Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

द फैमिली मैन 2 रिव्यू : रोमांचक स्क्रीनप्ले, दमदार एक्टिंग और क्वालिटी प्रोडक्शन के कारण सीरिज देखने लायक

हमें फॉलो करें द फैमिली मैन 2 रिव्यू : रोमांचक स्क्रीनप्ले, दमदार एक्टिंग और क्वालिटी प्रोडक्शन के कारण सीरिज देखने लायक

समय ताम्रकर

, शुक्रवार, 4 जून 2021 (16:36 IST)
द फैमिली मैन के पहले सीजन के बाद से ही सीज़न 2 का इंतजार शुरू हो गया था क्योंकि थ्रेट एनालिसिस एंड सर्विलांस सेल (TASC) में इंटेलीजेंस ऑफिसर श्रीकांत तिवारी के देश को बचाने के मिशन ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। सीजन 2 में श्रीकांत नए ‍मिशन पर है और पहले सीज़न से भी कुछ तार जोड़े गए हैं। नई कहानी, नए किरदार और नई लोकेशन के कारण दर्शक ताजगी महसूस करते हैं और श्रीकांत का यह मिशन भी रोमांच से भरपूर है।

इस बार खतरा श्रीलंका से भारत में घुस आए आतंकियों से है जिनका इरादे खतरनाक है। लंदन से इन आतंकियों को सपोर्ट मिलता है जिसमें पाकिस्तानी हाथ भी है। इनके मिशन को असफल करने का ‍जिम्मा श्रीकांत (मनोज बाजपेयी) और उसके साथियों पर है जो देश को बचाने के ‍लिए जी-जान लगा देते हैं। 9 एपिसोड में फैली इस सीरिज के दूसरे सीजन में भी वैसा ही दिल की धड़कन बढ़ाने वाला रोमांच है जैसा पहले सीजन में नजर आया था।

दूसरे सीजन की शुरुआत एक बेहतरीन सीन से होती है जिसमें श्रीलंका में चल रहे आतंकी कैंप की तैयारियों को दर्शाया गया है। लगभग तीन मिनट के इस सीन को सिंगल शॉट में ही शूट किया गया है जो दर्शकों को पूरी सीरिज देखने के मन को बना देता है। शुरुआती एपिसोड थोड़े धीमे लगते हैं क्योंकि श्रीकांत ने TASC की नौकरी छोड़ दी है और एक आईटी कंपनी में 9 से 5 का जॉब करता है ताकि वह अपने परिवार को ज्यादा समय दे सके। यह फैमिली मैन अपनी फैमिली की खुशहाली के लिए अपने बॉस की डांट भी चुपचाप खा लेता है जो उम्र में उससे आधा है। इस जॉब से श्रीकांत खुश नहीं है और दिल तो TASC में ही है। श्रीकांत के इस जॉब को लेकर कुछ अच्छे हास्य सीन क्रिएट किए गए हैं।

श्रीकांत और उसकी पत्नी सुचित्रा (प्रियमणि) के बीच संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। सुचित्रा अपने पति को लेकर काउंसलर के पास भी जाती है और यह सीरिज का एक बेहतरीन सीन है। हालांकि पति-पत्नी की यह अनबन थोड़ी खींची हुई लगती है और इससे स्पीड धीमी भी होती है। सीरिज रफ्तार तब पकड़ती है जब श्रीकांत एक बार फिर TASC में शामिल हो जाता है। श्रीकांत की बेटी धृति (अश्लेषा ठाकुर) का भी एक ट्रैक है ‍कि वह कम उम्र में ही एक बॉयफ्रेंड बना लेती है, लेकिन यह ट्रैक कहानी का अभिन्न हिस्सा बन जाता है।

webdunia


राज और डीके का लेखन शानदार है। भले ही आगे क्या होने वाला है इस बात का आपको अंदाजा रहता है, लेकिन यह कैसे होगा इसको लेकर दोनों ने रोचकता बनाए रखी है। दिल धड़काने वाले उतार-चढ़ाव दिए हैं। यही वजह है कि एक ही बार में बिना रूकावट के पूरी सीरिज को देखने का मन करता है। क्लाइमैक्स में लेखकों ने थोड़ी सहूलियत ली है और कुछ ऐसे सीक्वेंस डाले हैं जिस पर एकदम यकीन नहीं होता है, लेकिन इस सहूलियत को छूट दी जा सकती है।

श्रीलंका में एक समय आतंकियों ने गदर मचा कर रखा था। वह आग ठंडी तो हो गई है, लेकिन अभी भी कुछ अंगारे दहक रहे हैं। इन दहकते अंगारों को आधार बना कर ‘द फैमिली मैन 2’ लिखी गई है। श्रीलंका के बहाने चीन, भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में लगा हुआ है इसके संकेत भी मिलते हैं।

