बिहार में इस गठबंधन की बनेगी सरकार!

Webdunia
गुरुवार, 5 नवंबर 2015 (16:06 IST)
बिहार चुनावों पर पूरे देश नजरें गड़ाए बैठा है। राज्य के विधानसभा चुनावों में जीत के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ऐड़ी- चोटी का ज़ोर लगा दिया है। एक तरफ जहां एनडीए ने अपने सबसे प्रभावशाली चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने की हरसंभव कोशिश की और दूसरी तरफ एक- दूसरे के घोर विरोधी माने जाने वाले नीतीश- लालू साथ हो लिए।



चुनावों के पांचवे चरण की वोटिंग खत्म होते ही पूरे देश को 8 नवंबर का इंतजार है। चुनाव विश्लेषकों द्वारा परिणामों पर भिन्न- भिन्न राय दी जा रही हैं।
 
12 अक्‍टूबर को पहले चरण का मतदान होने से पहले 11 सर्वे सामने आए थे। इन सभी सर्वे के नतीजों से स्पष्ट तस्वीर बनती नजर नहीं आती। दूसरी ओर सट्टा बाजार की बात करें तो एनडीए को 110 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। चुनाव से पहले हुए ओपीनियन पोल दोनों ही घटकों के बीच टाई की स्थिति बता रहा था, जबकि सट्टा बाजार लगातार इसे कांटे का मुकाबला बता रहा है। यानि हम कह सकते हैं कि पूर्वानुमान के किसी भी तरीके से हमारे सामने सही तस्‍वीर नहीं आ पा रही है। 
 
इंडियन एक्सप्रेस में छपे ताज़ा कॉलम के अनुसार ऐसी स्थिति में पुराने ट्रेंड के आधार पर ही सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। भारत में सन 1980 से ही यह ट्रेंड रहा है कि लोकसभा चुनाव के दो वर्ष बाद तक हुए चुनावों में केंद्र में सत्तासीन पार्टी को करीब 6 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ है।
 
इंडियन एक्सप्रेस के विश्लेषण के अनुसार चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए एनडीए को मात्र चार प्रतिशत मतों को अपने पक्ष में करना है। 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों की बात करें तो इसमें कई पार्टियों के बीच मुकाबला था। भाजपा तो एकजुट थी लेकिन विपक्ष कई धड़ों में बंटा हुआ था। अगर विपक्ष अभी की तरह लोकसभा चुनावों के वक्त भी एकजुट रहा होता तो एनडीए को हार का सामना करना पड़ सकता था।
 
बात करें बिहार चुनावों की तो एनडीए के खिलाफ प्रत्येक एक फीसदी वोट स्विंग जेडीयू को आठ सीटों का फायदा पहुंचा देगा। लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज कर चुकी एनडीए के खिलाफ औसत नेगेटिव स्विंग उसकी सीटों को 50 के अंदर समेट सकता है।
 
विश्लेषण में कहा गया कि एनडीए के पक्ष में मात्र चार फीसदी का वोट स्विंग उसे जीत दिला सकता है। बिहार के जिन मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में एनडीए को वोट नहीं दिया था, उनमें से ज्‍यादातर को विधानसभा चुनाव में एनडीए के पक्ष में आना होगा। 2014 के लोकसभा चुनावों में आरजेडी को 20.5 फीसदी वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस 8.6 फीसदी वोट की हासिल कर सकी थी।
 
विश्लेषण के मुताबिक इस बात की संभावना कम ही है कि कांग्रेस और राजद के वोटर्स एनडीए को वोट करें। लेकिन गौर करने लायक एक बात यह भी है कि लालू को अपने साथ लेकर  चलने से नीतीश से खफा वोटर्स का फायदा एनडीए को मिल सकता है, परंतु वोटरों की यह संख्या एनडीए को सत्ता में लाने जितनी नहीं लगती। ऐसे में एनडीए के लिए सकारात्मक परिणामों की उम्मीद कम ही है। 
 
सभी मुद्दों पर विचार करते हुए कहा जा सकता है कि एनडीए के लिए 80 सीटों पर जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित विश्लेषण के अनुसार महागठबंधन को 175 सीटें मिल सकती हैं जबकि एनडीए को 60 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। यह आकड़ों की बाजीगरी है, ये कितने सही साबित होते हैं, यह 8 नवंबर को पता लग ही जाएगा। 
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