द लेजेंड ऑफ टारजन : मूवी रिव्यू

समय ताम्रकर
टारजन का किरदार सदैव ही फिल्मकारों को लुभाता रहा है। एडवेंचर, रोमांस, जंगल, जानवर और एक ताकतवर हीरो इस कहानी की खासियत हैं। हॉलीवुड सहित बॉलीवुड में कई फिल्में इस किरदार को लेकर बनी है। हेमंत बिरजे तो मात्र एक फिल्म के जरिये ही टारजन के रूप में मशहूर हो गए। 
 
'द लेजेंड ऑफ टारजन' इस कड़ी में एक और फिल्म है जिसे बड़े बजट के साथ बनाया गया है। टारजन की कहानी जंगल बुक से मिलती-जुलती है। फर्क इतना है कि वो कहानी बच्चों के लिए है और टारजन को बच्चों के साथ युवा भी पसंद करते हैं। 
 
कहानी की शुरुआत 1884 से होती है। कांगो पर बेल्जियम के राजा का नियंत्रण हो जाता है। आर्थिक हालत गिरने के कारण लियान रोम को कांगो भेजा जाता है। कांगो के मुखिया से लियान एक सौदा तय करता है। कांगो का मुखिया उसे बेशकीमती हीरे देगा, लेकिन बदले में उसे टारजन चाहिए। वह टारजन से अपने बेटे की मौत का बदला लेना चाहता है। 
 
टाजरन इन दिनों इंग्लैंड में अपनी पत्नी जेन के साथ रहता है। उसे कांगो बुलाया जाता है जहां लियान उसे पकड़ने की कोशिश करता है। टारजन बच निकलता है, लेकिन उसकी पत्नी जेन पकड़ में आ जाती है। जेन को लेकर लियान भाग निकलता है और उसे पता है कि टारजन उसके पीछे-पीछे आएगा। किस तरह से जेन को टारजन बचाता है यह फिल्म का सार है। 


 
कहानी साधारण है और इसमें उतार-चढ़ाव बिलकुल नहीं है। आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। अक्सर सुपरहीरो की कहानियां ऐसी ही होती हैं, लेकिन एक्शन और रोमांच का कलेवर होने से दर्शकों को यह लुभाती है। टारजन इस मामले में पिछड़ जाती है। 
 
फिल्म की शुरुआत अच्छी है, जब कांगो के लिए लियान निकलता है और उसकी लड़ाई स्थानीय लोगों से होती है, लेकिन इसके बाद फिल्म धीमी पड़ जाती है। दर्शक टारजन में एक्शन और रोमांच का इंतजार करते हैं और यह इंतजार बहुत ही लम्बा हो जाता है। फिल्म में जब भी लियान स्क्रीन पर आता है, बोरियत हावी हो जाती है। 
 
टारजन के अतीत की बातें भी फिल्म में बीच-बीच में दिखाई गई हैं। कैसे टारजन जानवरों के बीच पहुंच गया? कैसे उसे पाला गया? जेन से उसकी मुलाकात कैसे हुई? लेकिन ये बातें इस तरह से दिखाई गई हैं कि दर्शकों को संतुष्टि नहीं मिलती। ऐसा लगता है कि केवल फिल्म की लम्बाई बढ़ाने के लिए ये दृश्य रखे गए हैं। 
 
फिल्म का क्लाइमैक्स जरूर शानदार है जब जंगल के सारे जानवर टारजन के एक इशारे पर दुश्मनों पर हमला करते हैं और इसे देख ही थोड़ा रोमांच महसूस होता है। 
 
कम्प्यूटर जनरेटेड इमेजरी (सीजीआई) के मामले में फिल्म कमजोर साबित हुई है। जिन्होंने 'द जंगल बुक' देखी है वे 'टारजन' देख निराश होते हैं। 'द जंगल बुक' में कितनी सफाई से ये दृश्य गढ़े गए थे, लेकिन 'टारजन' में वो सफाई नदारद है। फिल्म के एक शॉट में तितली को जेन देखती है। तितली कहीं और उड़ती है और जेन की निगाह कहीं और रहती है।  
 
फिल्म का निर्देशन डेविड येट्स ने किया है जिन्होंने हैरी पॉटर सीरिज की शानदार फिल्में बनाई हैं। 'द लेजेंड ऑफ टारजन' में वे आउट ऑफ फॉर्म दिखाई दिए। टारजन की खूबियों का उन्होंने पूरा उपयोग नहीं किया। फिल्म में वे जोश पैदा नहीं कर पाए लिहाजा ज्यादातर जगह फिल्म सुस्त लगती है। 
 
एलेक्झेंडर स्कार्सगार्ड ने टारजन की भूमिका निभाई है। टारजन के रूप में उनकी फिजिक जबरदस्त है जिसके कारण उनके फाइट सीन विश्वसनीय बन पड़े हैं। उनका अभिनय बेहतरीन है और पहली फ्रेम से ही वे टारजन के रूप में दर्शकों पर अपना विश्वास जमा लेते हैं। 
 
जेन के रूप में मार्गोट रॉबी प्रभावित करती हैं, हालांकि उनका इस्तेमाल फिल्म में ठीक से नहीं हुआ है। सैम्युअल एल. जैक्सन ने टारजन के साइड किक की भूमिका निभाई है और वे जबरदस्त रहे हैं। अपने मस्तमौला किरदार के जरिये उन्होंने दर्शकों का अच्छा मनोरंजन किया है। क्रिस्टोफ वाल्ट्ज़ बेहतरीन अभिनेता हैं, लेकिन उनके लिए अच्छे सीन नहीं लिखे गए हैं। वे खौफ पैदा नहीं कर पाए। 
 
कुल मिलाकर 'द लेजेंड ऑफ टारजन' अपेक्षाओं कर खरी नहीं उतर पाती। 
 
निर्देशक : डेविड येट्स
कलाकार : एलेकझेंडर स्कार्सगार्ड, मार्गोट रॉबी, सैम्युअल एल. जैक्सन, क्रिस्टोफ वाल्ट्ज़
1 घंटा 50 मिनट
रेटिंग : 2/5
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