संसद में सोमवार को पेश वर्ष 2010-11 के आम बजट को दिशाहीन करार देते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने कहा कि इसने आम आदमी, महिलाओं को निराश और युवाओं को हताश किया है।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने अपनी फौरी टिप्पणी में कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट में लोगों को आँकड़ों के जाल में उलझाने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि बजट ने आम आदमी, महिलाओं को निराश और युवाओं को हताश किया है। बजट में बेरोजगारी, महँगाई के बारे में कोई उल्लेख नहीं है और ऐसा लगता है कि सरकार इसे कोई समस्या ही नहीं मानती है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार स्तर पर कुछ नहीं किया जा रहा है जबकि निजी अस्पतालों को सेवा कर के दायरे में लाकर स्वास्थ्य पर आने वाले खर्च को बढ़ाने का काम किया गया है। आँगनवाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि एक अच्छा कदम है, लेकिन कर क्षेत्र में कुछ भी खास नहीं है।
सुषमा ने कहा कि यह दिशाहीन बजट है जिसने आम आदमी को निराश किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह बजट चुनौतीपूर्ण घड़ी में तैयार किया गया है, लेकिन इसमें अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कोई ठोस एवं निर्णायक कदम नहीं हैं। कर के क्षेत्र में जो प्रस्ताव किए गए हैं वह एक हाथ देने और दूसरे हाथ देने जैसा है। सरकार ने खर्च में कटौती के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं।
सिन्हा ने कहा कि यह एक साधारण बजट है जिसमें आर्थिक चुनौतियों से निपटने की दिशा का सख्त अभाव है। यह बजट वित्त मंत्री के व्यक्तित्व के अनुरूप है। वह एक सुधारक के रूप में नहीं जाने जाते हैं और इस बजट में भी सुधार की कोई बात नहीं कही गई है।
भाजपा के अनंत कुमार ने कहा कि बजट में भ्रष्टाचार, महँगाई, कालाधन पर लगाम लगाने के बारे में कोई ठोस बात नहीं कही गई है। वित्त मंत्री विकास दर की कितनी भी बात करें, लेकिन राजकोषीय घाटा और महँगाई ने सभी पर पानी फेर दिया है।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि महँगाई, भ्रष्टाचार, बेराजगारी को नियंत्रित करने के लिए जो इच्छा शक्ति होनी चाहिए थी, बजट में उसका सख्त अभाव दिखाई दिया है। (भाषा)