पूजा बत्रा एक ऐसी अभिनेत्री रही हैं जिन्हें देखकर लगा था कि शायद ये एक लंबी रेस का घोड़ा साबित हों, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हिन्दी के अलावा पूजा ने तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में भी काम किया। उनकी एक फिल्म 'मिरर गेम अब खेल शुरू' 2 जून को रिलीज हो रही है। 'वेबदुनिया' संवादादाता रूना आशीष ने उनसे बातचीत की।
आप फिल्मों कम दिखाई देती हैं। क्या आप चूजी हैं या कम फिल्में करना आपकी पसंद है?
एक फिल्म करने में बहुत सारी कोशिशें करनी होती हैं, बहुत सारी बातों को देखना और परखना होता है। वैसे भी सच्चाई तो ये है कि आपको हर बार कोई करण जौहर और यश चोपड़ा की फिल्में नहीं मिलती हैं। वैसे भी मुझे किसी ने ऐसी फिल्में ऑफर भी नहीं की थीं। फिर कई बार ऐसा हुआ कि अच्छे रोल किसी और के हिस्से में चले गए। तो फिल्म करने में कई बातें जुड़ी होती हैं, लेकिन फिर भी मेरे पास जितने रोल्स आए, मैंने बेहतर तरीक से किए और शायद सबसे अच्छा ये ही किया जा सकता था।
आपने इंडस्ट्री में बदलाव लाया कि अच्छी फिट बॉडी भी अभिनेत्रियों के लिए एक मापदंड हो सकता है?
हां, हीरोइन लंबी या अच्छी बॉडी वाली भी हो सकती है, ये सब बातें जब मुझे लोग कहते हैं तो मुझे भी लगता है कि शायद मेरी वजह से फिल्मों में कुछ लोगों ने फिटनेस पर भी ध्यान देना शुरू किया हो। आप शायद सही हों। 90 के दशक में लंबी लड़कियों और अच्छी फिगर वाली लड़कियों का ट्रेंड शुरू हुआ था, लेकिन हेलनजी का भी फिगर बहुत अच्छा था।
अगर मैं अपनी बात कहूं तो मेरी बॉडी टाइप एथलेटिक है, ये बात उस समय हीरोइनों में नहीं होती थी। तब मटका फिगर वाली हीरोइनें ज्यादा होती थीं। मेरे लिए अच्छी फिगर होना बहुत काम का भी रहा और मुझे वो हमेशा सेक्सी भी लगा। इस वजह से मुझे ऐसे रोल्स और फिल्में भी मिलीं। हाल ही में मैंने एक फिल्म की है 'वन अंडर द सन' जिसमें मैंने एस्ट्रॉनॉट का रोल भी निभाया है। ये एक हॉलीवुड फिल्म है। अगर मैं मोटी होती तो मैं तो यह रोल नहीं कर पाती।
फिल्म इंडस्ट्री में क्या अंतर नजर आया?
स्क्रिप्ट बेहतर हो गई है, फिल्म मैकिंग का तरीका बदल गया, दर्शक बदल गए हैं तथा सब प्रोफेशनल हो गया है। अब ट्रेंड लोग आते हैं। एक्टर्स की अप्रोच बदल गई है। पैसा बहुत लग गया है अब इसमें।
'हसीना मान जाएगी' में आपके हीरो बने संजय दत्त के बारे में क्या कहेंगी?
मेरे हिसाब से संजय की जिंदगी बहुत ही अनोखी रही है। उनके पास अपनी जिंदगी से जुड़ी बहुत सारी बातें होंगी, जो वे बता सकते हैं। उनके पास बच्चे हैं, घर है और करियर भी है। वे एक जाने-माने अभिनेता हैं और अभिनेता के बेटे भी हैं। मैं उन्हें संजय दत्त की तरह ही देखना चाहती हूं, जो बहुत ही अच्छे अभिनेता हैं।
अक्षय कुमार के बारे में क्या कहेंगी?
मैं बहुत खुश हं कि उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। मैंने उन्हें बधाई भी दी थी। वे और ट्विंकल मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। मैं जब पिछली बार भारत आई थी तो उनसे मिली भी थी। वे बहुत ही मेहनती अभिनेता हैं। आज जहां अक्षय पहुंचे हैं, वो उनकी मेहनत का नतीजा है। मुझे भी 'रुस्तम' बहुत पसंद आई।