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घोषणाएँ निकालेंगी दम

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, सोमवार, 1 दिसंबर 2008 (20:21 IST)
रायपुर। सरकार चाहे भाजपा की बने या कांग्रेस की, उसे घोषणा पत्र पर अमल करने में चार से छह हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त लगेंगे। यह राशि वर्तमान बजट का 25 से 30 फीसदी हिस्सा होगा। यानी इतनी राशि लोगों को लुभाने में ही खर्च हो जाएगी। पूरा करने में सरकार का दम फूल जाएगा।

दोनों ही दलों ने बढ़-चढ़कर घोषणाएँ की हैं। इस साल राज्य का बजट 18 हजार 285 करोड़ रुपए का है। इसमें 900 करोड़ रुपए सस्ते चावल पर खर्च हो रहे हैं। इनके अलावा चरणपादुका पर 10 करोड़, छात्राओं की साइकिल पर 55 करोड़ व नमक पर 40 करोड़ रुपए बजट में शामिल हैं। बजट में हर साल लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है।

इस अनुमान से अगले साल यह राशि 20 हजार करोड़ को पार कर जाएगी। कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र बजट राशि 25 हजार करोड़ के आधार पर तैयार की है। कांग्रेस घोषणा पत्र निर्माण समिति का आकलन है कि इन पर अमल करने में लगभग चार हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने ज्यादा घोषणाएँ की हैं। उन्हें अपनी घोषणाएँ पूरा करने में पाँच से छह हजार करोड़ अधिक लगेंगे।

1300 करोड़ का चावल : भाजपा सरकार ने 35 लाख बीपीएल परिवारों को तीन रुपए किलो में चावल उपलब्ध कराया। इससे वर्तमान बजट 900 करोड़ रुपए लगे। इस बार भाजपा ने लगभग 9 लाख अंत्योदय कार्डधारियों को एक रुपए और शेष बीपीएल को दो रुपए किलो में चावल देने की घोषणा की है। इसकी गणना करें तो हर साल सस्ता चावल बाँटने में सरकार को लगभग 1300 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। कांग्रेस ने भी इस मामले में दरियादिली दिखाई है। उसने सभी 49 लाख कार्डधारियों को दो रुपए किलो में चावल देने की घोषणा की है। इसमें लगभग 1200 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।

भाजपा ने पिछले कार्यकाल में 25 पैसे किलो नमक दिया। इसमें 40 करोड़ रुपए हर साल खर्च हुए। इस बार इसे मुफ्त बाँटने की योजना है। नमक को लेकर कांग्रेस ने कोई घोषणा नहीं की है।

बोनस लेगा सरकार की जान : सरकार को सबसे ज्यादा परेशानी धान खरीदी पर बोनस देने में होगी। पिछले साल 35 लाख टन धान खरीदा गया था, जिसकी कीमत 2089 करोड़ रुपए थी। राज्य सरकार ने इस साल 35 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इस बार समर्थन मूल्य पिछले साल की तुलना में 205 रुपए ज्यादा है। भाजपा ने धान पर 270 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है। यदि इस पर अमल किया जाए तो लगभग 945 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होंगे। कांग्रेस की सरकार बनी तो वह 251 रुपए बोनस देगी। इसमें 878 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके पहले राज्य सरकार ने कभी बोनस नहीं दिया था। केंद्र सरकार किसानों को 50 रुपए बोनस दे रही है।

बिना ब्याज का ऋण : दोनों ही पार्टियों ने किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की है। सहकारी सोसाइटियों के जरिए इस साल 805 करोड़ रुपए ऋण दिए गए हैं। पहले इस पर 16 प्रतिशत ब्याज लगता था। धीरे-धीरे घटते हुए यह तीन प्रतिशत पर आ गया है। यदि किसानों से ब्याज नहीं लिया गयो तो सरकार को लगभग 32 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने होंगे।

60 करोड़ की मुफ्त बिजली : दोनों ही पार्टियों ने किसानों को पंप के लिए मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है। राज्य बनने के पहले किसानों को मुफ्त बिजली मिलती थी। कांग्रेस सरकार ने इसकी दर 75 रुपए प्रति हार्सपावर निर्धारित की। पाँच हार्सपावर वाले कनेक्शन पर हर महीने 375 रुपए बिजली बिल आता है। राज्य में 1.35 हजार कृषि पंप कनेक्शन हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है। इसके लिए लगभग 60 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। (नईदुनिया)

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