शर्मनाक! कोरोना वीर डॉक्टर की अंत्येष्टि में आए लोगों पर हमला, सहकर्मी ने अकेले कब्र खोद कर दफनाया

Webdunia
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020 (07:38 IST)
चेन्नई। तमिलनाडु में एक अस्थि रोग विशेषज्ञ को आधी रात में फावड़ा उठाना पड़ गया क्योंकि उसे कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले अपने न्यूरोसर्जन मित्र को दफनाना था। दरअसल, डॉक्टर की अंत्येष्टि के लिए कई लोग आए थे लेकिन इसका विरोध कर रही भीड़ ने उन पर हमला कर दिया और सभी लोगों को शव को कब्रिस्तान में ही छोड़ कर भागने को मजबूर होना पड़ा।
 
इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चेतावनी दी कि यदि ऐसी घटनाएं रोकने में सरकारें असफल रहती हैं तो उपयुक्त जवाबी कदम उठाये जाएंगे।
 
लोग विरोध इसलिए कर रहे थे कि उन्हें लगता है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का शव उनके क्षेत्र में दफनाने से वहां भी संक्रमण फैल जाएगा। हालात ऐसे हो गए कि जिस एम्बुलेंस में 55 वर्षीय न्यूरोसर्जन का शव कब्रिस्तान तक लाया गया था भीड़ ने उसके कांच तोड़ दिए और ताबूत तक को नहीं बख्शा।
 
भीड़ ने ईंट, पत्थर, बोतल और लाठियों से वहां मौजूद सभी लोगों पर हमला किया और उन्हें वहां से भगा दिया। पुलिस के अनुसार इस घटना में दो एम्बुलेंस चालकों सहित सात लोगों के साथ मारपीट की गई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
 
सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और स्थानीय अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
 
वहीं, डॉक्टर की अंत्येष्टि में हुई हिंसा पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने आज तमिलनाडु सरकार और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर उसे 28 अप्रैल तक जवाब देने को कहा।
 
यह स्पष्ट करते हुए कि गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एम. निर्मल कुमार की विशेष पीठ ने मीडिया में इस संबंध में आयी खबरों के आधार पर इस पर स्वत: संज्ञान लिया।
 
आईएमए ने अपने बयान में कहा है कि यदि राज्य सरकारों के पास ऐसी घटनाओं को रोकने की शक्ति नहीं है तो वे शासन करने की नैतिकता खो चुकी हैं।
 
डॉक्टरों पर हो रहे हमलों के संदर्भ में आईएमए ने कहा कि उकसावों के बावजूद हम धैर्य रख रहे हैं। लेकिन हमारा धैर्य अनंत नहीं है। गालियां, हिंसा, थूकना, पत्थर खाना, सोसायटियों और आवासीय कालोनियों में प्रवेश पर पाबंदी, अभी तक बर्दाश्त करते रहे हैं, क्योंकि हमने सरकारों से आशा की कि वे अपना कर्तव्य निभाएंगी।
 
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा, ‘अगर वे अपने संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल हैं तो संभवत: यह सामान्य समय नहीं है। मरणोपरांत भी सम्मान नहीं मिलना, इससे बड़ा कोई पाप नहीं है।‘
 
आईएमए के महासचिव आर.वी. अशोकन ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि गैर-मेडिकल कारणों से और सेवाएं बंद हो जाएंगी। उन्होंने चेतावनी दी, ‘राज्य सरकारें अपने संवैधानिक कर्तव्य निभाएं। अगर वे असफल रहती हैं तो मेडिकल पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए आईएमए उपयुक्त जवाबी कदम उठाने को बाध्य होगा।‘
 
सर्जन डॉ के प्रदीप कुमार ने कहा कि ऐसा किसी के साथ भी नहीं होना चाहिए चाहे वह डॉक्टर हों या आम आदमी। हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने लोगों को मरते हुए देखा है लेकिन मैंने किसी को दफनाया नहीं था। उन्होंने अपनी जान पर खतरा के बीच अपने सहयोगी को दफनाया।
 
