Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सेज डेवलपरों, इकाइयों पर 18.5 प्रतिशत मैट

हमें फॉलो करें सेज डेवलपरों, इकाइयों पर 18.5 प्रतिशत मैट
नई दिल्ली , सोमवार, 28 फ़रवरी 2011 (16:44 IST)
सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) डेवलपरों तथा इकाइयों द्वारा कमाए जाने वाले मुनाफे पर 18.5 प्रतिशत न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) लगाने का प्रस्ताव आज किया। कंपनियों ने सरकार के इस कदम को 'झटका' बताया है।

उल्लेखनीय है कि अब तक सेज के डेवलपरों तथा इसमें आने वाली इकाइयों को आयकर कानून की धारा 115 जेबी के तहत मैट से छूट मिलती रही है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए यह कर लगाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट कर देयता में समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के कदम के तहत, मैं सेज डेवलपरों के साथ साथ सेज में परिचालन करने वाली इकाइयों पर मैट लगाने का प्रस्ताव करता हूँ। कर दरों में यह बदलाव अप्रैल 2012 से प्रभावी होगा।

उल्लेखनीय है कि आयकर कानून में विभिन्न छूटों का लाभ उठाते हुए कर नहीं चुकाने वाली या बहुत कम कर चुकाने वाली कंपनियों को कर दायरे में लाने के लिए मैट की शुरुआत 1987 में की गई थी।

सरकार ने सेज डेवलपरों पर लाभांश वितरण कर लगाने का प्रस्ताव भी किया है जो इस साल जून से प्रभावी होगा।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने हालाँकि सरकार की इस पहल को पीछे जाने वाला कदम बताया है और कहा है कि इससे सेज में निवेश हतोत्साहित होगा। रहेजा डेवल्पर्स के उपाध्यक्ष मनोज गोयल ने कहा कि यह सेज डेवलपरों तथा सेज में स्थापित इकाइयों के लिए झटका है। (कंपनी गुडगाँव में आईटी) आईटीईएस सेज चलाती है।

केपीएमजी के डिप्टी सीईओ दिनेश कानाबर ने कहा कि सेज डेवलपर तथा इकाइयों पर मैट लगाने का फैसला पीछे ले जाने वाला कदम है क्योंकि यह उस आय पर कर लगाने का प्रस्ताव करता है जो कर छूट की प्रतिबद्धता के साथ किए गए निवेश से निवेश से मिलती है।

जोंस लैंग लासेले इंडिया के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा के सरकार के इस कदम से डेवलपरों को सेज से मिलने वाला वह फायदा लुप्त हो जाएगा जो उन्हें अन्य वाणिज्यिक रीयल एस्टेट आस्तियों से इतर मिलता है।

हालाँकि इन क्षेत्रों को राहत के रूप में एक नई योजना भी पेश की जा रही है जिसके तहत सेज की इकाइयाँ सेवाओं की कर मुक्त प्राप्तियाँ पा सकेंगी और अपना रिफंड अधिक आसान ढंग से पा सकेंगी। इन प्रस्तावित सेवाओं की खपत पूरी तरह से सेज क्षेत्र में ही होनी चाहिए।

देश के कुल निर्यात में सेज से होने वाले निर्यात का हिस्सा लगभग एक तिहाई है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi