Exclusive Interview: मुझे ऐसे किरदार पसंद जो हिला कर रख दें- कीर्ति कुल्हारी
कीर्ति कुल्हारी ने वेबदुनिया को बताया कि वे किस तरह के किरदार पसंद करती हैं। फिल्म और वेबसीरिज में क्या अंतर है? और आर्टिकल 370 के बारे में क्या सोचती हैं?
पहले 'पिंक', फिर 'उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक' और अब 'मिशन मंगल' जैसी फिल्मों का हिस्सा रहीं कीर्ति कुल्हारी ने वेबदुनिया से बात करते हुए कहा "मुझे पढ़ाई में खास दिलचस्पी कभी नहीं थी। बस ये लगता था कि कोई विषय ज्यादा टेक्निकल न होकर इतना ही समझा दे कि आखिर मूल बात क्या है। वैसे ही मेरी फ़िल्में हैं। 'उरी' में बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक कैसे की जाती है? 'मिशन मंगल' में बता रहे हैं कि मंगल तक कैसे पहुंचे।"
कृति आगे बताती हैं- ''मुझे इंस्पिरेशनल फ़िल्में ही करना है, ये सोच कर मैं काम नहीं करती, लेकिन पिछले कुछ समय से मैं इसी तरह की फिल्मों का हिस्सा बन रही हूं। मेरा तो ये मानना है कि मैं कोई नहीं होती कि जो बता सकूं कि कोई व्यक्ति कैसे अपनी ज़िंदगी जिए, कैसे बर्ताव करे? मैं इस बात को अवसर की तरह मानती हूँ कि मेरे पास फ़िल्में एक ऐसा ज़रिया हैं जो मुझे ये रास्ता देता है कि मैं लोगों को बता सकूं कि सही बात क्या है। सही चीज कैसे की जा सकती हैं। मैं फ़िल्मों के ज़रिये ऐसे काम करती रहूंगी।''
किस तरह के किरदार आपको निभाना पसंद है?
ऐसे किरदार जो आपको हिला कर रख दें। ऐसे रोल जो आमतौर पर आसानी से नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन वो किरदार सच्चे होते हैं। हम आसानी के साथ सच को नज़रअंदाज़ करके जीना चाहते हैं, लेकिन मै अपने रोल में सच्चाई दिखाना चाहती हूँ।
वेब सीरिज़ और फ़िल्मों में काम करने में कितना अंतर है?
बहुत है। फिल्म में आपके पास समय होता है। आप आराम से दिन में दो या तीन सीन करें, लेकिन वेब सीरिज़ में आपको 5-6 घंटे का कंटेंट देना होता है इसलिए वहां काम आराम से नहीं हो सकता। हालांकि मुझे आराम से शूट करना पसंद है। फ़िल्मों में आपके पास 15-20 मिनिट होते हैं, अपने कैरेक्टर को दिखाने या उसके ग्राफ़ को लोगों तक पहुँचाने के लिए, जबकि वेब सिरीज़ में समय ज़्यादा होता है, इस कारण आपके पास से ज्यादा आजादी होती है कि आप अपने रोल की बारीकियों में जाएं।
आप इस समय संजीदा रोल निभा रही हैं, लेकिन आपको अपनी पहली हिंदी फिल्म 'खिचड़ी' की याद आती है?
(हंसते हुए) अरे आपने क्यों याद दिला दी? मज़ेदार था उस फिल्म में काम करना। खिचड़ी के रायटर और निर्देशक मेरी बिल्डिंग में ही रहते हैं। उनसे अगली फिल्म की बात भी हुई। पता नहीं वो खिचड़ी कब पकेगी? जब भी पकेगी मैं कर लूंगी काम।
एक तरफ देश चंद्रयान और मिशन मंगल की बात करता है तो दूसरी तरफ आर्टिकल 370 भी है। आप इस बारे में क्या सोचती हैं?
मुझे मालूम है कि कुछ लोगों को इस बात से आपत्ति है कि कैसे इसे अंजाम दिया गया। लेकिन मुझे लगता है कि ये काम बहुत ज़रूरी था। आपके पास पावर है, क्षमता है कि ये कदम उठा सकें और इस क्षमता का इस्तेमाल सही तरीके से किया गया। इस कदम से कल ज़रूर फायदा होगा।