डॉक्टर प्रदीप ने बताया, ‘कब्र खोदना शुरू किये करीब 15 मिनट हुए होंगे, तभी 60-70 लोग ईंट, पत्थर और लाठियां लिए हुए वहां आए और हमपर हमला कर दिया। एम्बुलेंस से शव को उतार रहे उसके दो चालक घायल हो गए।‘ अंत्येष्टि की जिम्मेदारी निभा रहे दो सफाई कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि तीन अन्य पर भी हमला हुआ।
 
एक सवाल के जवाब में डॉक्टर ने कहा कि वहां कोई पुलिसकर्मी नहीं था, और हमले के कारण न्यूरोसर्जन की पत्नी और बेटे को भी वहां से जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि एम्बुलेंस चालक और वे किसी तरह वहां से शव को लेकर निकले। उन्होंने बताया कि एम्बुलेंस को अस्पताल पहुंचाकर सभी वहां से चले गए।
 
डॉक्टर प्रदीप ने कहा कि वहां मैंने अपना पीपीई लिया, दो अन्य कर्मचारियों को मदद के लिए साथ लिया और पुलिस की मदद लेकर खुद एम्बुलेंस चला कर कब्रिस्तान पहुंचे। कब्रिस्तान में सन्नाटा पसरा हुआ था, वहां कोई नहीं था, पुलिस आसपास तैनात थी।
 
उन्होंने बताया कि हम तीनों ने जल्दी से शव को कब्र में डाला क्योंकि डर था कि कहीं फिर से हमला ना हो जाए।’’ उन्होंने बताया कि शव को कब्र में डालने के बाद मिट्टी भरने वाला भी कोई नहीं था। उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ एक फावड़ा था, उसे मैंने एक कर्मचारी को दिया, बाकि दोनों ने अपने हाथ से मिट्टी डालकर उसे 8-10 फुट गहरे गड्ढे को भरा।
 
मृतक न्यूरोसर्जन के एक डॉक्टर मित्र का कहना है कि लोगों में जानकारी की कमी के कारण ऐसा हो रहा है, उन्हें बताना होगा कि दफनाए जाने के बाद उस शव से कोई खतरा नहीं है।
 
कोविड-19 को लेकर द्रमुक प्रमुख एम.के. स्टालिन द्वारा सरकार की आलोचना किए जाने पर तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर ने कहा कि यह राजनीति करने का वक्त नहीं है और विपक्ष के नेता को सस्ती राजनीति करने से बचना चाहिए।
 
हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि 20 लोग गिरफ्तार किए गए हैं और उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है।
 
तमिलनाडु के सरकारी डॉक्टरों के एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर के. सेंथिल ने हिंसा करने वालों के खिलाफ कठोर गुंडा कानून लगाने की मांग की है। (भाषा) 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

1000km दूर बैठा दुश्मन पलक झपकते तबाह, चीन-पाकिस्तान भी कांपेंगे, लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

उद्धव ठाकरे की 2 दिन में 2 बार चेकिंग से गर्माई महाराष्ट्र की सियासत, EC ने कहा- शाह और नड्डा की भी हुई जांच

महाराष्ट्र में विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा अघाड़ी का मतलब भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी

Ayushman Card : 70 साल के व्यक्ति का फ्री इलाज, क्या घर बैठे बनवा सकते हैं आयुष्मान कार्ड, कैसे चेक करें पात्रता

बोले राहुल गांधी, भाजपा ने जितना पैसा अरबपति मित्रों को दिया उससे ज्यादा हम गरीब और किसानों को देंगे

सभी देखें

नवीनतम

विजयपुर में शांति पूर्वक मतदान के लिए कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी नजरबंद, कलेक्टर ने फायरिंग की खबरों को किया खंडन

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, गलत कार्रवाई पर अफसर के खिलाफ सख्ती

हर दिन इस्तेमाल होते हैं Professional Life के ये 10 शब्द, जानिए इनके सही मतलब

बुधनी उपचुनाव में वोटिंग के बाद बोले शिवराज, जुडेंगे तो जीतेंगे, राहुल गांधी पर कसा तंज

झारखंड की 43 सीटों पर दिखा वोटिंग का उत्साह, दिग्गजों ने किया मतदान

अगला लेख
More