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अरुंधति रॉय हिन्दू राष्ट्र और मोदी सरकार पर क्या बोलीं?

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BBC Hindi

, सोमवार, 14 फ़रवरी 2022 (12:47 IST)
भारत की जानी-मानी लेखिका और बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय ने 'द वायर' के लिए करण थापर को दिए इंटरव्यू में मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। अरुंधति रॉय ने कहा है कि हिन्दू राष्ट्रवाद की सोच विभाजनकारी है और देश की जनता इसे कामयाब नहीं होने देगी।

वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में अरुंधति रॉय ने भाजपा को फासीवादी क़रार देते हुए ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि देश एक दिन इनका विरोध करेगा। उन्होंने कहा, मुझे भारतीय लोगों पर भरोसा है और मेरा मानना है कि देश इस अंधेरी खाई से बाहर निकल आएगा।

अरुंधति रॉय ने कहा कि मोदी उद्योगपतियों के पसंदीदा हैं। उन्होंने कहा, मोदी के एक पसंदीदा उद्योगपति ने दूसरे पसंदीदा को अमीरी के मामले में पीछे छोड़ दिया है। अडानी का साम्राज्य 88 अरब डॉलर का है और अंबानी का शायद 87 अरब डॉलर का। अडानी की संपत्ति में 51 अरब डॉलर तो केवल पिछले साल जुड़ा है, जब भारत के लोग ग़रीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी में समा रहे थे।

मोदी के आने के बाद देश में विषमता और बढ़ी है। देश के 100 लोगों के पास भारत की 25 फ़ीसदी जीडीपी है। उत्तर प्रदेश के एक किसान ने बहुत सटीक टिप्पणी करते हुए कहा था- देश को चार लोग चलाते हैं, दो बेचते हैं और दो ख़रीदते हैं। ये चारों गुजरात से हैं।

अरुंधति ने कहा, अंबानी और अडानी के पास पोर्ट, माइंस, मीडिया, इंटरनेट, पेट्रोकेमिकल्स समेत कई चीज़ों पर एकाधिकार है। राहुल गांधी अमीर और ग़रीब भारत तो ओवैसी नफ़रत और मोहब्बत के हिन्दुस्तान की बात करते हैं लेकिन ये सब कॉर्पोरेट घराने के साथ लंबे समय से रहे हैं। अरुंधति रॉय बीजेपी पर पहले भी इसी तरह से हमलवार रही हैं। बीजेपी अरुंधति रॉय के इन आरोपों को ख़ारिज करती रही है।

हिन्दू राष्ट्र, सांप्रदायिकता और कश्मीर पर अरुंधति रॉय के बयान को लेकर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने 26 दिसंबर, 2019 को इंडिया टुडे से कहा था, वह अराजक और विवादों की देवी हैं। मैं उन्हें एक बुद्धिजीवी के तौर पर नहीं देखता हूं। वे तो यहां तक कहती हैं कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है। अरुंधति तो भारत की सेना पर कश्मीर में अत्याचार का आरोप लगाती हैं। यहां तक कि वह गोवा की आज़ादी का भी विरोध करती हैं। उनका न सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है और न ही संविधान पर।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अरुंधति रॉय को 2019 में एनपीआर के विरोध में रंगा-बिल्ला और कुंग-फू कुत्ता नाम बताने के लिए आड़े हाथों लिया था। शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, अगर यही हमारे देश के बुद्धिजीवी हैं तो पहले हमें ऐसे 'बुद्धिजीवियों' का रजिस्टर बनाना चाहिए! वैसे उन्होंने ने अपना नाम तो बता ही दिया, साथ में ये भी बता दिया कि उन्हें कंग-फ़ू की भी जानकारी है। अरुंधति जी को शर्म आनी चाहिए! ऐसे बयान देश के साथ विश्वासघात नहीं हैं तो क्या है?

