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किसानों को चार प्रतिशत ब्याज पर कर्ज

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नई दिल्ली , सोमवार, 28 फ़रवरी 2011 (16:07 IST)
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सरकार ने देश के किसानों को अब चार प्रतशत के ब्याज पर कृषि ऋण देने की पेशकश की है, जो बाजार दर से तीन फीसद कम है। यह सुविधा उन किसानों को प्राप्त होगी, जो समय पर अपना कृषि ऋण चुकाएँगे। इसके साथ ही सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए ऋण देने को लक्ष्य में एक लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है।

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट प्रस्ताव में कहा कि सात प्रतिशत के ब्याज पर अल्पावधिक फसल ऋण की ब्याज सब्सिडी योजना वित्त वर्ष 2011-12 में भी जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए ऋण वितरण लक्ष्य को एक लाख करोड़ रुपए बढ़ाकर 4,75,000 करोड़ रुपए किया गया है। इसके अलावा बैंकों से कहा गया है कि वे लघु एवं सीमांत किसानों को ऋण उधारी देने पर ध्यान केन्द्रित करें।

उन्होंने कहा कि पिछले बजट में मैंने उन किसानों के लिए ब्याज पर दो प्रतिशत की अतिरिक्त रियायत दी थी, जिन्होंने समय पर ऋण का भुगतान किया। ऐसे किसानों को मैं 2011-12 में तीन प्रतिशत की ब्याज छूट देने का प्रस्ताव करता हूँ। ऐसे किसानों के लिए ब्याज की प्रभावी दर चार प्रतिशत होगी।

खाद्य वस्तुओं की उँची मुद्रास्फीति और दलहन एवं तिलहन के लिए आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए वित्त मंत्री ने सब्जियों, दलहनों, तिलहनों, चारा और मोटे अनाज और मक्का जैसे पोषण तत्वों से समृद्ध अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की।

ऑइल पाम की खेती के लिए 300 करोड़ का प्रावधान : सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए देश में आयल पाम की खेती को बड़े पैमाने पर फैलाने की योजना बनाई है।

उन्होंने किसानों को बाजार के साथ जोड़ते हुए आयल पाम के बागवानी को 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार के लिए वित्त वर्ष 2011-12 में 300 करोड़ रुपए के आवंटन का प्रस्ताव किया है।

वित्त मंत्री ने वर्ष 2011-12 का बजट पेश करते हुए कहा कि देश में खाद्य तेलों की कुल माँग का सिर्फ 50 फीसद ही घरेलू उत्पादन से पूरा हो पाता है। आपूर्ति की इस कमी को महँगे आयात से पूरा किया जाता है। इसलिए आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सर्वाधिक सक्षम तिलहनी फसल पाम तेल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। (भाषा)

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