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अमीन सयानी जिन्होंने हिंदी गानों को घर-घर पहुंचाया, वर्षों तक गूंजती रहेगी आवाज

हमें फॉलो करें Ameen sayani

समय ताम्रकर

, बुधवार, 21 फ़रवरी 2024 (11:18 IST)
Ameen sayani
आरजे को आज के दौर का 'कूल जॉब' माना जाता है, लेकिन अमीन सयानी यह काम वर्षों पहले कर चुके हैं और वो भी दमदार सफलता के साथ। अमीन सयानी ने हिंदी फिल्म गानों को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम 'बिनाका गीतमाला' (जो बाद में सिबाका गीतमाला के नाम से जाना गाया) के जरिये घर-घर पहुंचाया और गानों को हिट करने में अविस्मरणीय योगदान दिया।
 
 लोगों को गानों से भी ज्यादा पसंद आता था अमीन सयानी का कार्यक्रम को प्रस्तुत करने का रोचक अंदाज। वे आज के ज्यादातर आरजे की तरह चीखते-चिल्लाते या गैर जरूरी बातें नहीं करते थे बल्कि अत्यंत शालीनता के साथ जितना जरूरी हो उतना ही बोल कर कार्यक्रम को पेश करते थे। उनका चुटीला अंदाज, रोचक जानकारियां, लोगों के सुख-दु:ख को लेकर बातें करना, कलाकारों और फिल्म को लेकर किस्से सुनाना बहुत पसंद किया गया। निश्चित रूप से उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
 
अमीन सयानी को लोकप्रियता मिली 'बिनाका गीतमाला कार्यक्रम' से। इसमें हिंदी फिल्मों के टॉप गाने सुनाए जाते थे। जिन्हें एक से 20 नंबर तक सुनाया जाता था। लोगों में इस बात की चर्चा रहती थी कि नंबर एक पर कौन सा गाना पहुंचेगा। अमीन सयानी और उनकी टीम विभिन्न तरीके से छानबीन कर इस बात का फैसला लेती थी और उनके निर्णय पर कोई सवाल नहीं होता था। यदि कोई गाना कार्यक्रम में 25 बार से ज्यादा सुनाया जाता तो उसे रिटायर किया जाता था। उसे विशेष सलामी दी जाती थी। 
 
यह उस दौर की बात है जब रेडियो हर घर में सुलभ नहीं था। जिसके यहां रेडियो होता उसके यहां लोग एकत्रित होकर कार्यक्रम पूरे परिवार के साथ सुनते थे। यूं तो रेडियो पर कई तरह के कार्यक्रम प्रसारित होते थे, लेकिन अमीन सयानी के कार्यक्रम की बात ही अलग होती थी। वर्षों तक अमीन यह कार्यक्रम पेश करते रहे और उनका यह शो चोटी पर रहा। दूर-दूर तक उसे चैलेंज करने वाला कोई कार्यक्रम नहीं था। रेडियो सीलोन पर यह कार्यक्रम आता था जो बाद में विविध भारती पर प्रसारित होने लगा। इसकी सफलता ने अमीन सयानी को घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। 
 
उनका 'भाइयों-बहनों' कहने का तरीका बेहद पसंद किया गया। उनके पास हर महीने श्रोताओं की हजारों चिठ्ठियां आती थीं जिनमें से चुनिंदा को वे पढ़ कर भी सुनाते थे। सलाह-मशविरा भी देते थे। इस कार्यक्रम में यदि किसी संगीतकार, गीतकार, गायक का गाना टॉप पर आ जाता था तो सभी की छाती चौड़ी हो जाती थी। फिल्म जगत से जुड़े संगीतकार, गीतकार, गायक भी इस कार्यक्रम को चाव से सुनते थे और उनकी दिल की धड़कन भी इस बात पर बढ़ जाती थी कि नंबर वन पर किसका गीत बजेगा।  
 
बिनाका गीतमाला 42 वर्षों तक रेडियो सीलोन पर प्रसारित होता रहा और यह अपने आप में बहुत बड़ा रिकॉर्ड है। इसके बाद इसे विविध भारती पर लगभग 6 साल प्रसारित किया गया। उनके अन्य लोकप्रिय कार्यक्रम रहे 'एस कुमार का फिल्मी मुकदमा, सारीडॉन के साथी, बॉर्नविटा क्विज़, 
संगीत के सितारों की महफिल। 
 
नंबर गेम की बात की जाए तो 1951 से अब तक 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स उन्होंने निर्माण और संचालन किया है या आवाज दी है। शायद ही किसी भारतीय ने इस श्रेणी में इतना काम किया हो। अमीन सयानी ने अपने प्रस्तुतिकरण में हिंदी, उर्दू, गुजराती, अंग्रेजी, मराठी शब्दों का प्रयोग किया। कह सकते हैं कि 'हिंदुस्तानी' भाषा होने के कारण उनकी बात आम लोगों को समझ में आई और यह उनकी लोकप्रियता का बड़ा कारण रहा। 
 
21 दिसम्बर 1931 को बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मे अमीन सयानी ने सिंधिया स्कूल और सेंट झेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। वे बतौर अनाउंसर फिल्म 'भूत बंगला', 'तीन देवियां', 'बॉक्सर' और 'कत्ल' में भी दिखाई दिए। वर्ष 2009 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 21 फरवरी 2024 को 91 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली और यह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई, लेकिन लोगों के कानों में वर्षों तक गूंजती रहेगी। 

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