नई दिल्ली। सोने की बढ़ती मांग से चिंतित वित्त मंत्री अरूण जेटली ने घरों में निष्क्रिय पड़े मूल्यवान धातु को बाजार में लाने के इरादे से कई उपायों की घोषणा की। इन उपायों में विशेष खाते में सोना रखकर ब्याज प्राप्त किया जाना शामिल है।
संसद में 2015-16 का आम बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि देश में 20,000 टन सोना पड़ा होने का अनुमान है लेकिन इनमें से ज्यादातर का न तो कोई कारोबार होता है और न ही ये बाजार में आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और हर साल 800 से 1,000 टन सोने का आयात होता है।
उन्होंने स्वर्ण मौद्रिकरण योजना (जीएमएस) का प्रस्ताव किया जो स्वर्ण जमा तथा स्वर्ध धातु ऋण योजनाओं का स्थान लेगी। इस नई योजना के जरिए स्वर्ण जमाकर्ताओं को उनके ‘धातु खातों’ पर ब्याज अर्जित करने की अनुमति होगी और आभूषण निर्माता अपने धातु खाते में कर्ज प्राप्त कर सकेंगे। बैंक तथा अन्य डीलर भी इस सोने को मौद्रीकरण कर सकेंगे।
वित्त मंत्री ने वैकल्पिक वित्तीय संपत्ति सरकारी स्वर्ण बांड को सोने की खरीद के विकल्प के रूप में विकसित किए जाने की भी घोषणा की। इस बांड पर निश्चित ब्याज दर मिलेगा और बांडधारक सोने के अंकित मूल्य पर इसे भुना सकेंगे। जेटली ने यह भी घोषणा की कि सरकार भारतीय स्वर्ण सिक्का बनाने का काम शुरू करेगी जिस पर अशोक चक्र बना होगा। इस भारतीय स्वर्ण सिक्के से देश के बाहर बनने वाले सिक्कों की मांग कम करने और देश में उपलब्ध सोने के पुनर्चक्रण में मदद मिलेगी। (भाषा)