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चंद्रयान 75000 किमी की ऊँचाई पर

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भारत के अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 ने चाँद की ओर बढ़ती अपनी यात्रा का 20 फीसदी हिस्सा पूरा कर लिया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने शनिवार को कक्षा बढ़ाने का दूसरा प्रयास पूरा किया। इस अंतरिक्ष यान के 440 न्यूटन लिक्विड इंजन को सुबह पाँच बजकर 48 मिनट पर 16 मिनट तक चलाया गया।

इसरो के प्रवक्ता एस. सतीश ने कहा कि इंजन के इस तरह चलाने से चंद्रयान-1 का एपोजी यानी शिरोबिंदु (पृथ्वी से सबसे ऊँचा बिंदु) 74715 किलोमीटर तक जबकि पेरिजी यानी भूमिनीच बिंदु (पृथ्वी से सबसे नजदीक बिंदु) 336 किलोमीटर हो गया।

इसरो के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कक्षा बढ़ाने के आज के अभियान को रिकार्ड तोड़ने वाला करार दिया।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव नायर ने कहा कि अब तक भारत के उपग्रह 36000 किलोमीटर की ऊँचाई को छू चुके हैं। आज इंजन चलाने से चंद्रयान-1 कोई 75000 किलोमीटर तक चला गया। यह अब तक जो हासिल किया गया है, उससे कहीं आगे है। यह एक अच्छा आयोजन था, जो बिना किसी त्रुटि के पूरा हो गया।

भारत के पहले मानव रहित चंद्र अभियान की जटिलता की ओर संकेत देते हुए नायर ने कहा कि जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी से नजदीक होता है तो उसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र सुपरिभाषित होता है और वैज्ञानिक उसके प्रक्षेप पथ (ट्रेजेक्ट्री) को आकार दे सकते हैं।

नायर ने कहा कि जब आगे बढ़ते चले जाते हैं, पृथ्वी का प्रभाव कम होता जाता है। चाँद और सूर्य के असर का प्रभुत्व हो जाता है। यहाँ तक कि अन्य ग्रहों का भी उस पर असर पड़ता है।

चंद्रमा पृथ्वी से 384000 किलोमीटर की दूरी पर है। इसरो के अधिकारियों का कहना है कि चंद्रयान-1 के चंद्रमा की कक्षा में आठ नवंबर को स्थापित हो जाने की उम्मीद है, जो चाँद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर है।

इसरो ने कहा कि गत 22 अक्टूबर को छोड़े गए अंतरिक्ष यान की सभी प्रणालियाँ ठीक तरह से काम कर रही हैं। चंद्रयान-1 को अब भी और ऊँची कक्षा में ले जाने के लिए अगले कुछ दिनों में प्रयास होने की योजना है।

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