गांधी,नेहरू और बुद्ध का दर्शन है करियर विकल्प

-ऋषि गौतम

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आज जहां देश में युवाओं के पास करियर के ढेरों अवसर मौजूद हैं ऐसे में भारतीय दर्शन के क्षेत्र में अध्ययन करना आपको एक नया अनुभव देगा। भारतीय दर्शन हमेशा से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। आधुनिक युग में भी बुद्ध से लेकर महावीर,गांधी,नेहरू और अम्बेडकर के दर्शन को जानने की चाहत सिर्फ देशवासियों को ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी है। इन महापुरुषों के दर्शन और विचार आज के युवाओं को भी खूब भा रहे हैं। वर्तमान दौर में इनसे संबंधित लोगों और विशेषज्ञों की भी मांग काफी बढ़ी है। वैसे भारतीय दर्शन हमारे लिए कोई नया नहीं है। लेकिन किसी विश्वविद्यालय में कोर्स के रूप में इसे पढ़ना और फिर बाद में उनके किये गये कार्य,उनके विचार,और भारतीय समाज में इनके प्रभाव और भूमिका को लेकर शोध करना अपने आप में रोमांचकारी है। आज के वक्त में देश और समाज के लिए कुछ नया करने की चाहत रखने वाले छात्र इसका अध्ययन करके अपने इसे करियर के रूप में अपना सकते हैं। जानिए इन कोर्सेज के बारे में........

गांधियन स्टडीज-
आज भी महात्मा गांधी उतने ही प्रासंगिक हैं जितना वह अपने वक्त में थे। शांति के पुजारी इस शख्स के विचार इतने सशक्त हैं कि इतने वर्षों बाद भी सिर्फ भारत में ही नहीं,बल्कि पूरी दुनिया उनके दर्शन और विचारों का अनुसरण कर रही है। महात्मा गांधी के जीवन और चिंतन जो समाज में शांति और खुशहाली का संदेश देते हैं उसपर दुनियाभर के लोगों की दिलचस्पी है। तभी तो सिर्फ भारत में ही नहीं,बल्कि दुनिया के तमाम देशों के अलग-अलग संस्थान गांधी के विचारों और चिंतन से संबंधित कई तरह के कोर्स संचालित कर रहे हैं।

क्या है इस कोर्स में-
गांधी अध्ययन में एमए करने पर छात्रों को उनकी थ्योरी के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके तहत गांधीजी का बचपन,उनके प्रेरणा स्त्रोत,उनके सामाजिक,राजनीतिक विचार,सर्वोदय,सत्याग्रह,खादी,ग्रामीण उद्योग,ग्राम स्वराज,शिक्षा से संबंधित उनके विचार,सेवाग्राम,महिला शिक्षा,स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी की भूमिका सहित शांति स्थापना को लेकर गांधीजी के विचार का अध्ययन किया जाता है।

इसके अलावा,छात्रों को स्वावलम्बन,ग्राम स्वराज और ग्रामोत्थान,अहिंसा,सत्याग्रह,पंचायतीराज,विकेन्द्रीकरण,लघु और कुटीर उद्योग का विकास,पर्यावरण के अनकूल विकास का मॉडल जैसी चीजों के बारे में बताया जाता है। साथ ही विकास के जो गांधीवादी सिद्धांत या मॉडल हैं,उससे छात्रों को अवगत कराया जाता है। कोर्स में नैतिक मूल्यों को आत्मसात करने पर भी जोर रहता है।

उपलब्ध कोर्स-
गांधीयन स्टडीज से जुड़े उपलब्ध कोर्सेज में एमए,एम.फील.,पीएचडी,पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन गांधियन थॉट के अलावा दो-तीन महीने का शॉर्ट टर्म कोर्स भी संचालित होते हैं।

इससे जुड़े संस्थान-
सेंटर फॉर गांधी स्टडीज,यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान,जयपुर।
डिपार्टमेंट ऑफ गांधियन स्टडीज,पंजाब यूनिवर्सिटी,चंडीगढ़ ।
यूनिवर्सिटी गांधी अध्ययन पीठ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी ।
इंस्टीटयूट ऑफ गांधियन स्टडीज,वर्धा,महाराष्ट्र महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा ।
इंस्टीट्यूट ऑफ गांधियन थॉट एंड पीस स्टडीज,इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

अम्बेडकर स्टडीज-
भारतीय संविधान के पिता कहे जाने वाले भीमराव अम्बेडकर ने समाज में हाशिये पर रह रहे लोगों को नई दिशा दी। उनके विचारों और भाषणों में काफी तेज धार थी और वे समाज में बदलाव देखना चाहते थे। उनके विचार शुरुआती दौर से इतने प्रबल रहे हैं कि उन्हें लेकर गहन अध्ययन लगातार हो रहे हैं। इससे संबंधित अध्ययन के तहत अंबेडकर के दलित मामलों पर उनके विचार सामाजिक,आर्थिक,साहित्यिक और सांस्कृतिक मामलों के आईने में किए जाते हैं।

