बिग बॉस 13 में जो जोड़ियां बनी हैं उसमें सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज़ गिल की जोड़ी को खूब पसंद किया गया। सिद्धार्थ और शहनाज़ की उम्र में अच्छा-खासा फासला है, लेकिन जोड़ी बड़ी 'क्यूट' लगने लगी। शहनाज़ का दिन भर सिद्धार्थ का अटेंशन पाने का जतन करना और सिद्धार्थ द्वारा अटेंशन न देकर शहनाज़ को तरसाना प्यार का तरीका था।
सिद्धार्थ ने कभी नहीं कहा कि वे शहनाज़ से प्यार करते हैं और शहनाज़ ने कई बार कहा, लेकिन कभी भी उस पर यकीन करने का मन नहीं हुआ।
बिग बॉस शो सिद्धार्थ दिमाग से खेलते हैं और शहनाज़ दिल से। शायद इसी कारण दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। सिद्धार्थ की छांह में शहनाज़ खुद को सुरक्षित महसूस करती थीं और शहनाज़ की मौजूदगी में सिद्धार्थ का हंसता हुआ चेहरा भी देखने को मिलता था जो इस शो के लिए जरूरी था।
लोगों को यह जोड़ी अच्छी लगने लगी और दोनों के नाम जोड़ कर 'सिडनाज़' को ट्रेंड करवा दिया गया। सिद्धार्थ का ध्यान खींचने के लिए शहनाज़ अजीब हरकत करने लगीं जिसके कुछ के कुछ मतलब निकाल लिए गए। इसी बीच शहनाज़ के पिता की भी बिग बॉस के घर में एंट्री हुई और उन्होंने शहनाज़ को सिद्धार्थ से दूर रहने की सलाह दी।
इन सारी बातों से यह समझ में आया कि सिद्धार्थ तो शहनाज़ को नहीं चाहते हैं, लेकिन शहनाज़ दिन प्रतिदिन सिद्धार्थ के प्यार में डूबती जा रही हैं।
यह मामला देख सलमान खान ने बिग बॉस के घर में एंट्री ली और सिद्धार्थ को कहा कि वे शहनाज़ को ढंग से हैंडल करें क्योंकि वह सिद्धार्थ को चाहने लगी है और मामला आगे न बढ़े।
घर वाले इस बात से अंजान रहते हैं कि बाहर की दुनिया उनके बारे में क्या सोच रही है। उन्हें नहीं पता रहता है कि उनकी छवि कैसी बन गई है। उनकी किस अदा या बात को पसंद किया जा रहा है। वे अपने ही अनुमान लगाते हैं और उसी के हिसाब से व्यवहार करते हैं।
सलमान के समझाने पर सिद्धार्थ को समझ आया कि हो सकता है सिडनाज़ को लेकर बाहर बातें बन रही हो। लोग ठीक से उनके रिश्ते को समझ नहीं पा रहे हो।
धीरे-धीरे सिद्धार्थ ने शहनाज़ से दूरी बना ली। शहनाज़ की जो हरकतें सिद्धार्थ को पहले अच्छी लगती थी उन्हीं हरकतों पर वे चिढ़ने लगे। बात बढ़ने लगी और दूरियां बन गईं।
सिद्धार्थ के 'जानी दुश्मन' असीम रियाज़ से इस समय शहनाज़ ने हाथ मिला लिया है। यह देख सिद्धार्थ और चिढ़ गए।
कई लोगों का मानना है कि सिद्धार्थ और शहनाज़ में दूरियां पैदा करवाने वाले सलमान खान ही है। यदि वे जाकर सिद्धार्थ को नहीं 'समझाते' तो सिद्धार्थ 'समझ' नहीं पाते और बात इतनी नहीं बिगड़ती।