ब्लडी डैडी फिल्म समीक्षा: बेटे और ड्रग्स के बीच फंसा Bloody Daddy

ब्लडी डैडी की खासियत है इसकी स्पीड और शाहिद कपूर सहित सारे कलाकारों की एक्टिंग

समय ताम्रकर
सोमवार, 12 जून 2023 (11:47 IST)
Bloody Daddy Review: ओटीटी पर अक्सर दर्शक डेढ़ से दो घंटे की क्राइम थ्रिलर फिल्म देखना पसंद करते हैं और ऐसी हजारों फिल्में मौजूद हैं। शाहिद कपूर जैसे स्टार को लेकर 'ब्लडी डैडी' ओटीटी के लिए बनाई गई है और इस मूवी को उसी सांचे में ढाल कर पेश किया गया है। सिनेमाघरों में इस फिल्म को इसलिए रिलीज नहीं किया गया क्योंकि यह ओटीटी के लिए ही बनाई गई है और बॉलीवुड में धीरे-धीरे अब बड़े सितारों, बजट और निर्देशक की ऐसी कई मूवीज़ आएंगी जो सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी।  
 
ब्लडी डैडी फ्रेंच फिल्म नुई ब्लॉन्श का रीमेक है। यह फिल्म सीधी लकीर पर चलती है। कहानी को भटकाया नहीं गया है। गाने, कॉमेडी, रोमांस साथ में चलने वाले ट्रैक्स से दूरी बना कर यह मूवी अपने जॉनर एक्शन की राह पर ही चलती है। 
 
कहानी उस दौर की है जब भारत में कोविड की दूसरी लहर ने बिदा ली थी, लेकिन डर बना हुआ था। कहा जाता है कि उस दौर में रईसों ने होटलों में खूब अय्याशी की थी। कहते हैं तब से ही भारत में ड्रग्स का कारोबार खूब फला-फूला। 
 
एनसीबी ऑफिसर्स सुमैर (शाहिद कपूर) और जग्गी (ज़ीशान कादरी) एक कार में ले जा रही ड्रग्स जब्त करते हैं। यह ड्रग डीलर सिकंदर चौधरी (रोनित बोस रॉय) का माल है जिसे उसे हमीद (संजय कपूर) को सप्लाई करना है। हमीद से सिकंदर एडवांस में पैसे ले चुका है। 
 
अपना माल वापस पाने के लिए सुमैर के बेटे अथर्व (सरताज कक्कड़) का अपहरण सिकंदर कर लेता है। इस जब्त की गई ड्रग्स के पीछे एनसीबी ऑफिसर समीर (राजीव खंडेलवाल) और अदिति (डायना पेंटी) भी पड़े हैं। क्या सुमैर ड्रग्स लौटा पाएगा? क्या सुमैर अपने बच्चे को बचा पाएगा? समीर और अदिति क्यों ड्रग्स के पीछे हैं? इन सब में क्या संबंध है? इनके जवाब लगभग दो घंटे की इस फिल्म में मिलते हैं। 
 
ब्लडी डैडी की खासियत है इसका पहला घंटा। फिल्म इतनी तेज भागती है कि आपको ज्यादा सोचने का मौका नहीं देती। कई उतार-चढ़ाव इस दौरान आते हैं। सही मौकों पर नए-नए किरदारों की एंट्री होती रहती है जो फिल्म को दिलचस्प बनाती है। 
 
जैसे, पहले सुमैर परेशान लगता है क्योंकि उसे अपने बेटे को सिकंदर से बचाना है। फिर सिकंदर भी परेशान लगता है क्योंकि उसे हमीद को ड्रग्स की डिलीवरी देनी है। यानी, कोई भी कैरेक्टर रिलैक्स नहीं लगता और सभी के सामने कुछ न कुछ अड़चनें हैं। 
 
फिल्म को 90 प्रतिशत एक सेवन स्टार होटल में फिल्माया गया है और कहानी एक रात की है। फिल्म के दूसरे घंटे में कहानी थोड़ी खींची हुई लगती है और कैरेक्टर्स थोड़े रिलैक्स नजर आते हैं। समय खत्म होने का तनाव उनके व्यवहार में नजर नहीं आता, इसलिए यहां पर फिल्म में थोड़ा ढीलापन आ जाता है। 
 
दो घंटे के बजाय डेढ़ घंटे में फिल्म खत्म कर दी जाती तो चुस्ती बढ़ जाती क्योंकि ओटीटी पर ऐसा कोई दबाव नहीं होता कि फिल्म की अवधि इतनी लंबी तो होना ही चाहिए। लेकिन यह बात इसलिए ज्यादा अखरती नहीं है या असर नहीं डालती है क्योंकि तब तक आप फिल्म से जुड़ चुके होते हैं। 
 
सुमैर और उसकी पत्नी के बीच तलाक क्यों हुआ? इस बारे में ज्यादा नहीं बताया गया और इसका जवाब नहीं मिलता। ब्लडी डैडी में सिनेमैटिक लिबर्टी भी खूब ली गई है। सुमैर की फिल्म में इतनी पिटाई दिखाई गई है, लेकिन उसका कुछ बिगड़ता नहीं है, लेकिन एक्शन की आड़ में इस कमी को स्वीकारा जा सकता है। 
 
अली अब्बास ज़फर और आदित्य बसु ने स्क्रीनप्ले अच्छा लिखा है। हर मुसीबत से छूटने की सुमैर की तरकीब दर्शकों को अच्छी लगती है। अपने रोचक उतार-चढ़ाव से दर्शकों को बांधकर लेखकों ने कमियों पर बखूबी परदा डाला है। 
 
अली अब्बास ज़फर ने पहली फ्रेम से ही माहौल सेट कर दिया है। गुड़गांव की अमीरी आंखों को चकाचौंध कर देती है। शराब, ड्रग्स, लाउड म्यूजिक, पब, रंगीन रोशनी और एक्शन के जरिये उन्होंने दर्शकों को मदहोश करने में कामयाबी हासिल की है। 
 
अली ने अब तक अलग-अलग किस्म की फिल्म और वेबसीरिज निर्देशित की है जो उनकी प्रतिभा का सबूत है। सलमान खान जैसे सितारे से लेकर दिलजीत दोसांझ तक के साथ उन्होंने काम किया है। 
 
शाहिद कपूर कबीर सिंह वाले मोड में नजर आए। उनकी एक्टिंग अच्छी है, लेकिन थोड़ा वैरिएशन की भी जरूरत है। रोनित रॉय इस फिल्म का मजबूत स्तंभ है। अपनी ठहराव एक्टिंग के जरिये वे कूल विलेन लगते हैं। ज़ीशान कादरी को और फुटेज दिए जाने थे क्योंकि फिल्म की शुरुआत में उनका किरदार उम्मीद जगाता है। संजय कपूर और राजीव खंडेलवाल का काम भी उम्दा है। डायना पेंटी को ज्यादा मौका नहीं मिला।  
 
फिल्म के टेक्नीकल डिपार्टमेंट ने अपना काम अच्छे से किया है। स्टीवन बर्नाड का संपादन और मारसिन लास्काविएक की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को अलग स्तर पर ले जाती है। 
 
गीत-संगीत के मामले में फिल्म कमजोर पड़ जाती है। लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। एक्शन और स्टंट सीन्स एक्शन फिल्म लवर्स को खुश कर देते हैं। 
 
'ब्लडी डैडी' ओटीटी पर फिल्म देखने वालों की अपेक्षाओं के बहुत नजदीक तक पहुंचती है। 

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