Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पीपली लाइव : एक अचंभा जो होने को है...

हमें फॉलो करें पीपली लाइव : एक अचंभा जो होने को है...

दीपक असीम

PR
फिल्म व्यवसाय के लोगों के लिए एक अचंभा घटित होने वाला है। अचंभे का नाम है "पीपली लाइव"। फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोग इन दिनों हर फिल्म को इस नजरिए से देखते हैं कि ये फिल्म मल्टीप्लेक्स के दर्शकों की है और ये सिंगल स्क्रीन के लिए है। मगर "पीपली लाइव" को देखने के लिए क्या मल्टीप्लेक्स और क्या सिंगल थिएटर, दोनों के दर्शक मरे जा रहे हैं।

फिल्म के प्रोमो दिखाए जा रहे हैं और प्रोमो देखकर ही अंदाजा हो जाता है कि ये फिल्म कुछ अलग किस्म की है। जिसे मुंबई में कहते हैं "कुछ हट के"। इस फिल्म का अंजाम चाहे जो हो, पर इतना तय है कि इसे तगड़ी शुरुआत मिलेगी।

तेरह अगस्त को फिल्म रिलीज हो रही है। इस फिल्म को अनेक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों से निमंत्रण मिले हैं। फिल्म के निर्माता हैं आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव।

इसी फिल्म का गीत- "सखी सइंया तो खूब ही कमात है / महँगाई डायन खाए जात है" लोकप्रिय हो चला है। देशव्यापी बंद के दौरान भाजपा इस गीत का इस्तेमाल करना चाहती थी (और किया भी)। हालाँकि आमिर ने अनुमति नहीं दी। आमिर खान उस भाजपा को कोई फायदा नहीं पहुँचाना चाहते जिसके नेताओं ने मेधा पाटकर का साथ देने के लिए उनकी टांग खींची हो। नरेंद्र मोदी से उनकी असहमति भी जाहिर है। इस विवाद ने भी फिल्म के प्रति उत्सुकता बढ़ाई है।

फिल्म की शूटिंग हुई है भोपाल से पैंसठ किलोमीटर दूर गाँव "बड़वाई" में। रघुवीर यादव के सिवा सारे एक्टर गाँव के ही हैं और पहली बार अभिनय कर रहे हैं। गीत को लेकर दूसरा विवाद यह हुआ कि बड़वाई के ही स्कूल मास्टर ने गीत और धुन अपनी होने का दावा पेश करके अपने और अपनी मंडली के लिए कुछ लाख रुपए माँगे।

खबर आई है कि आमिर ने उन्हें और उनकी मंडली को मुंबई बुलाकर रकम अदा कर भी दी है। इससे एक बार फिर यह बात सिद्ध हो गई कि आमिर खान गरीबों का हक नहीं मारने वाले। वाजिब दाम सबको मिल ही जाएँगे।

इसी से जुड़ी तीसरी खबर यह है कि सेंसर बोर्ड कुछ दृश्यों को काटना चाहता था। आमिर ने कहा कि एक सेंटीमीटर फिल्म भी नहीं काटूँगा। नतीजतन फिल्म को "ए" सर्टिफिकेट मिला है, जिसकी परवाह आजकल कोई नहीं करता। न माता-पिता रोकते हैं और न गेटकीपर...।

आमिर खान इस सोच को एक बार फिर बदल देंगे कि गाँवों पर बनी फिल्म को देखना शहरी लोग पसंद नहीं करते। ये बात सिरे से गलत है। दर्शक को मनोरंजन चाहिए। उसे जहाँ इसकी बू मिलती है, चला जाता है। "पीपली लाइव" से उसे शानदार मनोरंजन की खुश्बू आ रही है।

"पीपली लाइव" में बहुत पैसा नहीं लगा है। आमिर और किरण ने इसे पैसे के लिए नहीं अपने संतोष के लिए बनाया है। शुरुआती तीन दिन की ही टिकट बिक्री से फिल्म भारी लाभ में जा सकती है। आमिर खान फिल्मों के ही नहीं फिल्म व्यवसाय के मामले में भी बहुत चतुर हैं।

"पीपली लाइव" देर से प्रदर्शित होगी मगर इसका प्रचार जल्द ही रिलीज होने वाली अक्षय कुमार की फिल्म "खट्टा-मीठा" पर भारी पड़ता दिख रहा है। "पीपली लाइव" आमिर खान की बहुमुखी प्रतिभा का एक नमूना है।"

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi