आदिपुरुष का टीज़र जारी हो गया है। यह फिल्म रामायण से प्रेरित है। प्रभु श्रीराम को लेकर लोग बेहद संवेदनशील हैं। अयोध्या में उनका भव्य मंदिर बनाया जा रहा है और भारतीय राजनीति भी इस समय श्रीराम के इर्दगिर्द घूम रही है।
श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है और नैतिकता का पाठ उनसे सीखा जा सकता है। वे ज्यादातर भारतीयों के दिल में बसते हैं। रामानंद सागर द्वारा बनाया गया टीवी धारावाहिक 'रामायण' ने अपार लोकप्रियता हासिल की थी।
संभवत: इसी बात को और वर्तमान में राममय वातावरण को देख कर निर्देशक ओम राउत ने 'आदिपुरुष' का निर्माण किया। कहा जा रहा है कि फिल्म बनाने में 400 करोड़ से ज्यादा की रकम लगाई गई है।
फिल्म में रावण का किरदार सैफ अली खान ने निभाया है। रावण का जो लुक है वो हैरान करता है। उसकी हेयर कट आज के दौर के मुताबिक है। उसने दाढ़ी भी बढ़ा रखी है जो मुस्लिम आक्रमणकारियों की याद दिलाती है।
यदि आप सिर्फ सैफ का लुक देखें तो आपको लगेगा कि सैफ औरंगजेब, तैमूर, बाबर या मोहम्मद गजनी का रोल अदा कर रहे हैं। रावण के नाम का ध्यान भी नहीं आएगा।
इसको लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कहा जा रहा है कि क्या रावण ने इस्लाम कबूल लिया है। लोग रावण को शिवभक्त बता रहे हैं और रावण के समर्थन में खड़े होकर फिल्मकार को कोस रहे हैं।
रावण बुराई का प्रतीक है और उसकी तारीफ करना कितना सही और गलत है ये बहस का एक अलग विषय हो सकता है।
सवाल तो ये है कि क्या फिल्मकार ने जानबूझकर फिल्म 'आदिपुरुष' में रावण के किरदार निभा रहे अभिनेता का लुक मुस्लिम आक्रमणकारियों जैसा रखा है?
क्या फिल्मकार हिंदू कट्टरवाद की नाव पर सवार होकर बॉक्स ऑफिस की लहर को पार करना चाहता है?
रावण बुराई का प्रतीक है उसका लुक मुस्लिम आक्रमणकारियों जैसा दिखा कर फिल्मकार सांकेतिक इशारा कर कुछ दिखाना चाह रहा है?
ये प्रश्न उभर रहे हैं। निर्देशक ओम राउत की पिछली फिल्म तान्हाजी सफल रही थी। उसमें भी हिंदू राजा बनाम मुस्लिम शासक की कहानी थी। शायद यही उन्हें सफलता का राज लगा हो और उसी फॉर्मूले को वे आदिपुरुष में फिट कर रहे हों?