अच्छी फिल्मों को दर्शक तक पहुंचाना ही उद्देश्य : अमिताभ ए. गुप्ता

इंदौर में तीन दिवसीय 'इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ एमपी 2019' का आयोजन

Webdunia
आमतौर पर फिल्म समारोह भारत के मेट्रो सिटीज़ में होते हैं, लेकिन अब ये समारोह भारत के उन इलाकों में भी होने लगे हैं जहां पर आमतौर पर फिल्म फेस्टिवल सर्किट की फिल्में नहीं पहुंच पाती और दर्शक उम्दा फिल्मों को देखने से वंचित रह जाते हैं। इन उम्दा फिल्मों को उसके दर्शकों तक पहुंचाने का काम अमिताभ ए. गुप्ता जैसे व्यक्ति करते हैं। वे इंदौर में तीन दिवसीय 'इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ एमपी 2019' का आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन 20, 21 और 22 फरवरी को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (खंडवा रोड कैम्पस) इन्दौर में आयोजित होगा। वेबदुनिया इस आयोजन में डिजीटल मीडिया पार्टनर है। 
 
फिल्मों के प्रति लगाव होने के कारण 2016 में अमिताभ ने अपनी जॉब छोड़ दी और पूरी तरह से फिल्मों के प्रति समर्पित हो गए। वैसे 2001 से उन्होंने स्क्रिप्ट लिखना शुरू कर दी थी। उनकी फिल्में कई फेस्टिवल्स में दिखाई गईं। 4 फिल्म और 60 टीवी सीरियल्स में वे अभिनय भी कर चुके हैं। अनुराग कश्यप की वेबसीरिज सेक्रेड गेम्स और विक्रम भट्ट की वेबसीरिज मेमोरीज़ वे कर चुके हैं। पेश है अमिताभ ए. गुप्ता से बातचीत के मुख्य अंश: 
 
इंदौर शहर में फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने के पीछे क्या उद्देश्य है? 
मैं एक फिल्म मेकर हूं। शॉर्ट फिल्में बनाता हूं। मेरी फिल्में कई फेस्टिवल में जाती है। मेरी आयो‍जकों और ज्यूरी से मुलाकात होती है। मुझे लगा कि जिस शहर में फिल्म फेस्टिवल होते हैं वहां के लोगों को बढ़िया फिल्म देखने का एक प्लेटफॉर्म मिलता है। इसलिए मैंने इंदौर में फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने की सोची जिसकी प्लानिंग दो वर्षों से चल रही थी। मेरे साथी शांतनु गांगुली और मेरा ड्रीम था जो अब साकार हुआ है। अच्छी और अर्थपूर्ण फिल्में दिखाएंगे जो आमतौर पर लोगों को देखने को नहीं मिलती। फिल्में बनाना आसान है लेकिन लोगों तक पहुंचाना कठिन है। इसलिए हमने ऐसी फिल्मों को प्लेटफॉर्म देने की कोशिश की है। अच्छी फिल्में ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचे ये हमारा उद्देश्य है। हर वर्ष हम इस तरह का आयोजन करेंगे। वेबदुनिया इस फेस्टिवल में 
 
इस फेस्टिवल में क्या-क्या है? 
बेहतरीन फीचर फिल्मों के अलावा कई उम्दा शॉर्ट फिल्में, डॉक्यूमेंट्री और एनिमेशन फिल्में भी दिखाई जाएंगी। इसके साथ ही मास्टर क्लासेस होगी जो सिनेमा के विद्यार्थियों या सिनेमा के शौकीनों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी। साउंड डिजाइनिंग क्या होती है? स्क्रिप्ट कैसे लिखी जाती है? क्या फॉर्मेट होता है? किन बातों का ध्यान रखना होता है? एडिटिंग क्या होती है? ये सारी बातें विशेषज्ञ बताएंगे। लोगों के सवालों के जवाब देंगे। जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे। खास बात यह फेस्टिवल सभी के लिए खुला है और नि:शुल्क है। 
 
इंदौर के फिल्ममेकर्स की भी फिल्में हैं?
जी हां, इंदौर के फिल्ममेकर्स की कुछ डॉक्यूमेंट्री भी इस फेस्टिवल में दिखाई जाएंगी। 
 
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के साथ मिल कर आप यह आयोजन कर रहे हैं। इसके पीछे क्या कारण है? 
मैंने ईएमआरसी से अपना करियर शुरू किया था। 1998 में। मैं उनके लिए स्क्रिप्ट लिखता था। उनके लिए काम करता था। साथ ही मैं सिनेमा के विद्यार्थियों को इस फेस्टिवल से जोड़ना चाहता था। दूसरे इंस्टीट्यूट्स को भी हमने आमंत्रित किया है। 
 
मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में इस तरह की फिल्मों को देखने और सराहने वाले मौजूद रहते हैं। इंदौर में इस तरह के दर्शक कम होते हैं। क्या आप उन्हें फिल्म कैसे देखी जाए इस पर भी कुछ बताने वाले हैं? 
इस बार तो कुछ नहीं कर रहा हूं, लेकिन आपका आइडिया अच्छा है और हम इसे अगली बार जरूर शामिल करेंगे।
 
इस फेस्टिवल में कौन-कौन आ रहे हैं? 
पूजा भट्ट आ रही हैं। नागेश कुकनूर, पंकज रॉय, आदित्य कृपलानी, डॉ. अरुणा वासुदेव सहित कई फिल्मकार आ रहे हैं जो लोगों से मिलेंगे और बातचीत करेंगे। 

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