सीरिज में यह बात दर्शाई गई है कि जिन्हें हम आतंकी समझ रहे हैं वे उन लोगों के लिए स्वतंत्रता सेनानी है जिनके लिए वे लड़ रहे हैं। समय और स्थान के परिवर्तन के अनुसार दृष्टिकोण बदल जाता है। इस विषय पर बनी जॉन अब्राहम की ‘मद्रास कैफे’ भी एक बेहतरीन फिल्म है।

बतौर निर्देशक राज और डीके ने अपनी एक पहचान बना ली है और उनसे उम्मीद है ‍कि आने वाले समय वे और भी बेहतर फिल्म और वेबसीरिज देंगे। द फैमिली मैन 2 में उनका डायरेक्शन कसा हुआ और प्रस्तुतिकरण जोरदार है। एक अंडरकवर एजेंट को सामान्य तरीके से भी दिखाया जा सकता है। जरूरी नहीं है ‍कि वह एट पैक एब्स वाला स्टाइलिश बंदा हो। सामान्य व्यक्ति भी यह काम कर सकता है। इसलिए यह सीरिज रियलिटी के नजदीक लगती है और यह इसका बड़ा यूएसपी है।

webdunia


तमिलनाडु के भीतरी इलाके शायद ही हिंदी भाषी दर्शकों को इस तरह से पहले देखने को मिले हो। इस सीरिज का नया किरदार राजी (सामंथा अक्किनेनी) को सशक्त तरीके से पेश किया गया है। नकारात्मक किरदार होने के बावजूद दर्शक उसे पसंद करते हैं। सामंथा के सीन कमाल के हैं जब वह दो लोगों को मौत के घाट उतार देती है। इसी तरह के कई दृश्य हैं जो आपको बांध कर रखते हैं और उत्सुकता को बनाए रखते हैं।

अरविंद-सुचित्रा वाले ट्रैक को छोड़ दिया जाए तो राज और डीके ने एक कुशल निर्देशक की तरह सभी ट्रैक्स को अच्छे से संभाला है और उनकी सीक्वेंसिंग अच्छे से जमाई है। आखिरी के चार एपिसोड्स में वे थ्रिल को ऊंचे स्तर पर ले गए हैं। अंत में उन्होंने कोलकाता में एक चीनी व्यक्ति को दिखाया है और संकेत ‍दिया है ‍कि सीजन 3 में क्या होने वाला है।

राज और डीके के काम को कलाकारों ने आसान बनाया है। सभी अपने किरदारों में फिट नजर आते हैं। मनोज बाजपेयी तो कमाल के एक्टर हैं ही, यह बात कई बार साबित कर चुके हैं, द फैमिली मैन के सीजन 2 में अपने किरदार को उन्होंने वहीं से पकड़ा है जहां सीजन एक में छोड़ा था। श्रीकांत की असुरक्षा, झल्लाहट और ह्यूमर को अच्छे से व्यक्त किया है।

सामंथा अक्किनेनी ने इस सीरिज से डिजीटल स्पेस में डेब्यू किया है। राजी के किरदार के जरिये उन्होंने दिखा दिया कि वे कितनी बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। उन्हें मुंह से कम और आंखों से ज्यादा बोलना था और उनकी आंखें देख दर्शक जान जाते हैं ‍कि उनके अंदर क्या चल रहा है। उनके आक्रोश को आप महसूस करते हैं। किरदार की डिमांड के अनुरूप वे मानसिक रूप से मजबूत और फिजीकली फिट नजर आईं। उनके फाइट सीन कमाल के और विश्वसनीय हैं। शरीब हाशमी, दर्शन कुमार, प्रियमणि, शरद केलकर, दलीप ताहिल, रविंद्र विजय मंझे हुए कलाकार हैं और उनकी एक्टिंग रियल लगती है। सीमा बिस्वास ओवर एक्टिंग करती नजर आईं।

रोमांच से भरपूर स्क्रीनप्ले, मनोज-सामंथा की शानदार एक्टिंग और क्वालिटी प्रोडक्शन इस सीरिज को देखने लायक बनाते हैं।

निर्देशक : कृष्णा डीके और राज निडिमोरू
कलाकार : मनोज बाजपेयी, सामंथा अक्किनेनी, शरीब हाशमी, दर्शन कुमार, प्रियमणि, शरद केलकर, दलीप ताहिल
सीजन: 2 * एपिसोड्स : 9
अमेज़न प्राइम वीडियो पर उपलब्ध
रेटिंग : 3.5/5

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सोशल मीडिया पर छाई आलिया भट्ट के बचपन की क्यूट तस्वीर, देखिए कितना बदला एक्ट्रेस का लुक