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'मर्दानी 2' का एक साल पूरा, रानी मुखर्जी बोलीं- यह फ्रैंचाइजी मेरे लिए काफी स्पेशल

हमें फॉलो करें 'मर्दानी 2' का एक साल पूरा, रानी मुखर्जी बोलीं- यह फ्रैंचाइजी मेरे लिए काफी स्पेशल
, रविवार, 13 दिसंबर 2020 (17:39 IST)
रानी मुखर्जी की पिछले साल रिलीज़ हुई सुपरहिट फिल्म 'मर्दानी 2' दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुई थी, क्योंकि अपनी शानदार कहानी के जरिए इसने देश को झकझोर कर रख दिया और लोगों को दिल थामकर देखने पर मजबूर कर दिया। यह फिल्म भारत में जूविनाइल्स (किशोरों) द्वारा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है।

 
लोगों के बीच जबरदस्त रोमांच जगाने वाली इस थ्रिलर ‍फिल्म में रानी ने समय को मात देते हुए उस खूंखार सीरियल रेपिस्ट को धर दबोचा, जो एक के बाद एक महिलाओं को अपना शिकार बनाता था। मीडिया जगत के साथ-साथ क्रिटिक्स की ओर से भी इस फिल्म को खूब तारीफ़ मिली और इसने खतरों का सामना करने वाली फीमेल-कॉप फ्रैंचाइज़ी को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा दिया।
 
इस जबरदस्त थ्रिलर के एक साल पूरे होने के मौके पर, रानी खुलकर बताती हैं कि किस वजह से मर्दानी फ्रैंचाइज़ी उनके दिल के बेहद क़रीब है। रानी मुखर्जी कहती हैं कि, मर्दानी फ्रैंचाइज़ी मेरे लिए बहुत मायने रखती है, न केवल इसलिए कि इस फिल्म में वुमन एंपावरमेंट और महिलाओं पर होने वाले ज़ुल्म की बात की गई है और एक महिला इस फिल्म की सबसे मुख्य किरदार है जो इस तरह के ज़ुल्म के खिलाफ खड़ी है, बल्कि यह फ़िल्म हमें इस बात की सीख भी देती है कि महिलाओं के लिए बहुत सी बातों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। 
 
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इसमें उन सभी चीजों के बारे में बात की गई है, क्योंकि समाज में हम हमेशा पॉजिटिव चीजों को देखने की कोशिश करते हैं। हम हमेशा पॉजिटिविटी और अच्छी-अच्छी चीजों के बारे में सोचना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि कुछ लोगों के इरादे बुरे होते हैं और जिस दिन किस्मत हमारे साथ नहीं हो उसी दिन हमें उनका सामना करना पड़ सकता है।
 
रानी आगे कहती हैं, मुझे लगता है कि मर्दानी वुमन एंपावरमेंट पर आधारित एक ऐसी फिल्म है जो महिलाओं को यह सोचने की ताक़त देती है कि, वे भी काफी स्ट्रॉंग हैं। मेरे ख़्याल से, मर्दानी एक फ्रैंचाइज़ी के रूप में महिलाओं को काफी हौसला और साहस देती है। इस फिल्म को देखते समय उन्हें अपने भीतर छिपी ताक़त का एहसास होता है, इसलिए मुझे लगता है कि पूरी फ्रैंचाइज़ी को इसी उद्देश्य के लिए बनाया गया था।
 
उन्होंने कहा, वाकई हम इस ‍‍फिल्म को लोगों के बीच जिस तरह पहुंचाना चाहते थे उसमें हम सफल रहे हैं, और इसी वजह से यह फ्रैंचाइज़ी मेरे लिए काफी स्पेशल है। जब एक फ़िल्ममेकर के तौर पर, और इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के रूप में हमने यह फ़िल्म बनाने का फैसला लिया था, तो इससे हमें भी काफी उम्मीदें थीं, और सच कहूं तो यह बात मेरे दिल को छू गई कि हम उन उम्मीदों पर खरे उतरे और महिलाओं की भावनाओं को पर्दे पर प्रस्तुत करने में कामयाबी पाई।
 
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रानी ने खुलासा किया कि उन्हें देश भर की महिला पुलिस-कर्मियों से इस फ़िल्म को लेकर इतना शानदार रिएक्शन मिला है जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। वे कहती हैं, जब भी मैं किसी लेडी-कॉप से मिली हूं, तो इस फिल्म की तारीफ़ करने के साथ-साथ उन्होंने पर्दे पर शिवानी शिवाजी रॉय के किरदार के बारे में भी शानदार रिएक्शन दिया है। उन्हें लगता है कि यह बड़ी पॉजिटिव बात है, क्योंकि इस फ़िल्म में उन सभी चीजों को एक साथ दिखाया गया है जिसका सामना उन्हें अपने करियर और ज़िंदगी के दौरान करना पड़ता है। सच कहूं तो इसका पूरा क्रेडिट फ़िल्म के राइटर के साथ-साथ उन लोगों को जाना चाहिए जिन्होंने एक फ्रैंचाइज़ी के रूप में इसकी कल्पना की।
 
वह कहती हैं, मुझे लगता है कि उन्होंने शिवानी के किरदार को असल ज़िंदगी के वुमन-कॉप की तरह बनाने के लिए काफी समय और एनर्जी खर्च की है, और मेरे ख़्याल से इस वजह से भी फ़िल्म के पर्सोना को बढ़ाने में मदद मिली है। यही वजह है कि इस फ़िल्म में हर किरदार बिल्कुल रियल दिखाई देता है, और असल जिंदगी में कभी भी ऐसे लोगों से आपका सामना हो सकता है।
 
मर्दानी फ्रैंचाइज़ी के जरिए रानी ने समाज की चौंकाने वाली सच्चाई को उजागर किया है। वह कहती हैं, इसने मुझे ऐसे मुद्दों को लोगों के सामने लाने का मौका दिया है जिनके बारे में बात करना और उसे डाइजेस्ट करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन बदकिस्मती से यही हक़ीक़त है। हम हर दिन अख़बार में और न्यूज़ चैनल्स पर इस तरह के समाचार पढ़ते और देखते हैं। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी की बात तो यह है कि यह सिलसिला ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस तरह की घटनाएं थम नहीं रही हैं और इन पर काबू पाना असंभव लग रहा है। 
 
हमारी हर कोशिश नाकाफ़ी साबित होती है, इसलिए हालात को काबू में लाने के लिए हमें और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है। इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों के लिहाज से यह फ़िल्म सागर में एक छोटी सी बूंद की तरह है। यह इस तरह के मुद्दों पर लोगों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करने वाली फ़िल्म है, साथ ही इस तरह की फिल्में देखने पर महिलाओं में जागरूकता आती है। 
 

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