रसन्नता और तार्किक इच्छाओं जैसे मूल्यों पर केंद्रित हो सकते हैं। ये (खासकर छोटे बच्चों के लिए) सच नहीं हो सकते।
ALSO READ: सरकार ने किया आगाह : Coronavirus फिर से उभर सकता है, तैयारी करने की जरूरत
बच्चों की कुशलक्षेम के मामले में प्रसन्नता और इच्छाओं की संतुष्टि मायने रखती है लेकिन यह हो सकता है कि केवल यही सब चीजें मायने न रखती हों। अन्य तथाकथित वस्तुगत चीजें बच्चों की कुशलक्षेम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इनमें प्रेमपूर्ण एवं सहयोगात्मक संबंध, विभिन्न प्रकार के खेल, सीखना और बौद्धिक विकास शामिल हैं।
ALSO READ: Coronavirus से जीतना है तो शामिल कर लीजिए इन 10 बातों को अपनी life में
महामारी को खत्म करना इसलिए भी जरूरी है, ताकि बच्चों को ऐसा माहौल दिया जा सके कि वे बचपन की चीजों का लुत्फ उठा सकें, जिसमें मित्रों और परिवार (खासकर बड़े-बुजुर्गों) के साथ अनमोल संबंध, विभिन्न प्रकार के आपस में खेले जाने वाले खेल, नई चीजों की खोज और बौद्धिक विकास तथा इन सब खुशियों को बिना किसी खतरे की चिंता के प्राप्त करना शामिल हैं।
ALSO READ: Coronavirus : कोरोना काल में अन्य स्वास्थ्य समस्या भी लोगों को कर रही हैं परेशान, जानिए
एक इंसान के जीवन में बचपन के दिन बहुत कम होते हैं यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को उन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार किया जाए, जिनका सामना उन्हें बड़े होने पर करना होगा, लेकिन यही वह समय भी होता है, जब बच्चे कुछ खास चीजों का अपने ही खास अंदाज में लुत्फ उठाते हैं। सभी बच्चों के लिए इस बचपन को बचाने का एक प्रभावी तरीका अनिवार्य टीकाकरण है। हमारा मानना है कि बच्चों के टीकाकरण के लिए ये दलीलें अकाट्य कारण हैं।(द कन्वर्सेशन)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

भारतीय छात्रों को जस्टिन ट्रूडो ने दिया बड़ा झटका, कनाडा ने फास्ट-ट्रैक वीजा किया समाप्त

हिमाचल में तेज हुई समोसा पॉलिटिक्स, BJP MLA ने CM को भेजे 11 समोसे

यूपी CM के पहनावे को लेकर अखिलेश यादव का तंज, सिर्फ कपड़ों से कोई योगी नहीं बनता

जमानत याचिका मामले में SC ने दिखाई सख्‍ती, कहा- एक दिन की देरी मूल अधिकारों का उल्लंघन

खरगे ने BJP पर लगाया भड़काऊ भाषणों के जरिए मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का आरोप

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: जम्मू-कश्मीर में 15 घंटे में 3 एनकाउंटर, किश्तवाड़ में 1 जवान शहीद, सोपोर में मारा गया 1 आतंकी

योगी ने अखिलेश के PDA का भी कर दिया नामकरण, प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई एंड अपराधी

सावरकर के नाम पर शाह की चुनौती का संजय राउत ने दिया जवाब, बोले महाराष्ट्र को समझने में विफल रहे

मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी पर साधा निशाना, लाल किताब को लेकर दिया यह बयान...

कश्मीर में बढ़ा आधुनिक हीटिंग उपकरणों के प्रचलन, घटी कांगड़ी की मांग

अगला लेख
More