उपलब्ध कोर्स-
अधिकतर संस्थानों में अम्बेडकर के विचारों को लेकर तीन तरह के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं- पहला डिप्लोमा या डिग्री आदि,दूसरा एड-ऑन प्रोग्राम यानी एम.फिल.और तीसरा शोध।

देश में कहां से किए जा सकते हैं यह कोर्स-
डॉ.अम्बेडकर स्टडीज सेंटर,बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी,लखनऊ।
अम्बेडकर स्टडीज,जाधवपुर यूनिवर्सिटी,कोलकाता।
डॉ.अम्बेडकर स्टडीज सेंटर,यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू ।
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर स्टडीज सेंटर,कुरुक्षेत्र ।

बौद्ध स्टडीज-
बौद्ध दर्शन की शुरुआत हालांकि भारत में हुई लेकिन दुनिया के अधिकतर देश इसके दर्शन से काफी प्रभावित हैं। बौद्ध दर्शन को लेकर सबसे पहला ग्रेजुएट प्रोग्राम 1961 में उत्तरी अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ विन्सकोन्सिन मेडिसीन में शुरू किया गया। आज के दौर में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी,कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी,बर्लिन यूनिवर्सिटी,बॉन यूनिवर्सिटी,वियना यूनिवर्सिटी,टोक्यो यूनिवर्सिटी आदि में भी बौद्ध अध्ययन से संबंधित कोर्स संचालित किए जाते हैं। भारत में भी तमाम संस्थानों और विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई होती है। बौद्ध दर्शन और इसका अधिकतर साहित्य पाली भाषा में लिखा गया है,इसलिए इस दर्शन की बृहत ज्ञान प्राप्त करने के लिए पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक होता है।

उपलब्ध कोर्स-
बौद्ध दर्शन से संबंधित कोर्सेज में एमए,एमफिल और पीएचडी है।

कोर्स कराने वाले संस्थान-
डिपार्टमेंट ऑफ पॉली एंड बुद्धिस्ट स्टडीज,बनारस।
बुद्धिस्ट स्टडी सेंटर,दिल्ली यूनिवर्सिटी।
सेंटर इंस्टीटय़ूट ऑफ हायर तिब्बतन स्टडीज,यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता।
सेंटर फॉर बौद्ध स्टडीज,मुंबई यूनिवर्सिटी
सांची बौद्ध विश्वविद्यालय,सांची,मध्यप्रदेश

नेहरू स्टडीज-
नेहरु दर्शन के तहत उनके दर्शन और विचारों का अध्ययन किया जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्यरूप से मानवाधिकार से संबंधित विचारक और समाजवादी थे। नेहरू का मानना था कि भारत के लोगों को न सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से मुक्ति मिले बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी हासिल हो। वह पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र के जरिए मानवाधिकार लागू कराने के समर्थक थे। मानवाधिकार को लेकर नेहरू के विचार,नेहरू की आर्थिक दृष्टि,आधुनिक भारत के निर्माता,संविधान निर्माण में भूमिका,शिक्षा को लेकर दृष्टि,नेहरू और संसदीय लोकतंत्र,धर्मनिरपेक्षता को लेकर नेहरू का मत,उनकी विदेश नीति,पंचशील और शांति स्थापना आदि का अध्ययन किया जाता है।

उपलब्ध कोर्स-
विभिन्न संस्थान नेहरू के विचारों को लेकर सेमिनार,वर्कशॉप,शॉर्ट टर्म कोर्स के अलाबा एमए,एम.फिल.और रिसर्च भी संचालित करते हैं।

अध्ययन कराने वाले संस्थान इस प्रकार हैं-
सेंटर फॉर नेहरू स्टडीज,यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान।
जयपुर नेहरू स्टडी सेंटर,यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता।
नेहरू स्टडी सेंटर,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी,अलीगढ़।
नेहरू स्टडी सेंटर,जामिया मिल्लिया इस्लामिया,नई दिल्ली।

नौकरी के मौके-
एमए और पीएचडी करने वाले छात्रों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इस विषय के अध्ययन-अध्यापन में अवसर मिलते हैं। इसके अलावा,इस विषय के जानकारों के लिए सबसे बड़ा अवसर स्वयंसेवी संगठनों में काम करने का है। देश में तरह-तरह के एनजीओ इस कोर्स के छात्रों को अपने यहां काम के लिए अवसर मुहैया कराते हैं।

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