सौरमंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि के एक चंद्रमा इन्सेलादस की सतह के नीचे पानी का 'सागर' होने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। इस नई खोज ने ब्रह्मांड में पृथ्वी के बाहर जीवन होने की संभावना को बढ़ा दिया है।
जब से अंतरिक्ष में जेट विमानों ने इसके दक्षिणी ध्रुव से बर्फीली चीजों को टूट कर गिरते देखा है तब से वैज्ञानिक उत्साहित है। नासा के अंतरिक्ष यान कासिनी की मदद से शोधकर्ता पानी के अत्यंत सूक्षम गुरुत्वाकर्षण संकेत का भी पता लगाएंगें।
साइंस पत्रिका ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट छापी है।
प्रोफेसर लुसियानो लेस ने बीबीसी न्यूज से कहा, 'हमने जो मापा है उसके हिसाब से यह उत्तरी अमेरिका के सुपीरियर झील के आकार के एक बड़े जलाशय के अस्तित्व में होने की संभावना है।' यह इटली के गार्डा झील से 245 गुना बड़ा हो सकता है।
BBC
अनुकूल परिस्थितियां : प्रोफेसर लेस और उनकी टीम के निष्कर्षों के मुताबिक 500 किमी चौड़ा यह चंद्रमा सूक्ष्मजीवों के जीवन के अस्तित्व के लिहाज से पृथ्वी के बाद सबसे उपयुक्त जगह होगी। कासिनी से मिले आकड़ों के मुताबिक इन्सेलादस के बर्फीले सतह के 40 किमी नीचे तरल पदार्थ है।
कासिनी ने सबसे पहले 2005 में इस चंद्रमा पर फैले हुए वातावरण का पता लगाया था तब से वहां पानी के सागर होने की संभावना को बल मिला है। कासिनी जब पहली बार शनि ग्रह में पहुंचा था तो वहां पर अंधेरा था। उस वक्त शनि में सर्दी का मौसम चल रहा था। इसके वातावरण में खनिज और जल वाष्प होने के संकेत मिले हैं।
कासिनी लवण और कार्बन युक्त जैविक अणुओं का पता भी लगा रहा है। इन्सेलादस के चारों ओर की कक्षा विकेन्द्रीत है। यह गोलाकार नहीं है। इसलिए इस विशाल ग्रह के द्वारा इन्सेलादस के बर्फ को गर्म कर के और पिघला के गुरुत्वाकर्षण को कम और ज्यादा करने की संभावना रहती है।
सौर मंडल में कई कैसे चंद्रमाएं है जिस पर जीवन होने की मजबूत संभावनाएं है। शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन, बृहस्पति के चन्द्रमाओं यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो और नेपच्यून के ट्राइटन इस श्रेणी में आते हैं।
चट्टान में पानी की मौजूदगी होने की वज़ह से इनमें से इन्सेलादस और यूरोपा पर जीवन होने की अधिक संभावना है। क्योंकि इससे रसायनिक प्रक्रियाओं की संभावना बढ़ जाती है जो जीवन उत्पन्न होने के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करती है।