डियर जिंदगी : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
निर्देशक गौरी शिंदे ने 'इंग्लिश विंग्लिश' बनाकर चौंका दिया था। उनकी फिल्म लीक से हटकर थी और सफल भी रही थी। वे ऋषिकेश मुखर्जी, बासु चटर्जी और गुलजार जैसे निर्देशकों की राह पर चलने वाली निर्देशक हैं। ये मध्यमार्गी फिल्मकार माने जाते हैं जो संदेश देने वाली फिल्म मनोरंजक अंदाज में पेश करते हैं। गौरी शिंदे की दूसरी फिल्म 'डियर जिंदगी' में उन्होंने जिंदगी के मायने समझाने की कोशिश की है। खूब सारा ज्ञान दिया गया है, लेकिन इस बात का ध्यान भी रखा है कि यह 'भारी' न हो जाए। 
 
कियारा (आलिया भट्ट) नामक लड़की के जरिये बात कही गई है। वह कैमरावूमैन है। अपने करियर में बहुत कुछ करना चाहती है, लेकिन अवसर नहीं मिल रहे हैं। अपनी लव लाइफ को लेकर कन्फ्यूज है। माता-पिता से उसकी बनती नहीं है। अपनी जिदंगी को उसने उलझा रखा है। समस्या इतनी जटिल नहीं है जितनी उसने बना रखी है। सिर्फ दोस्तों के साथ रहना उसे अच्‍छा लगता है। 


 
मुंबई से कियारा को कुछ कारणों से अपने माता-पिता के पास गोआ जाना पड़ता है। यहां उसकी मुलाकात दिमाग के डॉक्टर जहांगीर खान उर्फ जग्स (शाहरुख खान) से होती है। कियारा उससे सलाह लेने के लिए जाती है और जग्स से लगातार मुलाकात उसका जिंदगी के प्रति दृष्टिकोण बदल देती है। उसे समझ में आता है कि उसका व्यवहार और जिंदगी के प्रति नजरिया ऐसा क्यों हो गया है। छोटी-छोटी बातें हमें उलझा कर रख देती हैं और हम जिंदगी के सकारात्मक पहलुओं की ओर देखना बंद कर दु:खी हो जाते हैं। 

डियर जिं दगी के टिकट बुक कराने के लिए क्लिक करें 
 
गौरी शिंदे ने फिल्म को लिखा भी है। उन्होंने जो विषय चुना है उस पर लिखना आसान है और फिल्म बनाना बहुत कठिन है, लेकिन वे एक ऐसी फिल्म बनाने में सफल रही हैं जो देखी जा सकती है। जो बात वे कहना चाहती थीं उन्होंने किरदारों के जरिये व्यक्त की है, अब ये दर्शक पर निर्भर करता है कि वह कितना समझता है। 
 
अक्सर कियारा की उम्र के लड़के या लड़की इस स्थिति से गुजरते हैं। माता-पिता और वे आपस में एक-दूसरे को समझ नहीं पाते। प्यार के मायने उन्हें पता नहीं रहते। करियर में कम समय बहुत कुछ कर लेना चाहते हैं। जब चीजें उनके मन के अनुरूप नहीं होती तो वे दु:खी हो जाते हैं और ऐसे समय उन्हें जग्स जैसे गाइड की जरूरत पड़ती है जो उन्हें समझाए और जीवन के मायने बताए। फिल्म के जरिये इन सारी बातों को दर्शाया गया है। 
 
फिल्म को खास बनाते हैं कियारा और जग्स के किरदार। कियारा जहां कन्फ्यूज और कम उम्र की है तो जग्स स्पष्ट और परिपक्व। इस वजह से दोनों एक-दूसरे के पूरक लगते हैं। फिल्म में उनकी बातचीत सुनने लायक है और कुछ बेहतरीन संवाद सुनने को मिलते हैं। कमरे में, समुंदर किनारे और साइकिलिंग करते हुए जग्स, कियारा से बातचीत करता है, जिसके आधार पर  कियारा को पता लगता है कि वह कहां गलत है। 
 
