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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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भैयाजी सुपरहिट : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

सनी देओल की फिल्म 'भैयाजी सुपरहिट' में एक किरदार कहता है कि चीनी फिल्म देखो तो वो चलती ही रहती है और समझ में कुछ नहीं आता। यह बात शायद उसने अपनी ही फिल्म के बारे में ही कह दी है। हां, यह बात जरूर समझ आती है कि 'भैयाजी सुपरहिट' एक खराब फिल्म है और वर्षों से अटकी यह फिल्म अटकी ही रहती तो बेहतर होता। 
 
इस वर्ष रेमो डिसूजा (रेस 3), विजय कृष्ण आचार्य (ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान) जैसे निर्देशकों को बेहतरीन मौका मिला जिसे उन्होंने दोनों हाथों से गंवाया। नीरज पाठक का नाम भी इस लिस्ट में जोड़ लीजिए। भैयाजी सुपरहिट में उन्हें बेहतरीन एक्टर और अच्छा बजट मिला, लेकिन वे ढंग की मसाला फिल्म भी नहीं बना पाए और दर्शकों को बोर करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। 
 
उत्तर प्रदेश इन दिनों हिंदी सिनेमा में छाया हुआ है और भैयाजी (सनी देओल) भी वहीं के रहने वाले हैं। वे डॉन हैं और उनकी पत्नी सपना (प्रीति जिंटा) उनसे रूठ कर चली गई है। सपना को भैयाजी मनाने में लगे हुए हैं, लेकिन सपना मान नहीं रही है। ये मनाना और रूठना पूरी फिल्म में चलता रहता है। 
 
मनाने और रूठने के दौर में भैयाजी की हेलिकॉप्टर मिश्रा (जयदीप अहलावत) से मारपीट भी होती रहती है। वे फिल्म प्रोड्यूसर बन कर एक फिल्म भी शुरू करवा देते हैं। इस तरह के प्रसंगों के जरिये फिल्म को बहुत खींचा गया है और राहत तभी मिलती है जब फिल्म खत्म होती है। 
 
सनी देओल की छवि एक एक्शन हीरो की है। उनके फैंस उन्हें इसी अवतार में देखना चाहते हैं, लेकिन न जाने क्यूं उनसे कॉमेडी करवाई जा रही है। कॉमेडी भी ऐसी कि हंसने के बजाय खीज पैदा हो। बाल नोंचने का मन हो। अभी कुछ दिनों पहले ही 'यमला पगला दीवाना फिर से' में उनसे यही सब करवाया गया था। 
 
एक्शन सीन आते हैं तो वो बेहद नकली लगते हैं। सनी सिर्फ बदमाशों को उठा पर पटक देते हैं। ऐसा लगता है कि परदे पर उनसे पिटने वाले गुंडे भी उनकी इमेज से वाकिफ हों।
 
नीरज पाठक ने फिल्म को लिखा और निर्देशित किया है। अफसोस से ज्यादा आश्चर्य इस बात पर होता है कि इतनी घटिया कहानी पर पैसा लगाने वाले लोग भी मिल गए। पूरी फिल्म में भैयाजी से पत्नी ऐसे नाराज रहती हैं मानो उन्होंने बहुत बड़ा कांड कर दिया हो, लेकिन बात चिंदी से भी छोटी रहती है। जब बुनियाद ही कमजोर हो तो उस पर महल कैसे खड़ा किया जा सकता है? 
 
कहानी को मनचाहे तरीके से घूमाया गया है। तर्क की गुंजाइश नहीं है। एक सनी देओल से मन नहीं भरा तो दूसरा सनी देओल खड़ा कर दिया गया। छोटी-सी बात को रबर की तरह खींचा गया है जबकि कहानी में किसी भी तरह का मसाला ही नहीं है। 
 
कॉमेडी देख रोना आता है, ड्रामा देख बोरियत होती है, रोमांस नकली लगता है और एक्शन रोमांचित नहीं करता। जाहिर सी बात है कि फिल्म में मनोरंजन का नामो-निशान नहीं है। 
 
निर्देशक के रूप में नीरज का काम बहुत खराब है। वे ढंग की फिल्म नहीं बना पाए। उन्होंने अपने कलाकारों से बहुत ज्यादा लाउड एक्टिंग करवाई है। लगभग सभी कलाकार चीखते-चिल्लाते नजर आए। 
 
फिल्म का गीत-संगीत खास नहीं है। गाने नहीं भी होते तो भी काम चल जाता। कॉमेडी फिल्मों में डायलॉग्स का महत्व रहता है, लेकिन भैयाजी सुपरहिट में ऐसे डायलॉग्स की संख्या बहुत कम है जो मुस्कान ला सके। 
 
भैयाजी के गेटअप में सनी देओल अच्छे लगे हैं। उन्होंने अपना काम गंभीरता से किया है, लेकिन स्क्रिप्ट का साथ न मिलने से वे असहाय भी दिखे। फनी सिंह के रूप में वे बिलकुल भी फनी नहीं लगे। प्रीति जिंटा, श्रेयस तलपदे और अमीषा पटेल ने जम कर ओवर एक्टिंग की है। अरशद वारसी जरूर थोड़ा हंसाते हैं। पंकज त्रिपाठी, वृजेन्द्र काला, जयदीप अहलावत जैसे कलाकारों का कोई फायदा नहीं उठाया गया है। 
 
कुल मिलाकर भैयाजी सुपरहिट न सुपर है और न ही हिट। उम्मीद की जानी चाहिए कि सनी अब ऐसी फिल्मों से दूर ही रहेंगे। 
 
निर्माता : चिराग महेन्द्र धारीवाल
निर्देशक : नीरज पाठक
संगीत : जीत गांगुली, राघव सचर, अमजद-नदीम, संजीव-दर्शन
कलाकार : सनी देओल, प्रीति जिंटा, अमीषा पटेल, अरशद वारसी, श्रेयस तलपदे, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, जयदीप अहलावत
रेटिंग : 1/5 

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