एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को एक बकरी देते हुए कहा- हम चाहते हैं कि आप इसे एक महीने अपने पास रखें। इस दौरान इसे दोगुनी खुराक दी जाए लेकिन इसका वजन न रत्तीभर कम होना चाहिए न ज्यादा। बीरबल चुनौती स्वीकारते हुए बोले- हुजूर, ठीक है लेकिन बकरी दिनभर आपकी निगरानी में रहे। इसे जैसी और जितनी खुराक आप खिलवाना चाहते हैं, खिलवाएँ। लेकिन रात को यह बकरी मेरी निगरानी में भिजवा दें।
आज 'बॉडी बिल्डर्स डे' है। आज से ही अपने शरीर, अपनी सेहत की ओर ध्यान देने के दंगल में उतर जाएँ ताकि आपका मंगल होता रहे। अब बस, मेरा भी व्यायाम का समय हो गया है।
बात तय हो गई। बकरी को तुलवा लिया गया और वैसा ही किया जाने लगा जैसा तय हुआ था। एक महीने बाद बादशाह ने बकरी का वजन कराया तो वह ठीक महीनेभर पहले जितना ही निकला। बादशाह ने खुश होकर बीरबल से इसका राज पूछा तो वह बोले- दिनभर खा-पीकर आई बकरी को रात में मैं शेर के पिंजरे के सामने बाँध देता था। दिनभर में वह जितना खाती थी, रातभर में शेर के डर के मारे उतना ही सूख जाती थी। इसलिए वजन कैसे बढ़ता।
साथियो, कितना बढ़िया तरीका अपनाया बीरबल ने। डर के मारे बकरी के शरीर को खाया-पिया लग ही नहीं पाता था। जब शरीर को नहीं लगता तो उसका वजन बढ़ता कैसे? शायद इसीलिए उन लोगों का भी वजन नहीं बढ़ पाता जो किसी खूँखार बॉस के अधीन काम करते हैं। उसके डर के मारे उनकी जान सूखती रहती है और बेचारों का खाया-पिया सब बराबर होता रहता है। इसके विपरीत उनकी जान सुखा-सुखाकर बॉस बढ़ता जाता है। शायद यही कारण है कि बॉस प्रजाति के अधिकतर महानुभावों का वजन तय सीमा से अधिक होता है। इसी में वे अपनी शान समझते हैं। वैसे भी बॉस शब्द के साथ जो छवि उभरती है वह किसी दुबले-पतले व्यक्ति की कम ही होती है।
अब यह बात अलग है कि बॉस बनने के बाद शरीर का वजन बढ़ने में मुख्य कारण होता है भागदौड़ का कम हो जाना। बॉस को खुद काम करने के बजाय दूसरे से करवाना पड़ता है। इसके चलते शारीरिक गतिविधि में कमी आ जाती है जिससे ऊर्जा की खपत कम हो जाती है और शरीर बढ़ने लगता है, क्योंकि व्यक्ति अपनी खुराक में कोई परिवर्तन जो नहीं करता। यानी डॉक्टरी भाषा में इनटेक तो अपरिवर्तित रहता है लेकिन आउटपुट में कमी आ जाती है। परिणामस्वरूप शरीर गुब्बारे की तरह फूलने लगता है और मोटापे की स्थिति बन जाती है जो व्यक्ति की कार्य क्षमता को कम करता है।
यही बात उन गृहिणियों पर भी लागू होती है जो सास बनने के कुछ समय बाद ही मोटी होने लगती है क्योंकि वे भी बहू के आने से अचानक घर के काम करना कम कर देती हैं। यही कारण है कि हर वह सास जो बहू के आने के बाद बैठ जाती है यानी काम करना बंद कर देती है, वह बड़ी मुश्किल से उठ पाती है। उसे तरह-तरह की बीमारियाँ लग जाती हैं सो अलग।
यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है या होना शुरू हुआ है तो हम आपसे कहना चाहेंगे कि तुरंत चेत जाएँ। जमाना बदल चुका है। ये नई दुनिया है जिसमें केवल काम करने वालों, भागदौड़ करने वालों के लिए जगह है। मोटापा आज शान का नहीं, लापरवाही का प्रतीक बन चुका है। यह लापरवाही नहीं तो क्या है कि आप अपनी सबसे कीमती चीज यानी शरीर की ओर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसलिए 'पहला सुख निरोगी काया' के अनुसार सेहतमंद बनो।
वजन बढ़ गया है तो उसे घटाओ। घटाने के लिए शेर को ढूँढने की बजाय खुद ही शेर बन जाओ। रोज व्यायाम करो। प्राणायाम करो, टहलो, घूमो। जितना खाओ, उससे ज्यादा गँवाओ। यह सब करोगे तभी आप प्रतियोगिता में बने रहोगे नहीं तो बाहर हो जाओगे। क्योंकि यह माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने शरीर को नहीं संभाल सकता वह जिम्मेदारियाँ क्या संभालेगा। इसलिए यदि आप योग्य हैं और आगे बढ़ते रहना चाहते हैं तो हमेशा अपने आपको चुस्त-दुरुस्त बनाकर रखें।
वैसे आज अधिकतर लोग अपनी हेल्थ के प्रति संवेनदशील हैं और तरह-तरह के तरीके अपनाकर अपने आपको चुस्त रख रहे हैं, ताकि कोई उन्हें सुस्त न समझ सके। उन्हें समझ में आ चुका है कि व्यायाम से वे अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को नए आयाम दे सकते हैं।
यदि आपकी समझ में भी यह आ गया है तो फिर देरी न करें। आज 'बॉडी बिल्डर्स डे' है। आज से ही अपने शरीर, अपनी सेहत की ओर ध्यान देने के दंगल में उतर जाएँ ताकि आपका मंगल होता रहे। अब बस, मेरा भी व्यायाम का समय हो गया है।