वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट में कच्चे तेल के वैश्विक मूल्यों में उछाल पर काबू करने के लिए सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क कम करने की माँगों को अनदेखा किया है, जिसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इस समय कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुँच गए हैं। मुखर्जी ने लोकसभा में आज पेश किए गए वर्ष 2011-12 के बजट में कच्चे तेल पर सीमाशुल्क को मौजूदा पाँच प्रतिशत के स्तर पर ही बरकरार रखा है और पेट्रोल तथा डीजल पर यह साढ़े सात प्रतिशत बना रहेगा। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 14.35 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4.60 रुपए प्रति लीटर ही बना रहेगा।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में देश की अर्थव्यवस्था पर कच्चे तेल के बढ़ते दामों के प्रभाव को लेकर एक शब्द भी नहीं बोला, जिसकी देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 75 प्रतिशत निर्भरता आयातित तेल पर है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को फिलहाल पेट्रोल पर करीब 2.25 रुपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है, जिसे पिछले साल जून में सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया था।
तेल कंपनियों ने वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में सीमाशुल्क और उत्पाद शुल्क में कटौती की पूर्व संभावना को देखते हुए पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी थाम रखी थी।
इसी तरह तेल कंपनियाँ फिलहाल डीजल को आयातित मूल्य से 10.74 रुपए प्रति लीटर कम मूल्य पर बेच रही हैं और सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं होने पर कच्चे माल की कीमत बढ़ने के एवज में कंपनियों के पास कीमत बढ़ाने का ही विकल्प शेष बचता है।
पेट्रोलियम मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह पेट्रोल-डीजल के मूल्य के मामले को बजट पेश होने के बाद प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह के समक्ष रखेंगे। (भाषा)