सुडल-द वोर्टेक्स रिव्यू

समय ताम्रकर
गुरुवार, 23 जून 2022 (15:22 IST)
ओटीटी प्लेटफॉर्म की वजह से कई देशों और भाषाओं की फिल्में और वेबसीरिज देखने को मिल जाती हैं। भारत में भी कई भाषाओं में काम हो रहा है और हाल ही तमिल में बनी क्राइम थ्रिलर वेबसीरिज सुडल-द वोर्टेक्स आई है जिसे कई भाषाओं में डब कर रिलीज किया गया है। इस सीरिज को पुष्कर-गायत्री ने लिखा है जिन्होंने दक्षिण भारत में अच्छा काम किया है और इस समय रितिक रोशन और सैफ अली खान को लेकर 'विक्रम वेधा' बना रहे हैं। 
 
सुडल-द वोर्टेक्स सीरिज एक केस को लेकर है जो दिन पर दिन पेचीदा होता जा रहा है। पुलिस के लिए काम बढ़ता जा रहा है और सुराग नहीं मिल रहा है। किस तरह से यह केस सुलझता है यह आठ एपिसोड की सीरिज में बताया गया है। 
 
सुडल-द वोर्टेक्स की कहानी तमिलनाडु के एक कस्बे सम्बलूर में सेट है जहां पर स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री में यूनियन लीडर शनमुगम (आर. पार्तिबन) का अपने मालिक त्रिलोक (हरीश उथमन) से विवाद चल रहा है। अचानक फैक्ट्री में आग लग जाती है और सब कुछ खाक हो जाता है।
 
इसी बीच शनमुगम की बेटी नीला (गोपिका रमेश) लापता हो जाती है। फैक्ट्री में आग किसने लगाई और नीला कहां गायब हो गई? इस बात का पता लगाने में पुलिस अफसर रेगिना थॉमस (श्रिया रेड्डी), सब इंस्पेक्टर चक्रवर्ती (कथिर) और शनमुगम जुट जाते हैं। जैसे-जैसे उन्हें लगता है कि वे अपराधी के निकट पहुंच गए हैं, वैसे-वैसे उन्हें पता चलता है कि केस और उलझ गया है। 
 
कहानी को तमिलनाडु के त्योहार मयन्ना कोल्लाई से जोड़ा गया है जिसमें देवी अंगलम्मन की 10 दिन तक पूजा की जाती है और इधर 10 दिन में केस सुलझ जाता है। सुडल-द वोर्टेक्स में जिस तरह से कहानी को इस त्योहार से गूंथा गया है वो बहुत ही दिलचस्प है। तमिलनाडु के भीतरी इलाके, वहां की परंपराएं, लोगों की आस्थाएं देखना एक अनोखा अनुभव है। 
 
इस सीरिज को ब्रम्मा जी और अनुचरण मुरुगैयन ने निर्देशित किया है। दोनों ने चार-चार एपिसोड निर्देशित किए हैं। पहले तीन एपिसोड शानदार हैं और पहले एपिसोड से यह सीरिज दर्शकों पर ग्रिप बना लेती है। चौथा एपिसोड क्यों रखा गया है, समझ से परे है। कहानी एक इंच नहीं खिसकती और 45 मिनट खर्च कर डाले। जरूरी नहीं है कि वेबसीरिज है तो आठ से दस एपिसोड ही बनाए जाए। कम भी बनाए जा सकते हैं। बेवजह बात को क्यों खींचना। पांचवें एपिसोड से फिर बात संभलती है। 
 
कहानी को समेटने में कुछ छूट ली गई हैं। कुछ सवाल भी सामने आते हैं जिन्हें जस्टिफाई करने की कोशिश की गई है, लेकिन दर्शक पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते। मिसाल के तौर पर नंदिनी (ऐश्वर्या राजेश) का किरदार। नंदिनी को बेहद तेज-तर्रार दिखाया गया है, लेकिन क्लाइमैक्स के आते-आते वह कमजोर पड़ जाती है। उसकी बीमारी को लेकर भी जो बातें दिखाई गई हैं वो पचती नहीं है। 
 
लेखन में ज्यादा कमियां तो नहीं हैं, लेकिन जो भी हैं, उसे कुशल निर्देशन के जरिये छिपा लिया गया है। सुडल-द वोर्टेक्स का प्रस्तुतिकरण बहुत उम्दा है। तमिलनाडु का जो लोकल फ्लेवर डाला गया है वो सीरिज को देखने लायक बनाता है। शनमुगम, रिगाना, सक्करई, त्रिलोक, नीला, अधिष्यम जैसे कुछ दिलचस्प किरदार भी हैं जो सीरिज में रूचि बनाए रखते हैं। सीरिज को बहुत अच्छे से शूट किया गया है और इसमें मेहनत झलकती है। रंगों का प्रयोग भी उम्दा है। 
 
सीरिज के सारे कलाकारों का अभिनय शानदार है। हर किरदार के लिए उपयुक्त कलाकार लिए गए हैं जो रोल में फिट नजर आते हैं। सुडल-द वोर्टेक्स दिलचस्प प्रस्तुतिकरण के कारण देखी जा सकती है। 
 
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