फिल्मों का लेखा-जोखा

समय ताम्रकर
बॉलीवुड के लिए वर्ष 2009 कुछ खास नहीं रहा। जिन बड़ी फिल्मों से आशाएँ थीं, वे बुरी तरह फ्लॉप हुईं। कई फिल्म को अपनी प्राइस के कारण असफलता का मुँह देखना पड़ा। सितारों को इतनी ज्यादा रकम दिए जाने से फिल्म की प्राइस इतनी बढ़ गई कि उसे वसूलना मुश्किल हो गया। ‘कमबख्त इश्क’ और ‘ब्लू’ इसके उदाहरण हैं, जो अपनी प्राइस के कारण फ्लॉप हुई। इन असफलताओं से निर्माता-निर्देशकों ने सबक सीखा है और इसका परिणाम हमें अगले वर्ष देखने को मिलेगा। 2009 के अंतिम सप्ताह में प्रदर्शित ‘3 इडियट्स’ ने जरूर बुझे चेहरों पर मुस्कान ला दी।

सुपरहिट फिल्म
आमिर खान की 25 दिसंबर को ‘3 इडियट्स’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त शुरुआत की और तमाम पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त किया। फिल्म के आरंभिक व्यवसाय को देख अनुमान लगाया जा रहा है कि यह फिल्म बॉलीवुड की सफलतम फिल्मों में से एक साबित होगी। फिल्म समीक्षकों ने भी इस फिल्म की तारीफ की और दर्शकों ने भी इसे जमकर सराहा।

हिट फिल्में
हॉलीवुड फिल्म ‘2012’ को भारतीय दर्शकों का प्यार मिला। अँग्रेजी के साथ-साथ इसे हिंदी और अन्य भाषाओं में डब कर प्रदर्शित किया गया। इसके व्यवसाय ने ट्रेड विशेषज्ञों को चौंका दिया। वितरकों ने इस फिल्म से अच्छी कमाई की। इसी तरह रणबीर कपूर-कैटरीना कैफ की ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार सफलता हासिल की और रणबीर ने एक लंबी छलाँग लगाई। सलमान अभिनीत ‘वॉन्टेड’ को भी बेहद पसंद किया गया। सलमान खान ने वैसी ही भूमिका निभाई, जैसा दर्शक उन्हें देखना पसंद करते हैं। अब इस फिल्म के सीक्वल की योजना बनाई जा रही है।

सेमी हिट फिल्में
बतौर निर्माता सैफ अली खान की शुरुआत अच्छी रही और ‘लव आज कल’ को बड़े शहरों सराहा गया। इस‍ फिल्म का संगीत भी हिट रहा। 9/11 की घटना को लेकर बनाई गई ‘न्यूयॉर्क’ भी सफल रही। कैटरीना कैफ, उम्दा संगीत और कबीर खान के निर्देशन ने फिल्म की सफलता में अहम भूमिका निभाई। यशराज फिल्म्स की वर्ष 2009 में यह एकमात्र सफल‍ फिल्म है। ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ का भारत में व्यवसाय आशा के अनुरूप नहीं रहा, लेकिन ऑस्कर अवॉर्ड विजेता इस फिल्म ने इतना व्यवसाय तो किया कि इसे सेमी हिट कहा जा सके। कम लागत का फायदा ‘पा’ को मिला। लगभग 17 करोड़ रुपए की यह फिल्म अच्छा व्यवसाय कर रही है।

औसत सफलता
‘दे दना दन’ और ‘ऑल द बेस्ट’ कहीं नरम और कहीं गरम रही। ‘ऑल द बेस्ट’ की शुरुआत काफी खराब रही थी, जिससे इस फिल्म के व्यवसाय पर असर पड़ा। जबकि ‘दे दना दन’ से जुड़े कुछ लोगों को घाटा रहा। इमरान हाशमी अभिनीत ‘राज - द मिस्ट्री कन्टीन्यूज’ ने भी ठीक-ठाक व्यवसाय किया।

फ्लॉप फिल्में
फ्लॉप फिल्मों की सूची तो बहुत लंबी है। बात करते हैं उन फिल्मों की जिनसे बहुत आशाएँ थीं, लेकिन उन्होंने ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ वाली कहावत चरितार्थ कर दी। ‘कमबख्त इश्क’ में अक्षय कुमार और करीना कपूर के अलावा हॉलीवुड के भी कई बड़े कलाकारों की भीड़ थी, लेकिन फिल्म को असफलता का मुँह देखना पड़ा। ‘ब्लू’ को भारत की महँगी फिल्मों में से एक बताया गया, लेकिन यह बड़ी सस्ती फिल्म निकली। आतंकवाद पर बनी ‘कुर्बान’ की कुर्बानी बेकार गई। ‘रॉकेट सिंह - द सैल्समैन ऑफ द ईयर’ का रॉकेट उड़ ही नहीं पाया। आशुतोष गोवारीकर द्वारा निर्देशित ‘व्हाट्ज़ योअर राशि?’ की कुंडली दर्शकों ने बिगाड़ दी। ‘अलादीन’ को जिनी भी नहीं बचा सका। मधुर भंडारकर की ‘जेल’ के बुरे हाल रहे। सलमान और करीना की ‘मैं और मिसेस खन्ना’ की तो यह हालत थी कि चौथे दिन ही यह टीवी पर डीटीएच सर्विस के जरिये घर पर देखने के लिए उपलब्ध थी। इन फिल्मों के जरिये करोड़ों का नुकसान बॉलीवुड को उठाना पड़ा।

सिर्फ प्रशंसा मिली
‘वेक अप सिड’, ‘कमीने’, ‘देहली 6’ और ‘लक बाय चांस’ जैसी कुछ फिल्मों की खूब चर्चा हुई। फिल्म समीक्षकों ने इन फिल्मों को हाई रेटिंग दी, लेकिन निर्माता और वितरकों के लिए ये घाटे का सौदा रहीं।

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