इन सेलेब्स ने बताया की विपरीत लिंग में उन्हें क्या करता है आकर्षित?

Webdunia
बुधवार, 3 फ़रवरी 2021 (16:49 IST)
कई मशहूर हस्तियां बता रही की वे किसी विपरीत लिंग के व्यक्ति से मिलते हैं तो उन्हें सबसे ज़्यादा क्या आकर्षित करता हैं। वह कुछ भी हो सकता हैं चाहे वह उनकी आंखो हो या अपने से नीचे काम करने वाले व्यक्ति से उनका व्यवहार हो। यह सब बातें उन्हें अपना पहला इंप्रेशन बनाने में मदद करती हैं।
 
जैन खान-
जाहिर सबसे पहले उसकी आंखें देखते हैं। वे कहते हैं कि यह आंखें हैं जहां सुंदरता छुपी होती है। जैसे पहले इंप्रेशन के लिए, हर लड़की एक अलग होती है और उसका स्टाइल भी अलग होता हैं। इसलिए मुझे लगता है कि पहला इंप्रेशन इस बात पर निर्भर करता है कि सामने वाला अपने आप को कैसे प्रस्तुत कर रहा है।
 
सिद्धार्थ सिपानी-
सिद्धार्थ बताते हैं उनके लिए पहला प्रभाव चेहरा रखता हैं। वो पहली बार में किसी भी लड़की में वाइब्स, पर्सनैलिटी और उसकी सादगी को देखते हैं। यह चीज़ें बताती है कि वह अपने आप को कैसे प्रस्तुत करती हैं, कैसे बात करती हैं और कैसे व्यवहार करती हैं। मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह कैसी दिखती है।
 
विजयेंद्र कुमेरिया- 
मैं पहली नजर में संवारने पर ध्यान देता हूं। अगर महिला सिर से पैर तक अच्छी तरह से तैयार है तो मैं प्रभावित हो जाता हूं। संवारने का मतलब बहुत सारे मेकअप और ट्रेंडी हेयर स्टाइल नहीं है, लेकिन वह खुद को कैसे कैरी करती हैं। एक मुस्कुराता और सुहाना व्यक्तित्व प्रभावशाली भी होता है।
 
अविनाश मुखर्जी-
अविनाश के लिए यह मायने रखता हैं की उसके बाल कैसे बने हैं। आंखो में काला काजल बेमिसाल लगता है। कैसे वह खुद को कैरी करती है और अपनी जगह कैसे बनाती है यह भी ज़रूरी हैं। अविनाश को सुगंध पसंद है। इसीलिए पहली अच्छी धारणा इस बात पर निर्भर करती है की उसके पास से कैसी खुशबू आ रही है।
 
प्रणिता पंडित-
जब मैं पहली बार किसी से मिलती हूं तो उस व्यक्ति की मुस्कान नोटिस करती हूं। मेरे लिए वह मुझे कैसी वाइब दे रहे है यह भी महत्वपूर्ण है। मेरे लिए बहुत मायने रखता हैं की वे कितने वास्तविक और असली हैं।
 
अदिति पाटनकर गुप्ता-
पुरुषों के बारे में आम तौर पर पहली बात यह है कि जिस तरह से वे खुद को कैरी करते हैं। हालांकि अंतिम प्रभाव बातचीत पर निर्भर करता है। बातचीत से ही उनके बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है। इन दिनों सभी पुरुष अच्छी कपड़े पहनते हैं, इसलिए इसका अब कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। सामाजिक रूप से जो अब बेंचमार्क बन गया है वह हैं संतुलित व्यवहार। अंत में, संचार एक आदमी की बुद्धि की प्रामाणिकता को परिभाषित करता है। केवल अच्छे वार्तालाप में ही स्थायी प्रभाव होता है।
 
सुचिता त्रिवेदी-
सुचिता के लिए उस व्यक्ति का व्यवाहर मायने रखता हैं। वह उन लोगों के साथ कैसे व्यवहार करता है जो उनसे हैसियत में और आर्थिक रूप से कम हैं। साथ ही वह उन लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं जो पैसे और रुतबे के मामले में उनसे ऊपर हैं। यह बात ही एक आदमी का मेरे ऊपर पहले इंप्रेशन बनाती है।

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