2019 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर को हुए एक कार्यक्रम में अरुंधति रॉय ने कहा था, एनपीआर वाले लोग आएं तो हम लोग पांच नाम तय कर लेते हैं। जब ये नाम पूछें तो अपना नाम रंगा-बिल्ला रख दो या कुंग-फू कुत्ता। 7 रेसकोर्स पता दे दो। एक फ़ोन नंबर तय कर लेते हैं।

लोकतंत्र पर सवाल
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के भारत के दावे पर अरुंधति रॉय ने सवाल खड़ा किया और कहा, मोदी सरकार में लोकतंत्र के स्तंभ चाहे वो प्रेस हो, अदालतें हों, ख़ुफ़िया एजेंसियां हों, सेना हो, शिक्षण संस्थान हों, उन पर कहीं न कहीं इस हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संसद में नागरिकता संशोधन क़ानून, कृषि क़ानून, अनुच्छेद 370 को हटाना असंवैधानिक क़दम थे क्योंकि इससे लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ा है।

अरुंधति रॉय ने कहा, प्रधानमंत्री कार्यालय का दुरुपयोग प्रधानमंत्री द्वारा ही किया जा रहा है। मुझे लगता है कि बीजेपी ने लोगों को इस तरह उलझा दिया है कि लोग इस पार्टी को ही देश मानने लगे हैं। आप बीजेपी की आलोचना करेंगे तो वो देश की आलोचना होती है, बीजेपी महान तो देश महान। ये बहुत ही ख़तरनाक है। देश में लोकतंत्र को धीरे-धीरे ख़त्म किया जा रहा है।

क्या भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य से अब हिन्दू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ता जा रहा है?
इस सवाल के जवाब में रॉय ने कहा, कई धर्म संसदों में मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान किया गया। हिंदुओं को हथियार उठाने के लिए कहा गया। इसके मुख्य अभियुक्त यती नरसिंहानंद को हाल ही में बेल मिल गई। सिर्फ़ सरकार ही नहीं बल्कि अदालतें भी इसका हिस्सा हैं। इस देश में कवि, लेखक, प्रोफ़ेसर, वकील जेल में हैं लेकिन जो आदमी खुलेआम नरसंहार की बात कर रहा है, उसे बेल मिल जाती है।

हालांकि धर्म संसद में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है। उन्होंने अदालती फ़ैसलों पर सवाल खड़े करते हुए कहा, अब हिजाब विवाद में भी देखिए, भले ही कुछ ही दिन के लिए अदालत ने हिंदुओं के हक़ में ही आदेश दिया है।

क्लास में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने दिया जाए या नहीं ये चर्चा का विषय है लेकिन प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री संवैधानिक पदों पर रहते हुए कैसे भगवा गमछे गले में पहनते हैं। ये सरकार देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर ले जा रही है। ये किसी से छिपा नहीं है।

हिजाब को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मामला कर्नाटक उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और संवैधानिक व्यवस्था के हिसाब से इसका समाधान निकलेगा। मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अरुंधति रॉय ने कहा, हम हमेशा से अमानवीय रहे हैं। जिस देश में यहां की तरह जाति प्रथा हो, वो अमानवीय देश ही है। ये ऐसी व्यवस्था है जिसमें हमेशा हिंसा का ख़तरा है।

क्या भारत एक फासीवादी देश बन गया है? इस पर अरुंधति रॉय ने कहा, मैं ये नहीं कहती कि भारत फासीवादी है लेकिन ये कह रही हूं कि ये सरकार देश को फासीवाद की ओर ही ले जा रही है और आरएसएस भी। मुझे नहीं लगता कि वो सफल होंगे। लेकिन मुझे लगता है कि ये ऐसा रास्ता है, जिससे हमें होकर गुज़रना पड़ेगा लेकिन आख़िर में इस देश के लोग इस प्रयोग को विफल बनाएंगे। हम फासीवादी देश बनने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन दो साल पहले हमारे फ़ासीवादी बनने की आशंका आज की तुलना में कहीं ज़्यादा थी लेकिन किसान आंदोलन जैसे बड़े प्रदर्शनों के ज़रिए भारत के लोग इससे लड़ रहे हैं।

अरुंधति रॉय ने कहा, देश के फासीवादी बनने का ख़तरा कम ज़रूर हुआ है लेकिन अगर बीजेपी 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव हार जाती है तो वो फ़िर सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देकर अपने मक़सद में कामयाब होने की कोशिश कर सकती है। अगर बीजेपी हारती है तो जीतने वाली सरकार को ज़्यादा सतर्क रहना होगा। मुझे लगता है कि मोदी के सितारे एक दिन गर्दिश में होंगे। फिर वो कभी भी हों।

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