जिंदगी की तरह यह फिल्म भी परफेक्ट नहीं है। कुछ खामियां उभर कर आती हैं। मसलन कियारा ऐसी क्यों है, इसका कारण ये बताया गया है कि बचपन में उसे पैरेंट्स का उसे प्यार नहीं मिलता। हालांकि पैरेंट्स की कोई खास गलती नजर नहीं आती, इससे ड्रामा कमजोर होता है। दूसरी शिकायत फिल्म की लंबाई को लेकर होती है। चूंकि कहानी में उतार-चढ़ाव कम और बातचीत ज्यादा है इसलिए फिल्म कहीं-कहीं ठहरी हुई लगती है। अली ज़फर का किरदार महत्वहीन है और इसका ठीक से विस्तार नहीं किया गया है। 
 
निर्देशक के रूप में गौरी शिंदे ने विषय भारी होने के बावजूद फिल्म का मूड को हल्का रखा है। गोआ की खूबसूरती, शाहरुख-आलिया की केमिस्ट्री और संवाद फिल्म को ताजगी देते हैं। छोटे-छोटे दृश्यों से उन्होंने बड़ी बात कहने की कोशिश की है। 
 
कलाकारों का अभिनय फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। आलिया भट्ट के करियर का यह सर्वश्रेष्ठ अभिनय है। एक ही फिल्म में उन्हें कई रंग दिखाने के अवसर मिले और हर भाव को उन्होंने बारीकी से पकड़ कर व्यक्त किया है। शाहरुख के साथ उनकी पहली मुलाकात और अपने परिवार के सामने उनका फट पड़ने वाले दृश्यों में उन्होंने कमाल का अभिनय किया है। उनका अभिनय दर्शकों को फिल्म से बांध कर रखता है। सीन के अनुरूप तुरंत उनके चेहरे भर भाव आते हैं। 
 
सुपरस्टार का चोला उतारकर एक सामान्य रोल में शाहरुख खान को देखना सुखद है। अपने चार्म से उन्होंने जहांगीर खान की भूमिका को बहुत आकर्षक बना दिया है। फिल्म की कामयाबी या नाकामयाबी का बोझ उन पर नहीं है इसलिए वे तनाव मुक्त दिखे और इसका असर उनके अभिनय पर नजर आया। अपनी बोलती आंखें और संवाद अदागयी से उन्होंने अपने अभिनय को गहराई दी है। अन्य कलाकारों का योगदान भी अच्छा है। 'लव यू जिंदगी' सहित कुछ गीत गहरे अर्थ लिए हुए हैं।
 
'डियर जिंदगी' की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जिंदगी के प्रति सकारात्मक और आशावादी होने की बात कहती है। 
 
बैनर : होप प्रोडक्शन्स, धर्मा प्रोडक्शन्स, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट 
निर्माता : गौरी खान, करण जौहर, गौरी शिंदे 
निर्देशक : गौरी शिंदे
संगीत : अमित त्रिवेदी 
कलाकार : आलिया भट्ट, शाहरुख खान, कुणाल कपूर, अली ज़फर, अंगद बेदी, आदित्य रॉय कपूर  
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 29 मिनट 53 सेकंड  
रेटिंग : 3/5
Show comments

बॉलीवुड हलचल

साबरमती रिपोर्ट करते समय समझ में आया कि पत्रकारों की क्या भूमिका होती : रिद्धि डोगरा

दिशा पाटनी के पिता हुए धोखाधड़ी के शिकार, सरकारी आयोग में बड़ा पद दिलाने के नाम पर ठगे इतने लाख रुपए

एक्टर बनने से पहले वीजे थे आदित्य रॉय कपूर, बचपन में बनना चाहते थे क्रिकेटर

मटका के साथ नोरा फतेही ने किया तेलुगु डेब्यू, एक्ट्रेस ने शूटिंग सेट से शेयर किया बीटीएस वीडियो

Indian Idol 15 : सबसे कम उम्र की कंटेस्टेंट रागिनी शिंदे हुईं टॉप 15 से बाहर, बादशाह को आया गुस्सा

सभी देखें

जरूर पढ़ें

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

अगला लेख
More